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कांवड़ से जल लाकर करेंगे स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं का जलाभिषेक

सहारनपुर में मोक्षायतन अंतर्राष्ट्रीय योग संस्थान के ब्रह्मचारी अजीत शर्मा हरिद्वार से गंगाजल लाकर स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं का जलाभिषेक करेंगे.

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स्वतंत्रता सेनानियों का जलाभिषेक
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Published : Jul 23, 2022, 8:38 PM IST

सहारनपुर: श्रावण शिवरात्रि पर भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार से पावन गंगाजल लाकर मेरठ के पुरा महादेव और अन्य शिवमंदिरों पर चढ़ाने का सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है. भक्तगण धर्मनिष्ठ भारत की झलक दिखाने के लिए तिरंगे से सजी कांवड़ लेकर भी यात्रा करते आए हैं, लेकिन मोक्षायतन अंतर्राष्ट्रीय योग संस्थान के ब्रह्मचारी अजीत शर्मा ने इस बार अपनी कांवड़ यात्रा को देश के स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित किया है.

राष्ट्र को समर्पित कावड़ लेने निकले ब्रह्मचारी
राष्ट्र को समर्पित कावड़ लेने निकले ब्रह्मचारी.

अजीत शर्मा हर की पौड़ी, हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेकर नई दिल्ली के राजपथ स्थित महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का जलाभिषेक करेंगे. यहां कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेता जी की लेजर प्रतिमा का लोकार्पण किया था. इसके बाद अजीत शर्मा बागपत में राष्ट्र वंदना चौक पर स्थित शहीद अशफाक उल्ला खान और उनके गुरु काकोरी काण्ड के महानायक पं. रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमाओं का लाभिषेक करेंगे. योग गुरु पद्मश्री भारत भूषण ने शंख ध्वनि से अजीत शर्मा को सहारनपुर स्थित योग संस्थान से हरिद्वार के लिए रवाना किया.

अजीत शर्मा का कहना है कि मेरी साइकिल के दो पहिए आस्था और रास्ता यानि धर्म और देश हैं इसीलिए मैं ये यात्रा भी साइकिल से कर रहा हूं. दो विषयों में एमए पास लेकिन फक्कड़ मस्ती व गो सेवा में जीने वाले ब्रह्मचारी अजीत शर्मा नौ वर्षों से नंगे पैर ही रहते हैं. उन्होंने बताया कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखने के संकल्प के साथ उन्होंने जूता पहनना छोड़ दिया था. योगगुरु स्वामी भारत भूषण के संदेश "पहले देश फिर परिवेश" के जज्बे से ओतप्रोत अजीत शर्मा को कांवड़ यात्रा के लिए मोक्षायतन योग संस्थान से पद्मश्री स्वामी भारत भूषण की मौजूदगी में वैदिक राष्ट्रीय प्रार्थना "आ ब्राह्मण ब्राह्मणों ब्रह्मवर्चसी जायतात" कर रवाना किया गया.

यह भी पढ़ें:कांवड़ियों को खूब भा रही बुलडोजर बाबा वाली टीशर्ट

इस अवसर पर योगगुरु स्वामी भारत भूषण ने कहा कि अमर सेनानियों की प्रतिमाओं को जलाभिषेक करना स्मारकों को जीवंत बनाए रखने की दिशा में पहला प्रयास है. जिस तरह भगवान शिव के विग्रह पर अभिषेक से हम उनके प्रति कृतज्ञता और अपने भीतर शिव शक्ति का जागरण करते हैं. इसी तरह अमर बलिदानियों के प्रति कृतज्ञता और देशभक्ति के अंकुर जगाए जा सकेंगे.

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सहारनपुर: श्रावण शिवरात्रि पर भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार से पावन गंगाजल लाकर मेरठ के पुरा महादेव और अन्य शिवमंदिरों पर चढ़ाने का सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है. भक्तगण धर्मनिष्ठ भारत की झलक दिखाने के लिए तिरंगे से सजी कांवड़ लेकर भी यात्रा करते आए हैं, लेकिन मोक्षायतन अंतर्राष्ट्रीय योग संस्थान के ब्रह्मचारी अजीत शर्मा ने इस बार अपनी कांवड़ यात्रा को देश के स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित किया है.

राष्ट्र को समर्पित कावड़ लेने निकले ब्रह्मचारी
राष्ट्र को समर्पित कावड़ लेने निकले ब्रह्मचारी.

अजीत शर्मा हर की पौड़ी, हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेकर नई दिल्ली के राजपथ स्थित महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का जलाभिषेक करेंगे. यहां कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेता जी की लेजर प्रतिमा का लोकार्पण किया था. इसके बाद अजीत शर्मा बागपत में राष्ट्र वंदना चौक पर स्थित शहीद अशफाक उल्ला खान और उनके गुरु काकोरी काण्ड के महानायक पं. रामप्रसाद बिस्मिल की प्रतिमाओं का लाभिषेक करेंगे. योग गुरु पद्मश्री भारत भूषण ने शंख ध्वनि से अजीत शर्मा को सहारनपुर स्थित योग संस्थान से हरिद्वार के लिए रवाना किया.

अजीत शर्मा का कहना है कि मेरी साइकिल के दो पहिए आस्था और रास्ता यानि धर्म और देश हैं इसीलिए मैं ये यात्रा भी साइकिल से कर रहा हूं. दो विषयों में एमए पास लेकिन फक्कड़ मस्ती व गो सेवा में जीने वाले ब्रह्मचारी अजीत शर्मा नौ वर्षों से नंगे पैर ही रहते हैं. उन्होंने बताया कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखने के संकल्प के साथ उन्होंने जूता पहनना छोड़ दिया था. योगगुरु स्वामी भारत भूषण के संदेश "पहले देश फिर परिवेश" के जज्बे से ओतप्रोत अजीत शर्मा को कांवड़ यात्रा के लिए मोक्षायतन योग संस्थान से पद्मश्री स्वामी भारत भूषण की मौजूदगी में वैदिक राष्ट्रीय प्रार्थना "आ ब्राह्मण ब्राह्मणों ब्रह्मवर्चसी जायतात" कर रवाना किया गया.

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इस अवसर पर योगगुरु स्वामी भारत भूषण ने कहा कि अमर सेनानियों की प्रतिमाओं को जलाभिषेक करना स्मारकों को जीवंत बनाए रखने की दिशा में पहला प्रयास है. जिस तरह भगवान शिव के विग्रह पर अभिषेक से हम उनके प्रति कृतज्ञता और अपने भीतर शिव शक्ति का जागरण करते हैं. इसी तरह अमर बलिदानियों के प्रति कृतज्ञता और देशभक्ति के अंकुर जगाए जा सकेंगे.

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