रायबरेली: वैसे तो रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है. सदर विधानसभा से कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में कई बार जीत का स्वाद भी चखा. लेकिन, यहां के लोग इस जीत में भी कहीं न कहीं कांग्रेस के बजाय एक व्यक्ति विशेष का रोल मानते हैं. बताते चले कि 1993 विधानसभा चुनावों में इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर बाहुबली अखिलेश कुमार सिंह ने ताल ठोकी और जीत का स्वाद चखा. उसके बाद से लगातार वो इस सीट से चुनाव लड़ते रहे और जीतते भी रहे. फिर चाहे वो निर्दलीय लड़े या पीस पार्टी जैसे क्षेत्रीय पार्टी के सिम्बल पर, लोगों ने जीत का सेहरा उन्हें ही पहनाया.
सदर विधानसभा
अखिलेश कुमार सिंह ने इस सीट पर पांच बार विजय पताका फहराई है, जिसमे तीन बार वह कांग्रेस के टिकट पर तो एक बार निर्दलीय और एक बार पीस पार्टी से चुनाव लड़े और जीते.
2012 विधानसभा चुनावों की जीत के बाद उनका स्वास्थ्य गिरता गया और वो गम्भीर बीमारी से पीड़ित हुए तो 2017 में उन्होंने ये सीट अपनी बड़ी पुत्री अदिति सिंह को सौंप दी. अदिति ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए अपने प्रतिद्वंदी बसपा के प्रत्याशी को लंबे अंतराल से हराया. मौजूदा समय मे अदिति सिंह यंहा से विधायक है लेकिन कांग्रेस के टिकट पर जीत के आने के बाद उनका जुड़ाव मौजूदा भाजपा सरकार से होने के कारण उन्होंने सुर्खिया बटोरी.
कुल मतदाता | 3,46,370 |
पुरुष | 1,83,000 |
महिला | 1,63,359 |
ट्रांसजेंडर | 11 |
चुनाव परिणाम
विधानसभा 2017 के परिणाम
नाम | पार्टी | मिले मत |
अदिति सिंह | कांग्रेस | 128319 |
शाहबाज खान | बसपा | 39156 |
अनीता श्रीवास्तव | भाजपा | 28821 |
बता दें कि सपा ने इस चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दिया था और अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था.
विधानसभा 2012 का परिणाम
नाम | पार्टी | मिले मत |
अखिलेश कुमार सिंह | पीइसीपी | 75588 |
राम प्रताप यादव | सपा | 46094 |
अवधेश बहादुर सिंह | कांग्रेस | 35660 |
पुष्पेंद्र सिंह | बसपा | 18809 |
विधानसभा 2007 का परिणाम
नाम | पार्टी | मिले मत |
अखिलेश कुमार | निर्दलीय | 76603 |
रुद्र प्रताप सिंह | कांग्रेस | 29892 |
राजीव कुमार | सपा | 16236 |
राम लौटन सिंह | बसपा | 11540 |
विधानसभा 2002 परिणाम
नाम | पार्टी | मिले मत |
अखिलेश कुमार सिंह | कांग्रेस | 115869 |
राजीव कुमार | सपा | 20032 |
अरविंद सिंह | एल जे एन एसपी | 8327 |
राम नरायन | बसपा | 4941 |
इस सीट से लगातार जीत की पताका फहरा रहे सिंह परिवार को सिर पर एक बार फिर जीत का सेहरा सजेगा या हार का सामना करना पड़ेगा यह तो आगामी विधानसभा चुनावों के बाद ही पता चलेगा मगर इस सीट पर का सियासी संग्राम देखने वाला होगा, क्योंकि राजनीतक लहजे से मजबूत इस सीट पर कांग्रेस से जीती अदिति सिंह गाहे बगाहे कांग्रेस के खिलाफ ही बगावती तेवर दिखाती रहती हैं.