ETV Bharat / state

दारुल उलूम की अपील! प्रतिबंधित जानवरों की न दें कुर्बानी, सरकारी गाइडलाइन का करें पालन - 29 जून को बकरा ईद यानि ईद उल अजहा

सहारनपुर के दारुल उलूम देवबंद ने ईद उल अजहा पर लोगों से अपील की है कि कोई भी प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी न दें और साफ सफाई का भी ध्यान रखें. इसी के साथ सरकार द्वारा जारी सभी गाइडलाइन का जरूर पालन करे.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jun 28, 2023, 4:05 PM IST

सहारनपुर: बकरा ईद यानि ईद-उल-अजहा 29 जून को मनाने की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. इस्लाम से जुड़े लोग कुर्बानी के लिए बकरे और भैंसे खरीद रहे हैं. वहीं, विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने बकरीद मनाने को लेकर तमाम मुसलमानों से अपील की है. दारुल उलूम की ओर से कहा गया है कि ईद-उल-अजहा का त्योहार धूमधाम से मनाएं, लेकिन इस अवसर पर प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी हरगिज न करें. इसी के साथ खुले में कुर्बानी न करें, साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें. बकरीद के दिन सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करें और त्योहार को खुशियों के साथ मनाएं.

जानिये क्यों दी जाती है ईद पर कुर्बानी: दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना अबुल नौमानी कासमी ने बताया कि बकरा ईद को हर मुसलमान धूमधाम से मनाता है. इस दिन कुर्बानी इसलिए दी जाती है क्योंकि पैगंबर हजरत इब्राहिम से अल्लाह तबारक व ताला ने अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुकुम दिया था. जबकि, पैगंबर हजरत इब्राहिम की सबसे प्यारी चीज उनका इकलौता बेटा था. क्योंकि उन्हे यह बेटा 80 साल की उम्र में मिला था. इसीलिए उम्र के आखिरी पड़ाव में मिला बेटा पैगंबर हजरत इब्राहिम के लिए सबसे महबूब और प्यारा था.

पैगंबर हजरत इब्राहिम को अल्लाह-ताला ने दिया था हुकुमः मौलाना अबुल नौमानी कासमी के मुताबिक, पैगंबर साहब को लगातार तीन दिन ख्वाब आया कि वे अपने बेटे को कुर्बान कर रहे हैं. बेटे की कुर्बानी देने वाले सपने को देखने के बाद पैगंबर हजरत इब्राहिम के सामने ऐसी परिस्थिति आ गई कि उनको आगे कुआं और पीछे खाई नजर आने लगी. पैगंबर साहब के सामने एक तरफ कलेजे का टुकड़ा उनका बेटा था दूसरी तरफ अल्लाह ताला का हुकुम था. नवी हजरत इब्राहिम ने अपने ख़्वाब की बात बेटे इस्माइल को बताई. इस पर बेटे इस्माइल ने हजरत इब्राहिम से कहा कि आपको अल्लाह ताला के हुकुम का पालन कीजिए. इसके बाद पैगंबर हजरत इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने के लिए जंगल की तरफ ले जाते हैं. जहां पैगंबर हजरत बेटे की कुर्बानी देने के लिए छूरी चलाते हैंतो अल्लाह ताला उनकी बंदगी और अपने आदेश का पालन करता देख खुश हो जाते हैं. इसके बाद अल्लाह ताला ने हजरत इब्राहिम के बेटे की जगह छूरी के नीचे एक बकरे को लगा देते हैं.


अल्लाह का यह भी है हुकुम: मौलाना अबुल नौमानी कासमी ने बताया कि इसके बाद हर मुसलमान बकरा ईद के दिन अल्लाह ताला के हुकुम के अनुसार बकरे की कुर्बानी देता है. उन्होंने बताया कि बकरे कुर्बानी सिर्फ प्रतीकात्मक रूप है. असल में इस त्यौहार का महत्व अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करना बताया गया है. बकरा ईद के दिन कुर्बानी के गोश के लिए भी अल्लाह ताला का यह हुकुम है कि उसके भी तीन हिस्से किए जाए. जिसमें एक हिस्सा गरीब और जरूरतमंदों को और दूसरा हिस्सा अपने परिचितों मित्रों और तीसरा हिस्सा अपने घर वालों को दिया जाता है.

दारुल उलूम देवबंद ने की अपील: दारुल उलूम देवबंद के वरिष्ठ उस्ताद मुफ्ती मुज़म्मिल मुजफ्फरनगरी ने कहा, हमारे बुजुर्गों और बड़ों ने हमेशा से प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से मना किया है. इसलिए हर मुसलमान इसका ख्याल रखें और प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से हमेशा की तरह दूर रहे. उन्होंने यह भी कहा कि खुले में कुर्बानी न करें, सड़कों और रास्तों पर बिल्कुल भी कुर्बानी न करें और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें.

जानवरों के अवशेष को सड़कों या नालियों में न डालें, बल्कि नगर पालिका द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार ही अवशेषों को गाड़ियों में डालें. इस बात का खास ध्यान रखें कि देश में रहने वाले अन्य धर्मों के लोगों को किसी भी तरह की इससे परेशानी न हो. मुफ्ती मुजम्मिल कासमी ने कहा कि मुसलमानों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सड़कों और रास्ते पर नमाज पढ़ने पर पाबंदी है. इसलिए उन्हें ईदगाह और मस्जिद परिसर के अंदर ही नमाज पढ़नी चाहिए.

