सहारनपुर: शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के हिंदू धर्म अपनाने के बाद देवबंदी उलेमाओं की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है. इत्तेहाद उलेमा-ए-हिन्द के उपाध्यक्ष मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि उनके इस्लाम धर्म कबूल करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मैं पहले भी उन्हें मुस्लिम नहीं मानता था.
देवबंद के इत्तेहाद उलेमा-ए-हिन्द के उपाध्यक्ष मुफ्ती असद कासमी ने कहा वसीम रिजवी के बारे में मैं यही कहना चाहूंगा कि इस शख्स को हम पहले भी मुसलमान नहीं मानते थे. उन्होंने कहा वह शिया समुदाय से ताल्लुक रखते थे. इससे पहले उन लोगों ने भी उनके ऊपर कुफ्र का फतवा जारी कर दिया था. उन्होंने कहा वह मुसलमान तो इसलिए नहीं थे, क्योंकि कुरआने करीम जो नबी अली सलाम पर नाजिल हुआ उस कुराने पाक के अंदर से 26 आयते हटाने की उन्होंने मांग की थी. उन आयतों में पूरी दुनिया के मुसलमानों की आस्था है. उनके द्वारा एक किताब लिखी गई, इसीलिए यह शख्स पहले से ही मुसलमान नहीं था.
ज्ञात हो कि शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया है. सोमवार सुबह गाजियाबाद के डासना मंदिर में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने उन्हें सनातन धर्म में शामिल कराया. वसीम रिजवी ने हिंदू बनने के बाद कहा कि मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया गया है, हमारे सिर पर हर शुक्रवार को इनाम बढ़ा दिया जाता है, आज मैं सनातन धर्म अपना रहा हूं. उनसे जब पूछा गया कि वह धर्म परिवर्तन क्यों कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन की यहां पर कोई बात नहीं है. जब मुझको इस्लाम से निकाल ही दिया गया, तब यह मेरी मर्जी है, कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं. उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है और उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं. इंसानियत पाई जाती है. हम यह समझते हैं, किसी और दूसरे धर्म में नहीं है.