सहारनपुर: जिले के बेहट तहसील में पुल बनाने की मांग पूरी न होने पर एक बार फिर तीन गांव के लोगों को धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा. लंबे समय से चली आ रही पुल की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन किए और अनिश्चिकालीन धरना भी दिया था. इसके बाद सरकार के नुमाइंदों ने झूठे वादे कर ग्रामीणों का धरना खत्म तो कर दिया था, लेकिन आज तक ग्रामीणों की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.
- मामला बेहट तहसील इलाके के तीन गांव शाहपुर, हुसैनपुर समेत मलकपुर गांव का है.
- जहां ग्रामीण पिछले 10 साल से ज्यादा समय से लगातार बरसाती नदी पर पुल बनवाने की मांग करते चले आ रहे हैं.
- इसको लेकर दोनों गांवों के लोग विधानसभा के साथ ही हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव का बहिष्कार तक कर चुके हैं.
- बार-बार कहने के बावजूद न तो नदी पर पुल बन सका और न ही सड़क की ओर तटबंध बनाए गए.
- ग्रामीणों का आरोप है कि बरसात में गांव के चारों ओर से गुजर रही नदियों में पानी आ जाता है और गांव एक टापू बनकर रह जाते हैं.
- तीनो गांवों की करीब सात हजार की आबादी का तहसील मुख्यालय सहित बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह टूट जाता है.
- ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या बीमार मरीज को अस्पताल ले जाने और बच्चों को स्कूल जाने की हैं.
- इसके साथ ही बरसात के मौसम में लोग अपनी जान पर खेलकर नदी पार करते हैं.
- यहां तक कि कई बार लोग नदी के पानी मे बह भी चुके है, जिन्हें कड़ी मशक्कत के बाद बचाया गया था.
बरसात के मौसम में बाढ़ का पानी गांव की ओर आ जाता है. जिसमे मवेशी और वाहन तक बह जाते हैं. बार-बार मांग के बावजूद पुल न बनने से ग्रामीणों ने एक बार फिर आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया है और अब पीड़ित ग्रामीण दोबारा गांव के बाहर धरना दे रहे हैं. इतना ही नही कुछ महीनों पहले एडीएम-ई, एसडीएम समेत अधिकारियों और कुछ राजनीतिक लोगों ने पुल बनवाने का झूठा वादा कर धरना खत्म कर दिया था. फिलहाल हम लोग दोबारा धरना प्रदर्शन करने के साथ साथ पुल निर्माण शुरू होने तक धरना खत्म न करने की बात कर रहे हैं.
-हेमन्त राणा, प्रधान के पति
ग्रामीणों की इस समस्या का जल्द ही हल कराएंगे. इसके लिए एस्टीमेट बन चुका है और आगे की प्रक्रिया जारी है.
-संजय कुमार, कमिश्नर, सहारनपुर मंडल