रायबरेली: पीएम मोदी के फ्लैगशिप योजनाओं में शुमार 'भारत नेट' परियोजना के तहत देश भर के सभी ग्राम पंचायतों को हाई स्पीड इंटरनेट की कनेक्टिविटी देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल क्रांति लाने के मकसद से शुरु हुई इस योजना को लेकर सरकार के नीति निर्माता खासे उत्साहित थे, साथ ही चुनावों को लेकर भी इसे गेम चेंजर स्कीम मान रहे थे. अब तक और बदलाव लाने में कितना कामयाब रही भारत नेट रायबरेली से पेश है स्पेशल रिपोर्ट.
केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना भारत-नेट प्रोजेक्ट की शुरुआत रायबरेली में कई वर्ष पूर्व ही हो चुकी है. इस योजना के तहत जिले के सभी ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ा जाना है. जिले की सभी 1066 ग्राम पंचायतें को योजना के तहत कवर किया जाना था. पहले चरण के फेज 1 में जून 2018 तक 10 ब्लॉकों की 515 ग्राम पंचायतों का टारगेट पूरा कर लिया गया था.
वहीं दूसरे फेज में 11 ब्लॉक के 551 ग्राम पंचायतों को कनेक्टिविटी दिए जाने का प्लान था. इस फेज में फिलहाल करीब 60 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है,निर्धारित समय से प्रोजेक्ट में भले ही थोड़ी देर हो रही हो पर बीएसएनएल के टीडीएम दावा करते है कि जनपद में जल्द ही सभी पंचायतों को हाई स्पीड डेडिकेटेड फाइबर की कनेक्टिविटी प्रदान कर दी जाएगी.
वहीं इस मामले पर बीएसएनएल रायबरेली परिक्षेत्र के टेलीकॉम डिविशनल मैनेजर प्रवीण पांडेय ने दावा किया कि उनके द्वारा 21 ब्लॉकों में किये जा रहे प्रोजेक्ट में रायबरेली के अलावा अमेठी जनपद के छ ब्लॉक भी शामिल है.
पांडेय ने ईटीवी भारत से बातचीत में दावा किया कि भारत नेट परियोजना में थोड़ी बहुत जो देरी हो रही है. उसका मुख्य कारण एनएचएआई और रेलवे से जुड़ी अनुमति है पर अब उनको भी सुलझा लिया गया है, जिससें प्रोजेक्ट में अब ज्यादा देरी नहीं होगी.
विभागीय अधिकारियों का यह भी कहना है कि योजना का मकसद विशेष और अत्याधुनिक नेटवर्क तैयार करना है. जो भविष्य में किसी भी प्रकार की तकनीकि खामियों से मुक्त होगा. जिसमें जिले और प्रखंडों के बीच में ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई जाएगी, विशेष रूप से इसमें रिंग टोपोलॉजी का उपयोग किया जाएगा. जिससे कि व्यर्थ का संचरण रोका जा सके.