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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार झेल रहा भुखमरी की मार

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Published : Jan 24, 2021, 2:10 PM IST

सहारनपुर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार सम्मान न मिलने से काफी दुखी हैं. परिवार का कहना है कि हम लोग आज भुखमरी की कगार पर आ गए हैं, लेकिन किसी भी सरकार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता.

शहीदों को नहीं मिल रहा सम्मान
शहीदों को नहीं मिल रहा सम्मान

सहारनपुर: जिन लोगों ने देश की आजादी के लिए कुर्बानी दी, उनके परिवार के लोगों को सम्मान मिलना तो दूर जिले में कोई उन्हें जानता भी नहीं है. ये दर्द है स्वतंत्रता संंग्राम सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा व उनकी पत्नी स्वर्गीय अरुंधती देवी के पारिवार का. हालात ये हैं कि, स्वतंत्रता संंग्राम सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा का परिवार आज भुखमरी की कगार पर आ गया है. यहां तक की देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने वाले और आजादी की लड़ाई के दौरान कई महीनों तक जेल में रहने वाले सहारनपुर के स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा का आज कोई नाम भी नहीं लेता.

भुखमरी की कगार पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार
भुला दिया गया स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा का योगदान

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा. इस मौके पर देश भर में जगह-जगह शान से तिरंगा झंडा फहराया जाएगा. साथ ही उन शहीदों को याद किया जाएगा, जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपना बलिदान दिया. लेकिन, क्या स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार पर भी किसी की नजर जाती है. सहारनपुर के रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा व उनकी पत्नी स्वर्गीय अरुंधती देवी को आज कोई नहीं जानता. इन लोगों ने गुलामी के दौरान अंग्रेजों की मार खाई और कई महीने तक जेल में भी रहे. इन लोगों को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्रपत्र देकर सम्मानित भी किया था. लेकिन, समय के साथ-साथ लोगों ने आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को भुला दिया.

भुखमरी के कगार पर परिवार

आज स्वतंत्रता संंग्राम सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा का परिवार ऐसी स्थिति में पहुंच गया है कि उसके सामने खाने के भी लाले पड़े हुए हैं. लेकिन, देश के लिए बलिदान देने वाले इस परिवार की ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता. परिवार का आरोप है कि उनके माता-पिता ने देश के लिए बलिदान दिया, लेकिन आज जब वो किसी अधिकारी के पास ताम्रपत्र लेकर जाते हैं, तो उनको वहां से भगा दिया जाता है.

'नहीं मिला ता सम्माना'

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार का कहना है कि देश के लिए बलिदान देना और उसका यह फल मिलना यह कहां का इंसाफ है. उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों के लिए भी कुछ करने की अपील की है. उनका कहना है कि, केवल 26 जनवरी और 15 अगस्त पर झंडा फहराने से ही शहीदों को सम्मान नहीं मिलता. उनके पीछे रहने वाले परिवार को भी सम्मान देना होता है. तब जाकर उन शहीदों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की आत्मा शांति मिलेगी.

सहारनपुर: जिन लोगों ने देश की आजादी के लिए कुर्बानी दी, उनके परिवार के लोगों को सम्मान मिलना तो दूर जिले में कोई उन्हें जानता भी नहीं है. ये दर्द है स्वतंत्रता संंग्राम सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा व उनकी पत्नी स्वर्गीय अरुंधती देवी के पारिवार का. हालात ये हैं कि, स्वतंत्रता संंग्राम सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा का परिवार आज भुखमरी की कगार पर आ गया है. यहां तक की देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने वाले और आजादी की लड़ाई के दौरान कई महीनों तक जेल में रहने वाले सहारनपुर के स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा का आज कोई नाम भी नहीं लेता.

भुखमरी की कगार पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार
भुला दिया गया स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा का योगदान

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा. इस मौके पर देश भर में जगह-जगह शान से तिरंगा झंडा फहराया जाएगा. साथ ही उन शहीदों को याद किया जाएगा, जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपना बलिदान दिया. लेकिन, क्या स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार पर भी किसी की नजर जाती है. सहारनपुर के रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा व उनकी पत्नी स्वर्गीय अरुंधती देवी को आज कोई नहीं जानता. इन लोगों ने गुलामी के दौरान अंग्रेजों की मार खाई और कई महीने तक जेल में भी रहे. इन लोगों को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्रपत्र देकर सम्मानित भी किया था. लेकिन, समय के साथ-साथ लोगों ने आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को भुला दिया.

भुखमरी के कगार पर परिवार

आज स्वतंत्रता संंग्राम सेनानी स्वर्गीय चंद्रबली शर्मा का परिवार ऐसी स्थिति में पहुंच गया है कि उसके सामने खाने के भी लाले पड़े हुए हैं. लेकिन, देश के लिए बलिदान देने वाले इस परिवार की ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता. परिवार का आरोप है कि उनके माता-पिता ने देश के लिए बलिदान दिया, लेकिन आज जब वो किसी अधिकारी के पास ताम्रपत्र लेकर जाते हैं, तो उनको वहां से भगा दिया जाता है.

'नहीं मिला ता सम्माना'

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार का कहना है कि देश के लिए बलिदान देना और उसका यह फल मिलना यह कहां का इंसाफ है. उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों के लिए भी कुछ करने की अपील की है. उनका कहना है कि, केवल 26 जनवरी और 15 अगस्त पर झंडा फहराने से ही शहीदों को सम्मान नहीं मिलता. उनके पीछे रहने वाले परिवार को भी सम्मान देना होता है. तब जाकर उन शहीदों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की आत्मा शांति मिलेगी.

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