रायबरेली : शुरुआती दौर में कांग्रेस की लापरवाही और फिर भाजपा की सियासी अनदेखी का नतीजा रहा कि रायबरेली एम्स परवान नहीं चढ़ सका. दो राजनैतिक दलों की अनदेखी का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि बीते कई सालों में किसी बड़े नेता ने एम्स का दौरा करना तक मुनासिब नहीं समझा. नतीजा यह रहा कि एम्स रायबरेली जैसे जनहितकारी प्रोजेक्ट को सही मायनों में वह पंख नहीं मिल सके, जिससे वह उड़ान भरने में कामयाबी हासिल कर सके. हालांकि, भाजपा शासनकाल में अगस्त 2018 से एम्स में ओपीडी सेवाओं की शुरुआत की जा चुकी है, मगर अभी भी इस संस्थान में बहुत कुछ किया जाना बाकी है.
गांधी परिवार का गढ़ करार दिए जाने वाले रायबरेली में यूपीए सरकार के दौरान एम्स स्थापना की घोषणा हुई थी. तत्कालीन विपक्ष में रहे भाजपाइयों समेत प्रदेश के अन्य सभी दलों ने इसकी रायबरेली में स्थापना का पुरजोर विरोध किया था. जिसका नतीजा रहा कि एम्स रायबरेली निर्धारित समय पर शुरु न हो सका और जब एम्स रायबरेली में ओपीडी सेवाओं की शुरुआत 2018 में हुई तब केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार सत्ता पर काबिज हो गई थी.
अगले साल शुरू होंगी ज्यादातर सुविधाएं
ईटीवी भारत ने अपनी पड़ताल में एम्स रायबरेली परिसर में जाकर दी जा रही सुविधाओं के बारें में जब अस्पताल प्रशासन के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी समीर शुक्ला से बातचीत की तो उन्होनें दावा किया कि अगले वर्ष मार्च 2020 तक एम्स में ज्यादातर सुविधाएं शुरु हो जाएंगी. उन्होंने उम्मीद जताया कि अपने रुतबे के अनुरूप एम्स सेवाएं देने में कामयाब रहेगा.
एम्स एडमिनिस्ट्रेशन के वर्तमान में स्थानीय प्रमुख समीर शुक्ला ने बताया कि एम्स रायबरेली का गैजेट नोटिफिकेशन अगस्त 2013 में हुआ था और एम्स रायबरेली में ओपीडी के सर्विसेज 13 अगस्त 2018 से शुरू की जा चुकी हैं. पीजीआई चंडीगढ़ को फिलहाल एम्स रायबरेली के मेंटरशिप बनाएं जाने की जानकारी देते हुए समीर शुक्ला ने बताया कि एम्स में आईपीडी सुविधाएं संभवतः अगले वर्ष मार्च 2020 से शुरु हो जाएंगी.
मेडिकल क्लासेज की इसी सत्र से होगी शुरुआत
समीर शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में 2019 से एम्स रायबरेली में मेडिकल क्लासेज का पहला सत्र शुरु हो रहा है. पीएम मोदी ने बीते वर्ष 16 दिसंबर को अपने रायबरेली दौरे में इसकी शुरुआत को लेकर औपचारिक घोषणा की थी, मगर जमीन अधिग्रहण को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है और उसी का नतीजा है कि काम मे तेजी नहीं आ पा रही है.
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा ने सत्तारूढ़ दल भाजपा पर एम्स रायबरेली के साथ सौतेला व्यवहार किए जाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सोनिया जी के प्रयासों से 900 बेड का एम्स स्वीकृत हुआ था, मगर विपक्षी सरकार ने उसे 600 बेड का कर दिया.
यूपीए सरकार के कार्यकाल में मिली थी एम्स की स्वीकृति
एम्स रायबरेली की स्वीकृति यूपीए सरकार के प्रथम कार्यकाल में साल 2007 में ही दी जा चुकी थी, लेकिन जमीन मिलने में ही करीब पांच से ज्यादा साल बीत गए. साल 2012 में 150 में से 97 एकड़ भूमि अधिगृहीत हो पाई. उसके बाद 2013 में सोनिया गांधी ने इसका शिलान्यास किया था. अभी भी करीब 50 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होना बाकी है. एम्स में ओपीडी की शुरुआत होते ही देश की दोनों बड़ी सियासी पार्टियों के बीच इसका श्रेय लेने की होड़ सी मच गई.
भाजपा के वर्तमान लोकसभा प्रत्याशी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ने अपने भाषणों में एम्स रायबरेली का जिक्र किया मगर अधूरी सुविधाओं के साथ एम्स का शुरु होना खुशी से ज्यादा स्थानीय लोगों को अखरता है. बहरहाल, एम्स प्रशासन के दावों को माने तो अगले एक साल में अपने ख्याति के अनुरूप एम्स में हर वह सुविधाएं मिलने लगेंगी, जिससे रायबरेली व आस पड़ोस के जनपदों के गंभीर रोगियों को इलाज के लिए बड़े शहरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.