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सहारनपुरः लॉकडाउन में दाम और आम को लेकर चिंतित बागवान

यूपी के सहारनपुर जिले में आम की खेती करने वाले बागवान परेशान हैं. कोरोना वायरस के चलते बागवान अपने आम की खेती की देखभाल नहीं कर पा रहे हैं. बागवानों का कहना है कि न ही कीटनाशक दवाएं मिल पा रही हैं. न ही देखरेख करने के लिए मजदूर मिल पा रहे हैं.

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Published : Apr 27, 2020, 3:39 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

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आम की खेती करने वाले किसान परेशान.

सहारनपुर: एक तरफ जहां कोरोना वायरस को लेकर सम्पूर्ण विश्व में हाहाकार मचा हुआ है. वहीं कोरोना वायरस की मार बागवानों को भी झेलनी पड़ी रही है. सहारनपुर जनपद को फल पट्टी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. यहां पर आम की अच्छी खासी पैदावार होती हैं. इसमें दशहरी, लंगड़ा, मालदा और अल्फांसो सहित कई किस्म के आमों कि यहां पैदावार होती है. इतना ही नहीं सहारनपुर जनपद से आमों का विदेशों में भी निर्यात किया जाता है.

आम की खेती करने वाले किसान परेशान.

इस बार कोरोना वायरस की महामारी को लेकर बागवानों को भी इससे जूझना पड़ रहा है. उनका कहना है कि आम की पैदावार के साथ-साथ वह न तो अपने बागों में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर पा रहे हैं, और न ही उन्हें आम की देखरेख के लिए मजदूर मिल पा रहे हैं. इसके साथ-साथ मौसम की मार भी उन्हें झेलनी पड़ रही है. बारिश और आंधी की वजह से उन्हें आम की फसल बर्बाद होने का डर भी सता रहा है.

इसके साथ ही उन्हें यह भी डर सता रहा है कि अगर लॉकडाउन आगे बढ़ा तो उनका आम मंडियों तक भी नहीं पहुंच पाएगा. फिर कौड़ियों के भाव बेचने को मजबूर हो जाएंगे. बगवानों का कहना है कि उन्हें मजदूर न मिलने की वजह से आम की फसल में सिंचाई नहीं हो पा रही है. साथ ही पूर्ण बंदी की वजह से आम को सुरक्षित रखने के लिए जो पेटियां मिलती हैं, उनकी भी फैक्ट्रियां बंद पड़ी हुई हैं.

इसे भी पढ़ें- सहारनपुर: बेमौसम बारिश से किसानों पर दोहरी मार, किसानों का झलका दर्द

साथ ही आम का निर्यात करने में भी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा. जिस वजह से देश और दुनिया के लोग दशहरी, लंगड़ा, चौसा और अल्फांसो सहित आम की तमाम किस्म के जायके से भी मरहूम रह जाएंगे. हालांकि अभी आम की फसल पूरी तैयार होने में लगभग 1 महीने का समय बाकी है, लेकिन अगर 20-25 दिन ऐसे ही लॉकडाउन रहा तो हालात बहुत खराब हो जाएंगे.

गौरतलब है कि सहारनपुर सहित मेरठ, बुलंदशहर, उन्नाव, लखनऊ, हरदोई सहित कई जनपद जो कि मैंगो बेल्ट के नाम से जाने जाते हैं. उनके सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी.

सहारनपुर: एक तरफ जहां कोरोना वायरस को लेकर सम्पूर्ण विश्व में हाहाकार मचा हुआ है. वहीं कोरोना वायरस की मार बागवानों को भी झेलनी पड़ी रही है. सहारनपुर जनपद को फल पट्टी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. यहां पर आम की अच्छी खासी पैदावार होती हैं. इसमें दशहरी, लंगड़ा, मालदा और अल्फांसो सहित कई किस्म के आमों कि यहां पैदावार होती है. इतना ही नहीं सहारनपुर जनपद से आमों का विदेशों में भी निर्यात किया जाता है.

आम की खेती करने वाले किसान परेशान.

इस बार कोरोना वायरस की महामारी को लेकर बागवानों को भी इससे जूझना पड़ रहा है. उनका कहना है कि आम की पैदावार के साथ-साथ वह न तो अपने बागों में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर पा रहे हैं, और न ही उन्हें आम की देखरेख के लिए मजदूर मिल पा रहे हैं. इसके साथ-साथ मौसम की मार भी उन्हें झेलनी पड़ रही है. बारिश और आंधी की वजह से उन्हें आम की फसल बर्बाद होने का डर भी सता रहा है.

इसके साथ ही उन्हें यह भी डर सता रहा है कि अगर लॉकडाउन आगे बढ़ा तो उनका आम मंडियों तक भी नहीं पहुंच पाएगा. फिर कौड़ियों के भाव बेचने को मजबूर हो जाएंगे. बगवानों का कहना है कि उन्हें मजदूर न मिलने की वजह से आम की फसल में सिंचाई नहीं हो पा रही है. साथ ही पूर्ण बंदी की वजह से आम को सुरक्षित रखने के लिए जो पेटियां मिलती हैं, उनकी भी फैक्ट्रियां बंद पड़ी हुई हैं.

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साथ ही आम का निर्यात करने में भी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा. जिस वजह से देश और दुनिया के लोग दशहरी, लंगड़ा, चौसा और अल्फांसो सहित आम की तमाम किस्म के जायके से भी मरहूम रह जाएंगे. हालांकि अभी आम की फसल पूरी तैयार होने में लगभग 1 महीने का समय बाकी है, लेकिन अगर 20-25 दिन ऐसे ही लॉकडाउन रहा तो हालात बहुत खराब हो जाएंगे.

गौरतलब है कि सहारनपुर सहित मेरठ, बुलंदशहर, उन्नाव, लखनऊ, हरदोई सहित कई जनपद जो कि मैंगो बेल्ट के नाम से जाने जाते हैं. उनके सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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