सहारनपुर: एक ओर केंद्र की मोदी सरकार नदियों की सफाई करने के दावे कर रही है, वहीं जिले की लाइफलाइन कही जाने वाली हिंडन नदी का प्रदूषित पानी न सिर्फ कैंसर, ब्लड कैंसर और गलगोटू जैसी गंभीर बीमारियों को दावत दे रहा है, बल्कि सरकार के दावों की पोल भी खोल रहा है. हिंडन नदी में बहता पानी ग्रामीणों के लिए मौत का सबब बनता जा रहा है. आलम यह है कि नदी किनारे बसे सभी गांवों के ज्यादातर नल और ट्यूबवेलों से भी जहरीला पानी निकल रहा है. वहीं जिला प्रशासन इस बात से अनजान बना हुआ है.
लोगों को हो रही गंभीर बीमारियां
कहते हैं 'जल ही जीवन है', लेकिन हिंडन नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांवों के लिए मौत का सबब बनी हुई है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जीवन दायिनी कही जाने वाली हिंडन नदी अब मौत की नदी बनी हुई है. स्टार पेपर मिल, फैक्ट्रियों और बजाज शुगर मिल से निकलने वाले प्रदूषित पानी से पूरी नदी प्रदूषित हो चुकी है. बताया जा रहा है कि नदी का यह प्रदूषित पानी नलकूपो और नलको के पानी को प्रदूषित कर रहा है, जिससे नदी किनारे बसे सभी गांवो में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही है. महिलाओ और बच्चे समेत बड़े बुजुर्ग भी गलगोटू, कैंसर, ब्लड कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों की चपेट में आ चुके है.
प्रदूषित पानी पीने को मजबूर ग्रामीण
ग्रामीणों की माने तो पिछले 10 सालों में 300 से ज्यादा लोग बीमारी की चपेट में आने से मर चुके हैं. ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में हिंडन नदी में पानी आ जाता है,लेकिन बाकी दिनों में केवल फैक्ट्रियों और कारखानों का गंदा पानी आता है. सरकारी गैरसरकारी नलको में भी प्रदूषित पानी आ रहा है. गांव में स्वच्छ पानी की व्यवस्था न होने के कारण ग्रामीण इसी प्रदूषित पानी को पीने को मजबूर है. जिससे ग्रामीणों में ये गंभीर बीमारियां फैल रही है. वर्तमान में सेकड़ो लोग विभिन्न अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती चल रहे है। इसके लिए कई बार शासन प्रशासन को पत्र लिख नदी की सफाई और स्वच्छ पानी की मांग की लेकिन कहीं कोई सुनवाई नही हुई.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी एसआर मौर्य ने जानकारी देते हुए बताया
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी एसआर मौर्य ने कहा कि यह नदी ड्राई नदी है, जिसके चलते विभिन्न नालों और आसपास के कारखानों का पानी इसमें छोड़ा जा रहा है. हिंडन नदी के प्रदूषण के आधार पर सभी कारखानों को सख्त निर्देश दिए है कि किसी भी दशा में प्रदूषित पानी नदी में न छोड़ा जाए. एनजीटी के निर्देशानुसार सभी फैक्ट्रियो में एटीपीएस स्थापित कराया गया है. समय-समय पर विभागीय अधिकारी उसकी जांच करते रहते है. इतना ही नही हिंडन नदी के पानी की भी जांच की जाती है, यदि कोई फैक्ट्री कारखाना नदी में प्रदूषित पानी छोड़ता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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