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लखीमपुर हिंसा में किसान की टूटी टांग, फिर भी आंदोलन में हिस्सा लेने का जज्बा बरकरार - कृषि कानून का विरोध

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में रामपुर जिले के एक किसान की गाड़ी चढ़ने से टांग टूट गई है. किसान का अस्पताल में इलाज चल रहा है. आइये जानते हैं घायल के किसान के परिवार वालों का क्या कहना है...

लखीमपुर हिंसा में किसान की टूटी टांग.
लखीमपुर हिंसा में किसान की टूटी टांग.
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Published : Oct 10, 2021, 3:54 PM IST

रामपुरः लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में जिले के एक किसान भी घायल हुए हैं, जिनका उपचार अस्पताल में चल रहा है. बिलासपुर तहसील क्षेत्र के सैकड़ों किसानों में से एक गुरजीत सिंह कोटिया हैं, जो कृषि कानून के विरोध में चल रहे पिछले 10 महीनों से किसान आंदोलनों का हिस्सा बने हुए हैं. गुरजीत सिंह ने अपना घर बार छोड़ कर लगातार किसान आंदोलन में हिंसा ले रहे हैं.

लखीमपुर हिंसा में किसान की टूटी टांग.

गुरजीत सिंह 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में आयोजित उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम का विरोध करने अपने साथियों के साथ पहुंचे थे. जहां अचानक भड़की हिंसा में गुरजीत सिंह भी शिकार भी हो गए. हालांकि गुरजीत सिंह बाल-बाल बच गए और उनके सिर्फ शरीर पर चोटे ही आईं. घायल अवस्था में गुरजीत सिंह कोटिया को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां पर उनका उपचार जारी है. वहीं, गुरजीत सिंह की पत्नी, पुत्री व पिता उनकी सलामती की दुआ ईश्वर से करते नहीं थक रहे हैं. परिवार के हालात खस्ता हैं. खेती-बाड़ी भी पत्नी व पुत्री के हवाले हैं. बूढ़े पिता भी अधिकतर बीमार रहते हैं, बावजूद इसके गुरजीत किसान आंदोलन का हिस्सा बना रहना चाहते हैं. घायल अवस्था और आंदोलन में भाग लेने पर गुरजीत सिंह के परिवार वालों का क्या कहना है, सुनाते हैं उनकी जुबानी.


हरमनप्रीत कौर ने कहा कि मेरे पति गुरजीत सिंह कोटिया किसान आंदोलन में हिस्सा लेने गए थे. लखीमपुर में उनके पति के ऊपर गाड़ी चढ़ाई गई है, जिससे उनकी टांग टूट गई है, जिसका ऑपरेशन भी हुआ है. हरमनप्रीत का कहना है कि हम तो सरकार से बहुत ज्यादा परेशान हैं. उन्होंने कहा कि सरकार काले कानून वापस ले ले. क्योंकि कृषि कानून के विरोध में चल रहे धरने में मेरे पति शामिल होने घर छोड़कर चले जाते हैं. उनकी गैरमौजूदगी में घर के साथ बच्चों को भी देखना है. बुजुर्ग ससुर को भी मुझे देखना पड़ रहा है, जिससे बहुत परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि सरकार अच्छी होती तो हमें यह दिन देखना नहीं पड़ता. हम सरकार से परेशान हैं. हम तो यही कह रहे हैं सरकार ने काले कानून थोप दिए हैं, उसे वापस ले ले. हरमनप्रीत ने कहा कि मेरा बेटा प्रबजोथ सिंह और बेटी गगनप्रीत कौर के सहारे घर चलाने में परेशानी यही आ रही है. उन्होंने कहा कि पति गुरजीत सिंह घर पर नहीं होते हैं तो पूरा काम मुझे ही करना पड़ता है. हरमनप्रीत कौर ने कहा कि उनके पति गुरजीत सिंह ठीक होने के बाद फिर से आंदोलन में हिस्सा लेने जाएंगे.

इसे भी पढ़ें-लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा को भेजा गया जेल, कल होगी सुनवाई

बता दें कि रामपुर का तहसील बिलासपुर क्षेत्र किसानों का गढ़ माना जाता है. यह इलाका तराई बेल्ट के साथ ही मिनी पंजाब भी कहलाता है. कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि के किसानों का तकरीबन 10 महीने से दिल्ली बॉर्डर पर धरना जारी है. अब जैसे-जैसे यूपी विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं किसान भाजपा सरकारों के विरोध में खुलकर सामने आते चले जा रहे हैं. रामपुर के किसान भी बड़ी मजबूती के साथ सरकार विरोधी आंदोलनों और धरनों में हिस्सा ले रहे हैं. इसी क्रम में गुरजीत सिंह भी लखीमपुर में हो रहे आंदोलन में हिस्सा लेने गए थे. जहां केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पुत्र और उनके समर्थकों ने अपनी गाड़ी से किसानों को कुचलने के आरोप लगे हैं. जिससे 4 किसानों की मौत हो गई है, वहीं कई किसान भी घायल हुए हैं. जिसमें बिलासुपर तहसील के गुरजीत सिंह भी शामिल हैं.

