सहारनपुर: रेलवे लाइन के दोहरीकरण के लिए अधिग्रहित जमीन पर कब्जा करने पहुंचे रेलवे प्रशासन को किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ा. सोमवार को अधिग्रहित जमीन के एवज में मुआवजा कम दिए जाने से नाराज किसानों ने रेलवे प्रशासन का विरोध किया. लिहाजा थाना नागल क्षेत्र के गांव लखनौर को पुलिस छावनी में तब्दील करना पड़ा.
दरअसल, रेलवे ने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण के लिए किसानों से 400 बीघे जमीन 2011 में अधिग्रहित की थी. रविवार को गांव लाखनौर में पांच किलोमीटर तक अधिग्रहित जमीन को पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और डीएफसीसी टीम ने कब्जे में ले लिया. अधिकारियों ने निशानदेही के लिए जमीन पर पिलर गाड़ दिए. इतना ही नहीं किसानों के खेतों में खड़ी धान की फसल पर ट्रैक्टर से जुताई करा दी गई. ऐसे में खड़ी धान की फसल पर ट्रैक्टर चलाने से नाराज किसानों ने विरोध जताया.
मुख्य बिंदु
- 2011 में रेलवे लाइन दोहरीकरण के लिए अधिग्रहित जमीन पर रेलवे ने किया कब्जा
- किसानों ने अधिग्रहित जमीन के एवज में कम मुआवजा देने पर जताया विरोध
- किसानों का विरोध देख प्रशासन ने गांव में पुलिस बल तैनात कर जमीन पर किया कब्जा
आपको बता दें कि रेलवे लाइन के दोहरीकरण के लिए साल 2011 में किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था. उस वक्त जमीन के एवज में कम मुआवजा दिए जाने से नाराज गांव लाखनौर, जुनारदार, सुभरी और बेलडा के किसानों ने विरोध जताया था. किसानों ने जमीन पर कब्जा देने से मना कर दिया था. इस बाबत कई बार किसानों और अधिकारियों के बीच बैठकें भी हुईं, लेकिन बात नहीं बन पाई. हालांकि इन वर्षों के दरमियान किसान समान मुआवजे की मांग करते रहे हैं.
वहीं रविवार की शाम प्रशासनिक अधिकारी पुलिस बल के साथ लखनौर गांव पहुंचे, जहां एक बार फिर किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा. हालांकि कोई अव्यवस्था न फैले, इसलिए गांव में भारी फोर्स तैनात कर पूरे गांव को सील कर दिया. इस दौरान किसी को गांव से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी. उसके बाद एसडीएम सदर अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में अधिग्रहित जमीन पर खड़ी फसल को ट्रैक्टर और जेसीबी से जुताई करानी शुरू कर दी.
किसानों की जमीन पर जबरन कब्जे की खबर पर भारतीय किसान यूनियन प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी विनय कुमार मौके पर पहुंच गए, जहां उन्होंने खेत में तैयार खड़ी धान की फसल की जुताई का विरोध किया. किसानों का कहना था कि कुछ दिन बाद धान की फसल कट जाएगी, इसके बाद जमीन पर कब्जा दे दिया जाएगा. हालांकि डीएम और मंडलायुक्त से बात कर शेष किसानों की फसल को नष्ट नहीं किया गया.