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स्वामी विवेकानंद ने सबसे पहले दरिद्रों को दी थी 'नारायण' की उपाधि : स्वामी वरिष्ठानंद

स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था. स्वामीजी के देश के लिये किये गये कार्यों से पूरी दुनिया अवगत है. स्वामी विवेकानंद के संस्मरणों को याद करते हुये वाराणसी के रामकृष्ण आश्रम के प्रभारी स्वामी वरिष्ठानंद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

स्वामी वरिष्ठानंद ने विवेकानंद के संस्मरणों को किया याद
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Published : Sep 13, 2019, 12:00 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

रायबरेली: स्वामी विवेकानंद भारत के उन महान सपूतों में हैं जिन्होंने देश की तरक्की को ही अपने जीवन का लक्ष्य माना. देशवासियों की गरीबी से आहत होकर गरीबों के उत्थान के लिए उन्होंने कई प्रेरणादायी प्रयास किए. स्वामी विवेकानंद से जुड़ी कई अनकही बातों का खुलासा वाराणसी के रामकृष्ण आश्रम के प्रभारी और पेशे से चिकित्सक स्वामी वरिष्ठानंद ने किया.

स्वामी वरिष्ठानंद से बातचीत.

इसे भी पढे़ं :- अमेठी के साथ रायबरेली के विकास को भी ‘स्मृति’ से आस

शिकागो के सर्वधर्म सम्मेलन के व्याख्यान के बाद व्यथित थे 'विवेकानंद'

वरिष्ठानंद बताते हैं कि 1893 के उस दौर में भारत अंग्रेजों का गुलाम हुआ करता था. यही कारण था कि 11 सिंतबर 1893 को शिकागो में विश्व धर्म सभा में दिए गये अतुल्य संबोधन के बाद जहां दुनिया के तमाम देशों का प्रबुद्ध वर्ग स्वामीजी के व्यक्तित्व का कायल हो गया था. वहीं खुद स्वामी विवेकानंद रात भर सो नहीं सके. उनकी व्यथा का मुख्य कारण यह था कि अमेरिका जैसे देशों में जहां लोग वैभव और विलासता के बीच अपना जीवन यापन कर रहे थे, वहीं उनकी मातृभूमि के लोग बेहद कठिनाइयों के बीच जीवन यापन करने को मजबूर थे.

'विश्व मानव' थे स्वामी विवेकानंद
विदेश से लौटने के बाद स्वामीजी राजपूताना गए जहां पर वह एक वृद्धा से काफी आत्मीयता से मिले. हालांकि उनका इस तरह मिलना कुछ लोगों को अटपटा लगा लेकिन उस वृद्धा ने कभी स्वामीजी को रोटी खिलाई थी. स्वामीजी बड़े-बड़े महाराजों और गणमान्य लोगों से मुलाकात करते थे. साथ ही आम आदमी और कमजोर तबके के लोग से भी बातचीत करते थे. यही कारण है कि न केवल भारत बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लोगों को स्वयं के कल्याण के लिए आज स्वामीजी के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है.

हृदय के जरिए ही परमात्मा बोलते हैं - स्वामी विवेकानंद
स्वामीजी के मानव को दिए गए मूल मंत्रों में बेहद अहम यह भी था कि हृदय को शिक्षित करके उसकी सुनें. इंसान की बुद्धि सीमित है और हृदय के रास्ते ही ईश्वर का संदेश प्राप्त होता है. यही कारण है कि शुद्ध हृदय से व्यक्ति किसी भी क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं का हल निकाल सकता है.

रायबरेली: स्वामी विवेकानंद भारत के उन महान सपूतों में हैं जिन्होंने देश की तरक्की को ही अपने जीवन का लक्ष्य माना. देशवासियों की गरीबी से आहत होकर गरीबों के उत्थान के लिए उन्होंने कई प्रेरणादायी प्रयास किए. स्वामी विवेकानंद से जुड़ी कई अनकही बातों का खुलासा वाराणसी के रामकृष्ण आश्रम के प्रभारी और पेशे से चिकित्सक स्वामी वरिष्ठानंद ने किया.

स्वामी वरिष्ठानंद से बातचीत.

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शिकागो के सर्वधर्म सम्मेलन के व्याख्यान के बाद व्यथित थे 'विवेकानंद'

वरिष्ठानंद बताते हैं कि 1893 के उस दौर में भारत अंग्रेजों का गुलाम हुआ करता था. यही कारण था कि 11 सिंतबर 1893 को शिकागो में विश्व धर्म सभा में दिए गये अतुल्य संबोधन के बाद जहां दुनिया के तमाम देशों का प्रबुद्ध वर्ग स्वामीजी के व्यक्तित्व का कायल हो गया था. वहीं खुद स्वामी विवेकानंद रात भर सो नहीं सके. उनकी व्यथा का मुख्य कारण यह था कि अमेरिका जैसे देशों में जहां लोग वैभव और विलासता के बीच अपना जीवन यापन कर रहे थे, वहीं उनकी मातृभूमि के लोग बेहद कठिनाइयों के बीच जीवन यापन करने को मजबूर थे.