रामपुरः लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में जिले के एक किसान भी घायल हुए हैं, जिनका उपचार अस्पताल में चल रहा है. बिलासपुर तहसील क्षेत्र के सैकड़ों किसानों में से एक गुरजीत सिंह कोटिया हैं, जो कृषि कानून के विरोध में चल रहे पिछले 10 महीनों से किसान आंदोलनों का हिस्सा बने हुए हैं. गुरजीत सिंह ने अपना घर बार छोड़ कर लगातार किसान आंदोलन में हिंसा ले रहे हैं.

लखीमपुर हिंसा में किसान की टूटी टांग.

गुरजीत सिंह 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में आयोजित उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम का विरोध करने अपने साथियों के साथ पहुंचे थे. जहां अचानक भड़की हिंसा में गुरजीत सिंह भी शिकार भी हो गए. हालांकि गुरजीत सिंह बाल-बाल बच गए और उनके सिर्फ शरीर पर चोटे ही आईं. घायल अवस्था में गुरजीत सिंह कोटिया को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां पर उनका उपचार जारी है. वहीं, गुरजीत सिंह की पत्नी, पुत्री व पिता उनकी सलामती की दुआ ईश्वर से करते नहीं थक रहे हैं. परिवार के हालात खस्ता हैं. खेती-बाड़ी भी पत्नी व पुत्री के हवाले हैं. बूढ़े पिता भी अधिकतर बीमार रहते हैं, बावजूद इसके गुरजीत किसान आंदोलन का हिस्सा बना रहना चाहते हैं. घायल अवस्था और आंदोलन में भाग लेने पर गुरजीत सिंह के परिवार वालों का क्या कहना है, सुनाते हैं उनकी जुबानी.


हरमनप्रीत कौर ने कहा कि मेरे पति गुरजीत सिंह कोटिया किसान आंदोलन में हिस्सा लेने गए थे. लखीमपुर में उनके पति के ऊपर गाड़ी चढ़ाई गई है, जिससे उनकी टांग टूट गई है, जिसका ऑपरेशन भी हुआ है. हरमनप्रीत का कहना है कि हम तो सरकार से बहुत ज्यादा परेशान हैं. उन्होंने कहा कि सरकार काले कानून वापस ले ले. क्योंकि कृषि कानून के विरोध में चल रहे धरने में मेरे पति शामिल होने घर छोड़कर चले जाते हैं. उनकी गैरमौजूदगी में घर के साथ बच्चों को भी देखना है. बुजुर्ग ससुर को भी मुझे देखना पड़ रहा है, जिससे बहुत परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि सरकार अच्छी होती तो हमें यह दिन देखना नहीं पड़ता. हम सरकार से परेशान हैं. हम तो यही कह रहे हैं सरकार ने काले कानून थोप दिए हैं, उसे वापस ले ले. हरमनप्रीत ने कहा कि मेरा बेटा प्रबजोथ सिंह और बेटी गगनप्रीत कौर के सहारे घर चलाने में परेशानी यही आ रही है. उन्होंने कहा कि पति गुरजीत सिंह घर पर नहीं होते हैं तो पूरा काम मुझे ही करना पड़ता है. हरमनप्रीत कौर ने कहा कि उनके पति गुरजीत सिंह ठीक होने के बाद फिर से आंदोलन में हिस्सा लेने जाएंगे.

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बता दें कि रामपुर का तहसील बिलासपुर क्षेत्र किसानों का गढ़ माना जाता है. यह इलाका तराई बेल्ट के साथ ही मिनी पंजाब भी कहलाता है. कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि के किसानों का तकरीबन 10 महीने से दिल्ली बॉर्डर पर धरना जारी है. अब जैसे-जैसे यूपी विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं किसान भाजपा सरकारों के विरोध में खुलकर सामने आते चले जा रहे हैं. रामपुर के किसान भी बड़ी मजबूती के साथ सरकार विरोधी आंदोलनों और धरनों में हिस्सा ले रहे हैं. इसी क्रम में गुरजीत सिंह भी लखीमपुर में हो रहे आंदोलन में हिस्सा लेने गए थे. जहां केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पुत्र और उनके समर्थकों ने अपनी गाड़ी से किसानों को कुचलने के आरोप लगे हैं. जिससे 4 किसानों की मौत हो गई है, वहीं कई किसान भी घायल हुए हैं. जिसमें बिलासुपर तहसील के गुरजीत सिंह भी शामिल हैं.

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