सहारनपुर: जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने हाइवे जाम प्रकरण में मदरसा छात्रों पर मुकदमें लिखे जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने पुलिस प्रशासन से जल्द से जल्द मुकदमें खारिज करने की मांग की. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय सचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि किसी भी अन्याय के लिए प्रदर्शन और आंदोलन देशवासियों का बुनियादी हक है और देवबंद में भी छात्रों ने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया.
क्या है पूरा मामला
लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल के पास होने के विरोध में देवबंद में संस्था तंजीम अबनाये मदारिस के अध्यक्ष मेहंदी हसन ऐनी ने नगर के सरसटा बाजार से खानकाह चौकी तक शांति मार्च निकालने की घोषणा की थी. इसके बाद दारूल उलूम समेत अन्य मदरसों में पढ़ने वाले हज़ारों छात्र व नगर के लोग सरसटा बाजार में एकत्र हुए. फिर बिल के विरोध में मार्च निकालते हुए खानकाह चौकी की ओर जाने लगे. इस बीच शांति मार्च अशांति मार्च में बदल गया.
सैकड़ों की संख्या में मदरसा छात्र नारेबाजी करते हुए सहारनपुर-मुजफ्फरनगर हाइवे पर पहुंच गये थे और राणा गैस एजेंसी के आगे सड़क पर जाम लगा दिया था. इस पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 250 अज्ञात छात्रों पर मुकदमा दर्ज कर लिया था.
क्या कहते हैं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय सचिव
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय सचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि किसी भी अन्याय के लिए प्रदर्शन और आंदोलन देशवासियों का बुनियादी हक है और देवबंद में भी छात्रों ने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि संसद में लगातार जल्दी-जल्दी बिल लाकर पास कराया जा रहा है, जबकि लोग परेशान हैं, महंगाई से जूझ रहे हैं. लोगों के पास रोजगार नहीं है.
बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए लाया गया कानून
उन्होंंने कहा कि लोगों का ध्यान जरूरी मुददों से हटाने के लिए यह बिल लाया गया. हम इसका विरोध करते रहेंगे और छात्रों ने भी इसका विरोध किया. जिन बच्चों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है वह मायूस ना हों, परेशान ना हों, जमीयत उलेमा ए हिंद पूरी तरह से उनके साथ है.