सहारनपुर: उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री एवं प्रभारी मंत्री सूर्यप्रताप शाही शुक्रवार को सहारनपुर पहुंचे. यहां उन्होंने प्रेसवार्ता कर न सिर्फ बीजेपी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं, बल्कि विपक्ष को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस कृषि विधेयक में संशोधन के बाद किसानों को गुमराह कर रही है, जबकि किसानों ने इस विधेयक को दिल से स्वीकार किया है. कृषि कानून में बदलाव आने से किसानों की आय दोगुनी होगी. किसानों को मंडियों के अलावा दूसरा विकल्प मिलेगा. सरकार के खिलाफ खाप महापंचायत के आयोजन को संकुचित मानसिकता बताया. वहीं उन्होंने कहा कि हाथरस कांड के बाद फंडिंग मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
कृषि यंत्रों के लिए 70 से 80 फीसदी दिया जा रहा अनुदान
कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि 70 प्रतिशत सब्सिडी पर किसान को जिप्सम उपलब्ध कराया जाएगा. बड़े पैमाने पर सरकार किसानों को यांत्रिकरण से भी सुसज्जित कर रही है. खासतौर पर फसल अवशेष जलाए जाने की घटनाएं विगत वर्षों में जो हुई हैं, उन पर एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट ने काफी सख्ती कर कड़ाई से क्रियान्वित किए जाने का निर्देश दिया है. इसकी वजह से सरकार ने उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष भी इनसीए 2 के कृषि यंत्रों पर 80 प्रतिशत अनुदान देकर किसानों को प्रोत्साहन देकर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए. इस साल भी उक्त योजना के अंतर्गत 142 करोड़ रुपये इनसीए 2 कार्यक्रम के लिए खर्च किए. इनमें 127 करोड़ केवल कृषि यंत्रों पर ही खर्च किए जाएंगे.
खाप महापंचायत का आयोजन संकुचित मानसिकता
मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका कहना पूरी तरह गलत है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार 'सबका साथ, सबका विकास' कार्यक्रमों के आधार पर चल रही है. जहां कानून व्यवस्था का सवाल है, धारा 144 लागू है. एक जिम्मेदार इंसान होने के नाते कानूनी प्रक्रिया का पालन करके कहीं भी जा सकते थे. उन्हें कही कोई नहीं रोकता, इसलिए उनको इसका पालन करना चाहिए था. यह उनका व्यक्तिगत कदम रहा है कि जाट बिरादरी के साथ जोड़ा जाना उनकी संकुचित मानसिकता का धोतक है. भारतीय जनता पार्टी सदैव सब जातियों का सम्मान करती है. जयंत चौधरी लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. ये कानून सांसदों की देख-रेख में ही बनाये गए हैं. इस नाते कानून के नियमों का पालन करना उनकी जिम्मेदारी है.
फंडिंग मामले की जांच के बाद साफ होगी तस्वीर
हाथरस कांड में पीएफआई और भीम आर्मी को फंडिंग किए जाने के सवाल पर कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा कि जांच एजेंसियां पूरे मामले की जांच कर रही हैं. जांच के बाद जो भी निष्कर्ष निकल कर सामने आएंगे, वह सबके सामने होंगे.
कृषि विधेयक में संशोधन के लिए 3 दशक से उठ रही मांग
संसद में कृषि विधेयक पारित किए जाने के बाद किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा कि यह किसानों का आंदोलन नहीं है. कुछ राजनीतिक लोग विरोध के लिए अपना आंदोलन कर रहे हैं, जो बहुत सीमित मात्रा में हो रहा है. देश भर में किसानों की संख्या 14 करोड़ से ज्यादा है. ढाई करोड़ से ज्यादा किसान अकेले उत्तर प्रदेश में रहते हैं. किसान ने सरकार के इस कानून का दिल से स्वागत किया है. आज से नहीं पिछले 3 दशकों से कृषि विधेयक की मांग होती रही है कि कृषि के व्यापार को सुधार की दृष्टि से सरकार को कोई कदम उठाना चाहिए. मार्केटिंग की व्यवस्था में सुधार किया जाना चाहिए.
कृषि एक्ट में संशोधन से कृषि व्यापार में होगा सुधार
डॉ. स्वामी नाथन कमेटी ने सरकार से आग्रह किया था कि कृषि व्यापार में सुधार कर किसान को सर्वशुल्क बाजार उपलब्ध कराया जाए. इसके पहले मनमोहन सरकार में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी इस विधेयक को लाने की शिफारिश की थी. उनके द्वारा कृषि एक्ट को समाप्त करने की मांग की गई थी. इतना ही नहीं 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में भी कृषि सबंधी विधेयक लाना शामिल रहा है.
2017 के पंजाब चुनाव में घोषणा पत्र में इसको जगह दी गई. इतना ही नहीं बीजेपी ने भी अपने घोषणा पत्र के माध्यम से इसकी घोषणा की थी. सरकार आने पर कृषि एक्ट में जो कानूनी पाबंदियां हैं, उससे किसानों को मुक्ति दिलाएंगे. किसानों के लिए मंडियों के अलावा अन्य दूसरे विकल्प की भी व्यवस्था करेंगे. साथ ही छोटी जोत के किसानों को खुशहाल करने का प्रयास कर रहे हैं. पीएम मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से सुधार के लिए व्यापक अभियान चलाए जा रहे हैं. किसान सम्मान निधि के माध्यम से किसानों को 6 हजार प्रतिवर्ष देने का काम किया गया है.