वाराणसी : बनारस का ऑक्सीजन हब कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पिछले कुछ वर्षों से लगातार हरे पेड़ों की कटाई हो रही है, जिसे लेकर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र सौरभ तिवारी की ओर से एनजीटी में जनहित याचिका दायर की गई थी. सोमवार को हुई दूसरी सुनवाई में उन्होंने ऑनलाइन कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से जुड़कर एनजीटी में अपनी बात रखी.
पूर्व छात्र व याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में चंदन के पेड़ समेत सैकड़ों हरे पेड़ों को काटे जाने को लेकर एनजीटी में सोमवार को जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. उन्होंने कहा कि इस दौरान हमने अपनी बात एनजीटी के समक्ष रखी है, जिसमें एनजीटी ने कहा कि संरक्षक ही कानून का उल्लंघन करने लगे तो कार्रवाई करनी पड़ेगी, हम जिम्मेदारी तय करेंगे. एनजीटी ने बीएचयू के वकील से कहा कि विश्वविद्यालय की छवि पर यह गहरा धब्बा है, इससे विश्वविद्यालय की बेहद बदनामी हुई है, जो विश्वविद्यालय छात्रों को पर्यावरण सुरक्षा के लिए शिक्षा देता हो उसी विश्वविद्यालय में पेड़ गैर कानूनी तरीके से काटे जा रहे हैं. ऐसे रहा तो सब तबाह हो जाएगा. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि स्थिति यह है कि आपके पूर्व छात्र को पेड़ बचाने के लिए आना पड़ा है.
बता दें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वर्ष 2019 में चंदन के 7 पेड़ों को काटा गया था, जिसके बाद छात्रों ने काफी उग्र आंदोलन किया. उसके बाद वर्ष 2022 में फिर चंदन के पेड़ को काटा गया. छात्रों ने फिर आंदोलन किया, लेकिन अभी भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके साथ ही कई हरे पेड़ को भी विश्वविद्यालय द्वारा बिना वन विभाग के परमिशन के काट दिए गए. जिसकी रिपोर्ट वन विभाग ने एनजीटी के सामने प्रस्तुत की थी.
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