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साइकिल छोड़ हाथी में सवार होंगे इमरान मसूद, यह है वजह

अपने बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले इमरान मसूद अब सपा का साथ छोड़ बसपा में शामिल होने की तैयारी में हैं. इसके लिए उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती से मीटिंग कर ली है. अब समर्थकों के का मन टटोलने के लिए वो जनता के बीच जा रहे हैं और पार्टी में सम्मान न मिलने का हवाला देते हुए सपा की मुखालफत कर रहे हैं. ये वही इमरान मसूद हैं, जिन्होंने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान सहारनपुर आने पर पीएम मोदी की बोटी-बोटी करने की बात कही थी. हालांकि वीडियो वायरल होने पर उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी थी.

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इमरान मसूद
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Published : Oct 11, 2022, 2:01 PM IST

सहारनपुर: निकाय चुनाव से पहले पश्चमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल देखी जा रही है. अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले मुस्लिम कद्दावर नेता इमरान मसूद सपा का साथ छोड़ बसपा का दामन थामने की तैयारी में हैं. इसके लिए इमरान मसूद न सिर्फ बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ मीटिंग कर चुके हैं बल्कि बसपा के टिकट पर परिजनों को मेयर का चुनाव लड़ाने की तैयारी भी कर रहे हैं. इमरान मसूद की मायावती से मीटिंग के बाद पश्चमी यूपी की राजनीति में सरगर्मियां तेज हो गई हैं.

कयास लगाए जा रहे हैं कि इमरान मसूद दलित-मुस्लिम गठजोड़ के सहारे 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में हैं. इसके चलते उन्होंने मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सभाएं करनी शुरू कर दी हैं. हालांकि इमरान मसूद विधानसभा चुनाव से पहले ही कंग्रेस छोड़ सपा में शामिल हुए थे. लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव की तरफ से कोई तवज्जो न मिलने के चलते उन्होंने सपा से किनारा करने का फैसला लिया है. अब इमरान मसूद के पास बसपा में जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है.

बता दें कि सहारनपुर के गंगोह कस्बे के काजी परिवार में पैदा हुए इमरान मसूद को राजनीति विरासत में मिली थी. उनके चाचा मरहूम काजी रशीद मसूद केंद्रीय मंत्री से लेकर कई बड़े मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. इमरान मसूद उनके साथ सपा, लोकदल, कांग्रेस समेत कई दलों में रह चुके हैं. बीते विधानसभा चुनाव से पहले इमरान मसूद कांग्रेस पार्टी में वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष और दिल्ली प्रदेश प्रभारी थे. लेकिन टिकट को लेकर बात नहीं बनी तो कांग्रेस का हाथ छोड़ सपा की साइकिल पर सवार हो गए थे. समाजवादी पार्टी में आने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी. हालांकि इमरान मसूद के कहने पर उनके दो चहेतों को टिकट जरूर दिया गया था. लेकिन दोनों प्रत्याशियों को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था.

अब निकाय चुनाव आने से पहले इमरान मसूद एक बार फिर नया दांव खेलने की तैयारी में हैं. इमरान मसूद साइकिल छोड़ हाथी पर सवार होने की तैयारी कर चुके हैं. इसके लिए इमरान मसूद मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में बैठक भी कर रहे हैं. जहां वे कांग्रेस और सपा नेताओं पर भड़ास निकालते नजर आए हैं. सूत्रों की मानें तो बसपा में जाने के बाद इमरान मसूद अपने परिजन को नगर निगम में मेयर का चुनाव लड़वाने के साथ आगामी लोकसभा चुनाव में खुद सांसद का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. पिछले दिनों जिला पंचायत सदस्य के उपचुनाव में भी इमरान मसूद और सपा नेता में दो फाड़ रहे हैं. इसके चलते सपा के दो नेता आमने-सामने जिला पंचायत का चुनाव लड़े थे और दोनों की हार हुई.

जानकारी के मुताबिक इमरान मसूद हाथी पर सवारी के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती से दिल्ली में मुलाकात कर चुके हैं. मायावती ने उन्हें बसपा में शामिल करने के लिए हामी भर ली है. इसके बाद इमरान मसूद ने स्थानीय मुसलमानों के बीच जाकर सपा की मुखालफत करने के साथ बसपा में जाने पर सहमति ले रहे हैं. वो समर्थकों को समझा रहे हैं कि सपा में जाने के बाद अखिलेश यादव ने तवज्जो नहीं दी है. इससे वो उनके हक की लड़ाई नहीं लड़ पा रहे हैं. सपा के बाद बसपा में ही मुसलमानों का हित सुरक्षित है. हालांकि इमरान मसूद इस फैसले पर खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. इमरान मसूद का कहना है कि हालात कुछ ऐसे बनते जा रहे हैं कि वो सपा छोड़ कहीं और जा सकते हैं. क्योंकि सपा में वो सम्मान नहीं मिला, जो पहले नेता जी मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में मिलता था.

