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सावित्रीबाई के जन्मदिवस को महिला शिक्षा दिवस घोषित करने की मांग - mahatma jyotirao phule

सहारनपुर में ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज के लोगों ने प्रथम भारतीय महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस को महिला शिक्षा दिवस घोषित करने की मांग की है. ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज के लोगों ने जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन सौंपा.

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सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस को महिला शिक्षा दिवस घोषित करने की मांग
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Published : Jan 2, 2021, 4:55 PM IST

सहारनपुर: ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज के लोगों ने प्रथम भारतीय महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस को महिला शिक्षा दिवस घोषित करने की मांग की है. इसके अलावा महात्मा ज्योतिराव फूले और माता सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न देने की भी मांग की गई. ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज के लोगों ने जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन सौंपा.

सवित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर सैनी समाज की मांग
'महिलाओं में माता सवित्रीबाई फुले ने जलाई ज्योति'देश की पहली शिक्षिका भारतीय महिला माता सावित्रीबाई फुले ने देश की महिलाओं में शिक्षा की ज्योति जलाने का काम किया. लेकिन आज के समय में उनको हर कोई भूलता जा रहा है. ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज ने भारत की प्रथम शिक्षिका महिला सावित्रीबाई फुले के जन्म दिवस को महिला शिक्षक दिवस के रूप में घोषित करने की मांग की है. साथ ही महात्मा ज्योतिराव फुले और माता सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न देने को लेकर सीएम के नाम ज्ञापन भी सौंपा.

माता सवित्रीबाई फुले का योगदान
देश को आजाद कराने में कई देश भक्तों ने कुर्बानी दी. लेकिन आजादी से पहले भी हमारा देश पुरानी रूढ़िवादिता, शिक्षा और वर्ण व्यवस्था के चक्रव्यूह में फंसा होने के कारण अंधकार में डूबा हुआ था. 11 अप्रैल 1827 को महत्मा ज्योतिराव फुले का महाराष्ट्र के सतारा जिले में जन्म हुआ. छोटी से उम्र से ही उन्होंने समाज में फैली अंधविश्वास और वर्ण व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई. महात्मा ज्योतिराव फुले ने खुद तो समाज सुधार का कार्य जारी रखा, साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को शिक्षित करते हुए भारत की प्रथम महिला शिक्षिका बनाकर अपने ही 18 विद्यालय में बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाया. यहीं से भारत में नारी शिक्षा की नींव पड़ी.

महिलाओं को दिलाया शिक्षा का अधिकार
यह वह समय था, जब समाज में नारी शिक्षा को अभिशाप समझा जाता था. माता सावित्रीबाई फुले को इस दौरान अनेक यातनाओं को सहन करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार न मानते हुए शिक्षण कार्य जारी रखा. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज सेवा में न्योछावर कर दिया. आज भारत की महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रही है. भारत की तरक्की में अपनी हिस्सेदारी निभा रही हैं. वहीं दूसरी ओर महिला शिक्षा की जनक क्रांति ज्योति माता सावित्रीबाई फुले के बलिदान को भुला दिया गया है.

सहारनपुर: ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज के लोगों ने प्रथम भारतीय महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस को महिला शिक्षा दिवस घोषित करने की मांग की है. इसके अलावा महात्मा ज्योतिराव फूले और माता सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न देने की भी मांग की गई. ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज के लोगों ने जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन सौंपा.

सवित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर सैनी समाज की मांग
'महिलाओं में माता सवित्रीबाई फुले ने जलाई ज्योति'देश की पहली शिक्षिका भारतीय महिला माता सावित्रीबाई फुले ने देश की महिलाओं में शिक्षा की ज्योति जलाने का काम किया. लेकिन आज के समय में उनको हर कोई भूलता जा रहा है. ऑल इंडिया सैनी सेवा समाज ने भारत की प्रथम शिक्षिका महिला सावित्रीबाई फुले के जन्म दिवस को महिला शिक्षक दिवस के रूप में घोषित करने की मांग की है. साथ ही महात्मा ज्योतिराव फुले और माता सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न देने को लेकर सीएम के नाम ज्ञापन भी सौंपा.

माता सवित्रीबाई फुले का योगदान
देश को आजाद कराने में कई देश भक्तों ने कुर्बानी दी. लेकिन आजादी से पहले भी हमारा देश पुरानी रूढ़िवादिता, शिक्षा और वर्ण व्यवस्था के चक्रव्यूह में फंसा होने के कारण अंधकार में डूबा हुआ था. 11 अप्रैल 1827 को महत्मा ज्योतिराव फुले का महाराष्ट्र के सतारा जिले में जन्म हुआ. छोटी से उम्र से ही उन्होंने समाज में फैली अंधविश्वास और वर्ण व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई. महात्मा ज्योतिराव फुले ने खुद तो समाज सुधार का कार्य जारी रखा, साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को शिक्षित करते हुए भारत की प्रथम महिला शिक्षिका बनाकर अपने ही 18 विद्यालय में बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाया. यहीं से भारत में नारी शिक्षा की नींव पड़ी.

महिलाओं को दिलाया शिक्षा का अधिकार
यह वह समय था, जब समाज में नारी शिक्षा को अभिशाप समझा जाता था. माता सावित्रीबाई फुले को इस दौरान अनेक यातनाओं को सहन करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार न मानते हुए शिक्षण कार्य जारी रखा. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज सेवा में न्योछावर कर दिया. आज भारत की महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रही है. भारत की तरक्की में अपनी हिस्सेदारी निभा रही हैं. वहीं दूसरी ओर महिला शिक्षा की जनक क्रांति ज्योति माता सावित्रीबाई फुले के बलिदान को भुला दिया गया है.

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