'विश्व मानव' थे स्वामी विवेकानंद
विदेश से लौटने के बाद स्वामीजी राजपूताना गए जहां पर वह एक वृद्धा से काफी आत्मीयता से मिले. हालांकि उनका इस तरह मिलना कुछ लोगों को अटपटा लगा लेकिन उस वृद्धा ने कभी स्वामीजी को रोटी खिलाई थी. स्वामीजी बड़े-बड़े महाराजों और गणमान्य लोगों से मुलाकात करते थे. साथ ही आम आदमी और कमजोर तबके के लोग से भी बातचीत करते थे. यही कारण है कि न केवल भारत बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लोगों को स्वयं के कल्याण के लिए आज स्वामीजी के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है.

हृदय के जरिए ही परमात्मा बोलते हैं - स्वामी विवेकानंद
स्वामीजी के मानव को दिए गए मूल मंत्रों में बेहद अहम यह भी था कि हृदय को शिक्षित करके उसकी सुनें. इंसान की बुद्धि सीमित है और हृदय के रास्ते ही ईश्वर का संदेश प्राप्त होता है. यही कारण है कि शुद्ध हृदय से व्यक्ति किसी भी क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं का हल निकाल सकता है.

Intro:एक्सक्लूसिव रायबरेली/अमेठी : दरिद्र को 'नारायण' की उपाधि देने वाले पहले व्यक्ति स्वामी विवेकानंद थे - स्वामी वरिष्ठानंद

12 सिंतबर 2019 - बहादुरपुर - जायस

स्वामी विवेकानंद भारत के उन महान सपूतों में थे जिन्होंने देश की तरक्की को ही अपने जीवन का लक्ष्य माना।देशवासियों की गरीबी से आहत होकर गरीबों के उत्थान के लिए उनके द्वारा कई विशेष प्रयास किए गए।स्वामी विवेकानंद द्वारा ही दरिद्र को 'नारायण' की उपाधि दी गई।स्वामी विवेकानंद से जुड़ी कई अनकही बातों का खुलासा ETV संवाददाता से खास बातचीत में वाराणसी के राम कृष्ण आश्रम के प्रभारी व लंदन से डॉक्टरी की तालीम हासिल करके पेशे से चिकित्सक स्वामी वरिष्ठानंद ने किया।

शिकागो के सर्वधर्म सम्मेलन के व्याख्यान के बाद व्यथित थे 'विवेकानंद' -

वरिष्ठानंद बताते है कि 1893 के उस दौर में भारत अंग्रेज़ो का गुलाम हुआ करता था।यही कारण थी कि 11 सिंतबर 1893 को शिकागो में विश्व धर्म सभा मे दिए गए अतुल्य संबोधन के बाद जहां दुनिया के तमाम देशों के प्रबुद्ध वर्ग के लोग स्वामी जी के व्यक्तित्व के कायल हो गए थे वही खुद स्वामी विवेकानंद इस कदर परेशान रहे कि रात भर सो नही सके।उनकी व्यथा का मुख्य कारण यह था अमेरिका जैसे देशों में जहां लोग वैभव व विलासता के बीच अपना जीवन यापन कर रहे थे वही उनकी मातृभूमि के लोग बेहद कठिनाइयों के बीच जीवन यापन को मजबूर थे।




Body:'विश्व मानव' थे स्वामी विवेकानंद -

स्वामी विवेकानंद से जुड़े संस्मरणों के बारें में बताते हुए वरिष्ठानंद कहते है कि विदेश से लौटने के बाद स्वामीजी राजपूताना गए जहां पर एक वृद्धा से काफी आत्मीयता से मिले।हालांकि कुछ लोगों को यह अटपटा लगा पर उस वृद्धा ने कभी स्वामी जी को रोटी खिलाई थी।स्वामीजी बड़े - बड़े महाराजों व गणमान्य लोगों से मुलाकात करते साथ ही आम आदमी और कमजोर तबके के लोग से भी बातचीत करते थे,सभी के साथ बातचीत में उनका लहजा समान रहता था।यही कारण है कि वरिष्ठानंद कहते है कि न केवल भारत बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लोगों को स्वयं के कल्याण के लिए आज स्वामीजी के जीवन से प्रेरणा लेने की जरुरत है।

हृदय के जरिए ही परमात्मा बोलते है - स्वामी विवेकानंद

वरिष्ठानंद कहते है कि स्वामी जी द्वारा मानव मात्र को दिए गए मूल मंत्रो में बेहद अहम यह भी था कि हृदय को शिक्षित करके उसकी सुने,इंसान की बुद्धि सीमित है और हृदय के रास्ते ही ईश्वर का संदेश से प्राप्त होता है। यही कारण है शुद्ध हृदय से व्यक्ति किसी भी क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं का हल चाहे वो अर्थ जगत हो अथवा राजनीति बड़े ही संयमित तरीके से निकाल सकता है।







Conclusion:वन 2 वन : स्वामी वरिष्ठानंद - प्रभारी - राम कृष्ण मिशन, वाराणसी

प्रणव कुमार - 7000024034

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST
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