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BSF जवान का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

सहारनपुर के नानौता ब्लॉक स्थित गांव याहियापुर निवासी बीएसएफ जवान सुरेंद्र सिंह की असम के गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई थी. जिसके बाद शुक्रवार को जवान का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा, जहां राजकीय सम्मान के साथ जवान का अंतिम संस्कार किया गया.

राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार.
राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार.
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Published : Dec 25, 2020, 6:46 PM IST

सहारनपुर: छुट्टी पूरी कर वापस ड्यूटी पर जा रहे बीएसएफ जवान सुरेंद्र सिंह (40 वर्ष) की असम के गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई. शुक्रवार को जवान का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा, जिसके बाद परिजनों में कोहराम मच गया. घटना की जानकारी होते ही गांव में शोक की लहर दौड़ पड़ी. जिसके बाद जवान के पार्थिव शरीर के पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. मृतक जवान के बड़े पुत्र ने उसकी चिता को मुखाग्नि दी.

सहारनपुर के नानौता ब्लॉक के याहियापुर गांव निवासी रूल्हा सिंह के पुत्र सुरेंद्र सिंह 1998 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे. वर्तमान में वह असम के गुवाहाटी सीएच बीएसएफ आइजोल में तैनात थे. दीपावली के अवसर पर वह एक महीने छुट्टी लेकर गांव आए थे और 29 नवंबर को छुट्टी पूरी करने के बाद वापस ड्यूटी के लिए लौट गए थे. बताया जा रहा है कि वहां पहुंचकर 14 दिन क्वारंटाइन सेंटर में रहने के बाद आइजोल ड्यूटी पर लौटने के लिए वह गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन की प्रतीक्षा में बैठे हुए थे.

संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत

ट्रेन में यात्रा के दौरान अचानक तबीयत खराब हो गई और कुछ ही देर में उनकी मौत हो गई. इसकी सूचना जैसे ही उनके परिजनों को मिली तो कोहराम मच गया. शुक्रवार को बीएसएफ के जवान उनका तिरंगा में लिपटा शव लेकर नानौता पहुंचे. जवान के अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में ग्रामीण उमड़ पडे. इस मौके पर बीएसएफ यूनिट ने सलामी देकर जवान को विदाई दी. मुखाग्नि उनके बड़े बेटे वंश कुमार (16 वर्ष) ने दी.

22 दिसंबर को हुई थी मौत

गुवाहाटी से शव लेकर उनके गांव पहुंचे जवान उमेश कुमार ने बताया कि जवान सुरेंद्र सिंह की मौत का मामला 22 दिसंबर को गुवाहाटी आरपीएफ द्वारा 11 बजे रात में दर्ज किया गया था. इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी गई थी. उच्चाधिकारियों के निर्देश पर वह गुरुवार की शाम 7 बजे जवान सुरेंद्र सिंह का शव गुवाहाटी से हवाई जहाज से रात लगभग 10 बजे दिल्ली लाए. यहां से बीएसएफ की 25 बटालियन मुख्य हेड क्वार्टर छावला कैंट के एसआई रमेश कुमार के नेतृत्व में बीएसएफ यूनिट द्वारा शव को तिरंगा के साथ उनके गांव याहियापुर लाकर उनके परिजनों को सौंपा गया.

सहारनपुर: छुट्टी पूरी कर वापस ड्यूटी पर जा रहे बीएसएफ जवान सुरेंद्र सिंह (40 वर्ष) की असम के गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई. शुक्रवार को जवान का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा, जिसके बाद परिजनों में कोहराम मच गया. घटना की जानकारी होते ही गांव में शोक की लहर दौड़ पड़ी. जिसके बाद जवान के पार्थिव शरीर के पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. मृतक जवान के बड़े पुत्र ने उसकी चिता को मुखाग्नि दी.

सहारनपुर के नानौता ब्लॉक के याहियापुर गांव निवासी रूल्हा सिंह के पुत्र सुरेंद्र सिंह 1998 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे. वर्तमान में वह असम के गुवाहाटी सीएच बीएसएफ आइजोल में तैनात थे. दीपावली के अवसर पर वह एक महीने छुट्टी लेकर गांव आए थे और 29 नवंबर को छुट्टी पूरी करने के बाद वापस ड्यूटी के लिए लौट गए थे. बताया जा रहा है कि वहां पहुंचकर 14 दिन क्वारंटाइन सेंटर में रहने के बाद आइजोल ड्यूटी पर लौटने के लिए वह गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन की प्रतीक्षा में बैठे हुए थे.

संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत

ट्रेन में यात्रा के दौरान अचानक तबीयत खराब हो गई और कुछ ही देर में उनकी मौत हो गई. इसकी सूचना जैसे ही उनके परिजनों को मिली तो कोहराम मच गया. शुक्रवार को बीएसएफ के जवान उनका तिरंगा में लिपटा शव लेकर नानौता पहुंचे. जवान के अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में ग्रामीण उमड़ पडे. इस मौके पर बीएसएफ यूनिट ने सलामी देकर जवान को विदाई दी. मुखाग्नि उनके बड़े बेटे वंश कुमार (16 वर्ष) ने दी.

22 दिसंबर को हुई थी मौत

गुवाहाटी से शव लेकर उनके गांव पहुंचे जवान उमेश कुमार ने बताया कि जवान सुरेंद्र सिंह की मौत का मामला 22 दिसंबर को गुवाहाटी आरपीएफ द्वारा 11 बजे रात में दर्ज किया गया था. इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी गई थी. उच्चाधिकारियों के निर्देश पर वह गुरुवार की शाम 7 बजे जवान सुरेंद्र सिंह का शव गुवाहाटी से हवाई जहाज से रात लगभग 10 बजे दिल्ली लाए. यहां से बीएसएफ की 25 बटालियन मुख्य हेड क्वार्टर छावला कैंट के एसआई रमेश कुमार के नेतृत्व में बीएसएफ यूनिट द्वारा शव को तिरंगा के साथ उनके गांव याहियापुर लाकर उनके परिजनों को सौंपा गया.

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