यह भी पढ़ें: सीएम योगी ने कानून व्यवस्था की समीक्षा की, बोले, धार्मिक परंपरा व आस्था को सम्मान दें, परंपरा के विरुद्ध न हो कोई कार्य

सहारनपुर: बकरा ईद यानि ईद-उल-अजहा 29 जून को मनाने की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. इस्लाम से जुड़े लोग कुर्बानी के लिए बकरे और भैंसे खरीद रहे हैं. वहीं, विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने बकरीद मनाने को लेकर तमाम मुसलमानों से अपील की है. दारुल उलूम की ओर से कहा गया है कि ईद-उल-अजहा का त्योहार धूमधाम से मनाएं, लेकिन इस अवसर पर प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी हरगिज न करें. इसी के साथ खुले में कुर्बानी न करें, साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें. बकरीद के दिन सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करें और त्योहार को खुशियों के साथ मनाएं.

जानिये क्यों दी जाती है ईद पर कुर्बानी: दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना अबुल नौमानी कासमी ने बताया कि बकरा ईद को हर मुसलमान धूमधाम से मनाता है. इस दिन कुर्बानी इसलिए दी जाती है क्योंकि पैगंबर हजरत इब्राहिम से अल्लाह तबारक व ताला ने अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुकुम दिया था. जबकि, पैगंबर हजरत इब्राहिम की सबसे प्यारी चीज उनका इकलौता बेटा था. क्योंकि उन्हे यह बेटा 80 साल की उम्र में मिला था. इसीलिए उम्र के आखिरी पड़ाव में मिला बेटा पैगंबर हजरत इब्राहिम के लिए सबसे महबूब और प्यारा था.

पैगंबर हजरत इब्राहिम को अल्लाह-ताला ने दिया था हुकुमः मौलाना अबुल नौमानी कासमी के मुताबिक, पैगंबर साहब को लगातार तीन दिन ख्वाब आया कि वे अपने बेटे को कुर्बान कर रहे हैं. बेटे की कुर्बानी देने वाले सपने को देखने के बाद पैगंबर हजरत इब्राहिम के सामने ऐसी परिस्थिति आ गई कि उनको आगे कुआं और पीछे खाई नजर आने लगी. पैगंबर साहब के सामने एक तरफ कलेजे का टुकड़ा उनका बेटा था दूसरी तरफ अल्लाह ताला का हुकुम था. नवी हजरत इब्राहिम ने अपने ख़्वाब की बात बेटे इस्माइल को बताई. इस पर बेटे इस्माइल ने हजरत इब्राहिम से कहा कि आपको अल्लाह ताला के हुकुम का पालन कीजिए. इसके बाद पैगंबर हजरत इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने के लिए जंगल की तरफ ले जाते हैं. जहां पैगंबर हजरत बेटे की कुर्बानी देने के लिए छूरी चलाते हैंतो अल्लाह ताला उनकी बंदगी और अपने आदेश का पालन करता देख खुश हो जाते हैं. इसके बाद अल्लाह ताला ने हजरत इब्राहिम के बेटे की जगह छूरी के नीचे एक बकरे को लगा देते हैं.


अल्लाह का यह भी है हुकुम: मौलाना अबुल नौमानी कासमी ने बताया कि इसके बाद हर मुसलमान बकरा ईद के दिन अल्लाह ताला के हुकुम के अनुसार बकरे की कुर्बानी देता है. उन्होंने बताया कि बकरे कुर्बानी सिर्फ प्रतीकात्मक रूप है. असल में इस त्यौहार का महत्व अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करना बताया गया है. बकरा ईद के दिन कुर्बानी के गोश के लिए भी अल्लाह ताला का यह हुकुम है कि उसके भी तीन हिस्से किए जाए. जिसमें एक हिस्सा गरीब और जरूरतमंदों को और दूसरा हिस्सा अपने परिचितों मित्रों और तीसरा हिस्सा अपने घर वालों को दिया जाता है.

दारुल उलूम देवबंद ने की अपील: दारुल उलूम देवबंद के वरिष्ठ उस्ताद मुफ्ती मुज़म्मिल मुजफ्फरनगरी ने कहा, हमारे बुजुर्गों और बड़ों ने हमेशा से प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से मना किया है. इसलिए हर मुसलमान इसका ख्याल रखें और प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से हमेशा की तरह दूर रहे. उन्होंने यह भी कहा कि खुले में कुर्बानी न करें, सड़कों और रास्तों पर बिल्कुल भी कुर्बानी न करें और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें.

जानवरों के अवशेष को सड़कों या नालियों में न डालें, बल्कि नगर पालिका द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार ही अवशेषों को गाड़ियों में डालें. इस बात का खास ध्यान रखें कि देश में रहने वाले अन्य धर्मों के लोगों को किसी भी तरह की इससे परेशानी न हो. मुफ्ती मुजम्मिल कासमी ने कहा कि मुसलमानों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सड़कों और रास्ते पर नमाज पढ़ने पर पाबंदी है. इसलिए उन्हें ईदगाह और मस्जिद परिसर के अंदर ही नमाज पढ़नी चाहिए.

यह भी पढ़ें: सीएम योगी ने कानून व्यवस्था की समीक्षा की, बोले, धार्मिक परंपरा व आस्था को सम्मान दें, परंपरा के विरुद्ध न हो कोई कार्य

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.