रामपुरः कहावत है कि जब मेड़ ही खेत को खाने लगे तो फिर अंजाम क्या होगा? ऐसा ही कुछ हाल है गरीबों के सर पर छत मुहैया कराने की प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का. यह योजना खुद ग्राम प्रधान और विभागीय अधिकारी मिलकर डूबा रहे हैं. जिन गरीबों के सिर के ऊपर छत नहीं है, उनसे योजना का लाभ दिए जाने के लिए 20 हजार रुपए की मांग की जा रही है. मांग पूरी न होने पर पात्रों को अपात्र बनाने का गोरखधंधा चलाया जा रहा है. यह मामला प्रकाश में उस समय आया जब अनुसूचित जाति की एक महिला अपने बच्चों और बकरी को लेकर सरकारी स्कूल में पनाह लेने पहुंच गई. कड़कड़ाती सर्दी से अपने को बचाने के लिए उसने स्कूल के अंदर डेरा डाल दिया. हालांकि प्रधान की शिकायत पर पुलिस ने उसे वहां से भी हटा दिया.
मिलक तहसील की घटना
घटना रामपुर जिले की मिलक तहसील के गांव पुरैनिया कला की है. यहां स्थित प्राथमिक विद्यालय में एक गरीब महिला ने डेरा डाल लिया था. उसने अपने 5 बच्चों और बकरी को साथ में रखा हुआ था. कई दिन बीतने पर जब सूचना ग्राम प्रधान को मिली तो ग्राम प्रधान ने पुलिस के जरिए उसको स्कूल परिसर से खदेड़ दिया.
महिला का दर्द
घटना की जानकारी होने पर ईटीवी भारत के संवाददाता ने उसके घर जाकर जब जानकारी जुटाई तो पीड़ित भूरी ने अपना दर्द बयां किया. भूरी ने कहा कि हमारे पास रहने को ठिकाना नहीं है. हम सरकारी स्कूल में रहे मगर हमें वहां से भी निकलवा दिया गया. प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन किया तो प्रधान जी ने हमसे 20,000 रुपए मांगे. हमने पैसे नहीं दिए तो प्रधान ने हमारा नाम काट दिया. हमने 3 बार कॉलोनी के लिए फार्म भरा है. भूरी ने कहा कि जब ठंड ज्यादा पड़ी और रहने की घर में जगह नहीं थी तो मैं सरकारी स्कूल में जाकर रहने लगी. चार दिन स्कूल में रहे पर पांचवें दिन प्रधान ने पुलिस से निकलवा दिया.
ये है समस्या
पुरैनिया कला गांव में पप्पू नामक एक गरीब मजदूर रहता है. जिसके 5 बच्चे हैं. उसका कच्चा मिट्टी का मकान बना है. पप्पू अनुसूचित जाति का व्यक्ति है. पप्पू को प्रधानमंत्री योजना के तहत आवास नहीं मिला. पप्पू की पत्नी के मुताबिक उससे प्रधान ने ₹20000 मांगे थे जो वह नहीं दे सके तो उसका नाम पात्र की लिस्ट से हटा दिया गया. नाम हटवाने के लिए उसे अनुसूचित जाति का होने के बावजूद सामान्य लिस्ट में रख कर उसकी वरीयता ली गई इसलिए उसको आवास नहीं मिला. बताया जा रहा है कि पप्पू जैसे कई लोग ऐसे हैं जिनके कच्चे मकान हैं, उसके बावजूद उनको प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास नहीं मिला.
अधिकारी ने माना, हुई गड़बड़ी
इस मामले पर जब परियोजना निदेशक एमएल व्यास से बात की तो उन्होंने पीड़िता के साथ हुए अन्याय की पुष्टि करते हुए बताया पुरैनिया कला गांव में 2018 में सर्वे हुआ था. सर्वे के आधार पर सूची तैयार कराई गई है. उस समय जो सचिव था, वही सचिव आज भी गांव में तैनात है. उसके द्वारा जो 54 नामों की सूची दी गई थी, जिसमें आठ लोग एससी के थे उनका आवास बनवाया गया था. 4 सामान्य को आवास दिया गया. उन्होंने यह भी माना की जिस व्यक्ति पप्पू की शिकायत है उसका नाम लिस्ट में 24 नंबर पर है, जो अदर पर शो कर रहा है जबकि वे अनुसूचित का व्यक्ति है. अगर एससी कैटेगरी में इसका नाम लिखा होता तो इसको अब तक आवास मिल गया होता. सचिव द्वारा डाटा फीडिंग के दौरान उसकी कैटेगरी को सही से फीड नहीं किया गया. जिससे वह अभी लाभ से वंचित हो गया है. अगली बार जब लक्ष्य मिलेगा तब इस व्यक्ति को लाभ मिलेगा. ग्राम पंचायत अधिकारी के सत्यापन में गलती हुई है. एससी का नाम अदर कैटेगरी में चला गया, इस वजह से उसको लाभ नहीं मिल पाया. ब्लॉक में सचिव की गलती है. उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.