सहारनपुर: निकाय चुनाव से पहले पश्चमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल देखी जा रही है. अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले मुस्लिम कद्दावर नेता इमरान मसूद सपा का साथ छोड़ बसपा का दामन थामने की तैयारी में हैं. इसके लिए इमरान मसूद न सिर्फ बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ मीटिंग कर चुके हैं बल्कि बसपा के टिकट पर परिजनों को मेयर का चुनाव लड़ाने की तैयारी भी कर रहे हैं. इमरान मसूद की मायावती से मीटिंग के बाद पश्चमी यूपी की राजनीति में सरगर्मियां तेज हो गई हैं.

कयास लगाए जा रहे हैं कि इमरान मसूद दलित-मुस्लिम गठजोड़ के सहारे 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में हैं. इसके चलते उन्होंने मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सभाएं करनी शुरू कर दी हैं. हालांकि इमरान मसूद विधानसभा चुनाव से पहले ही कंग्रेस छोड़ सपा में शामिल हुए थे. लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव की तरफ से कोई तवज्जो न मिलने के चलते उन्होंने सपा से किनारा करने का फैसला लिया है. अब इमरान मसूद के पास बसपा में जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है.

बता दें कि सहारनपुर के गंगोह कस्बे के काजी परिवार में पैदा हुए इमरान मसूद को राजनीति विरासत में मिली थी. उनके चाचा मरहूम काजी रशीद मसूद केंद्रीय मंत्री से लेकर कई बड़े मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. इमरान मसूद उनके साथ सपा, लोकदल, कांग्रेस समेत कई दलों में रह चुके हैं. बीते विधानसभा चुनाव से पहले इमरान मसूद कांग्रेस पार्टी में वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष और दिल्ली प्रदेश प्रभारी थे. लेकिन टिकट को लेकर बात नहीं बनी तो कांग्रेस का हाथ छोड़ सपा की साइकिल पर सवार हो गए थे. समाजवादी पार्टी में आने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी. हालांकि इमरान मसूद के कहने पर उनके दो चहेतों को टिकट जरूर दिया गया था. लेकिन दोनों प्रत्याशियों को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था.

अब निकाय चुनाव आने से पहले इमरान मसूद एक बार फिर नया दांव खेलने की तैयारी में हैं. इमरान मसूद साइकिल छोड़ हाथी पर सवार होने की तैयारी कर चुके हैं. इसके लिए इमरान मसूद मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में बैठक भी कर रहे हैं. जहां वे कांग्रेस और सपा नेताओं पर भड़ास निकालते नजर आए हैं. सूत्रों की मानें तो बसपा में जाने के बाद इमरान मसूद अपने परिजन को नगर निगम में मेयर का चुनाव लड़वाने के साथ आगामी लोकसभा चुनाव में खुद सांसद का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. पिछले दिनों जिला पंचायत सदस्य के उपचुनाव में भी इमरान मसूद और सपा नेता में दो फाड़ रहे हैं. इसके चलते सपा के दो नेता आमने-सामने जिला पंचायत का चुनाव लड़े थे और दोनों की हार हुई.

जानकारी के मुताबिक इमरान मसूद हाथी पर सवारी के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती से दिल्ली में मुलाकात कर चुके हैं. मायावती ने उन्हें बसपा में शामिल करने के लिए हामी भर ली है. इसके बाद इमरान मसूद ने स्थानीय मुसलमानों के बीच जाकर सपा की मुखालफत करने के साथ बसपा में जाने पर सहमति ले रहे हैं. वो समर्थकों को समझा रहे हैं कि सपा में जाने के बाद अखिलेश यादव ने तवज्जो नहीं दी है. इससे वो उनके हक की लड़ाई नहीं लड़ पा रहे हैं. सपा के बाद बसपा में ही मुसलमानों का हित सुरक्षित है. हालांकि इमरान मसूद इस फैसले पर खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. इमरान मसूद का कहना है कि हालात कुछ ऐसे बनते जा रहे हैं कि वो सपा छोड़ कहीं और जा सकते हैं. क्योंकि सपा में वो सम्मान नहीं मिला, जो पहले नेता जी मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में मिलता था.

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