रामपुरः कोरोना काल में देश के सभी कारोबार के साथ पर्व और त्योहारों पर भी असर पड़ा है. ऐसे में दशहरे पर जलाए जाने वाले रावण के पुतले भी कम जलाए जाने लगे हैं, जिससे पुतला बनाने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. जिले में रावण के पुतले सिर्फ मुसलमान समाज के ही लोग बनाते हैं. 15 तारीख को दशहरा है और रावण का पुतला जलाया जाएगा. जिसको लेकर मुस्लिम समाज के लोग रावण के पुतले बना रहे हैं. लेकिन कारीगरों को कोरोना काल के पहले की अपेक्षा में बहुत कम ऑर्डर मिल रहे हैं. कारीगरों का कहना है कि अब लोग रावण के छोटे पुतले का ऑर्डर कर रहे हैं.
कारीगरों का कहना है कि कोरोना की वजह से हमारा कारोबार बिल्कुल खत्म हो गया है. पिछले 2 साल में सरकार ने भी हमारी कोई मदद नहीं की. इस बार हम रावण के पुतले बना रहे हैं लेकिन कारोबार की स्थिति बहुत ही दयनीय है. पहले के मुकाबले में हमारा कारोबार आधा रह गया है.
कारीगर मंजूर खान ने बताया कि कोरोना की वजह से कारोबार बिल्कुल बिगड़ गया है. पिछले 2 साल से कारोबार बहुत मंदा हो गया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल बड़े- बड़े रावण के पुतले बनाए थे, जो बिक नहीं पाए. इसके बाद पुतलों को तोड़-फोड़कर जलाना पड़ा, जिससे दो लाख रुपये का नुकसान हुआ. मंजूर खान ने बताया कि इस बार भी बड़े-बड़े रावण के पुतले बनाए हैं. जबकि पुतले खरीदने वाले छोटे पुतले की मांग कर रहे हैं, क्योंकि जलाने की परमिशन नहीं है.
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मंजूर खान ने बताया कि मुझे 35 से 40 सालों से पुतले बनाने का काम करते हैं. लेकिन पिछले 2 सालों में बहुत बुरी स्थिति में पहुंच गए हैं, इसलिए अब पुतले बनाने का मन नहीं करता. मंजूर खान ने कहा, सरकार से हमें कोई मदद नहीं मिली. मंजूर खान ने कहा रामपुर में हमारे अलावा कोई रावण नहीं बनाता है. वहीं, एक दूसरे कारीगर अब्दुल रहमान ने बताया कि कोई कारोबार नहीं है, सिर्फ मजदूरी के लायक काम हो रहा है. सरकार भी कोई मदद नहीं कर रही है.