सहारनपुर: फतवों की नगरी एवं विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर फतवा जारी किया है. फतवा विभाग की खंडपीठ ने देश के मौजूदा हालात और कोरोना वायरस से बचाव के लिए सैनिटाइजर के प्रयोग को सही करार दिया है. दारूल उलूम द्वारा जारी फतवे में बताया गया है कि देश में इस समय कोरोना महामारी फैली हुई है और ऐसे में मस्जिदों के अंदर अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का छिड़काव करना गलत नहीं है.
दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने बताया कि दारुल उलूम ने माहमारी के हालात में फतवा जारी किया है. इस वक्त देश में कोरोना वायरस ने महामारी बनकर अपना कहर बरपा रखा है. सरकार ने ढाई महीने बाद सशर्त मस्जिदों को खोलने के निर्देश दिए हैं. नमाजियों के पहुंचने से पहले न सिर्फ पूरी मस्जिद को सैनिटाइज किया जा रहा है बल्कि नमाजियों के हाथों पर सैनिटाइजर भी लगाया जा रहा है.
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खास बात यह है कि सैनिटाइजर अल्कोहल युक्त हैं. अल्कोहल का इस्तेमाल करना इस्लाम मे हराम माना जाता है, लेकिन कोरोना माहमारी से बचने के लिए अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का इस्तेमाल बहुत जरूरी है. सबसे पहले इस महामारी से बचाव करना है.
उल्लेखनीय है कि सैनिटाइजर में एल्कोहल होता है. बरेली से जारी फतवे में सैनिटाइज के प्रयोग को नाजायज करार दिया गया था, जबकि दारुल उलूम ने हालात और मजबूरी के मद्देनजर सैनिटाइजर के प्रयोग को सही ठहराया है, जबकि सामान्य हालात में अल्कोहल से बनी चीजों का छिड़काव मस्जिदों में कराना सही नहीं है. दारुल उलूम द्वारा जारी फतवे में यह भी कहा गया कि कपड़ों या बदन पर सैनिटाइजर के छींटे पड़ जाने से कपड़े या बदन नापाक नहीं होते हैं.