रामपुर: हर इंसान की आखिरी हसरत होती है कि मरने के बाद उसकी अर्थी या मैयत को चार आदमी कंधा देकर इस दुनिया से रुखसत करें. लेकिन उत्तर प्रदेश के रामपुर में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना उस समय सामने आई जब एक लावारिस व्यक्ति के शव को पोस्टमार्टम के बाद ठेली में रखकर दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट तक पहुंचाया गया. हालांकि जैसे ही यह मामला डीएम के संज्ञान में आया तो उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ जांच बैठा दी.
थाना सिविल लाइन क्षेत्र में कुछ दिन पहले एक नेपाली व्यक्ति की मौत हो गई. इसके बाद उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल लाया गया. मृतक लावारिस था और नेपाल का रहने वाला था, जिसके चलते उसके परिजनों से इस घटना के संबंध में कोई संपर्क नहीं हो सका था. अब कई दिन इंतजार करने के बाद भी जब उसके परिजनों से शव के दाह संस्कार को लेकर संपर्क नहीं हो सका तो स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने हैवानियत और लापरवाही की सारी हदें पार कर दी.
उन्होंने लावारिस शव को एक ठेली में रखकर दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट तक पहुंचा दिया. जैसे ही इंसानियत को शर्मसार करने वाली यह घटना कैमरे में कैद हुई तो हाहाकार मच गया. मामला जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तत्काल इस पर एक्शन लेते हुए स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ जांच बैठा दी. वहीं इसकी जांच का जिम्मा नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा गया है.
सूबे की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने मरीजों की तकलीफ को कम करने के लिए 108 एवं 102 एंबुलेंस सेवा का चलन शुरू किया था. लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद इस एंबुलेंस सेवा में धीरे-धीरे कर ब्रेक लगने शुरू हो गए, जिसका अंजाम यह हुआ कि रामपुर जिला अस्पताल परिसर में खड़ी आधा दर्जन एंबुलेंस या तो कबाड़ हो चुकी हैं या फिर कबाड़ होने की कगार पर हैं. अगर इन एंबुलेंस की हालत ऐसी न होती तो शायद लावारिस युवक के शव को ठेली में रखकर शमशान तक पहुंचाने की नौबत न आती.
मामला संज्ञान में आने पर तत्काल एसीएमओ मनोज शुक्ला द्वारा इससे संबंधित कर्मी के विरुद्ध कार्रवाई की गई है, ताकि आगे से इस तरह की घटना न हो.
-रामजी मिश्र, नगर मजिस्ट्रेट