रायबरेली: जिले के गांव कचनारा के रहने वाले आनंद मिश्रा की कहानी काफी रोचक है. आनंद मिश्र एक प्रतिष्ठित प्लास्टिक फर्नीचर कंपनी में मैनेजर थे. उत्पाद की क्वालिटी को सुनिश्चित करना उनका काम था, लेकिन नौकरी में उनका मन नहीं लगा. ऐसे में मेरठ की शोभित यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन करने वाले आनंद ने अपनी राह बदलने की ठानी और सालाना करीब ग्यारह लाख का पैकेज ठुकराकर वे गांव लौट आए.
सधे कदमों व बेहतर रणनीति से साधारण सी पृष्ठभूमि के इस सामान्य किसान ने अपनी कामयाबी के बलबूते 'लेमन मैन' की उपाधि हासिल की और असाधारण जज्बे का परिचय दिया. नींबू के उत्पादन से आनंद ने पूरे प्रदेश में नाम कमाया और इसको अंतिम पड़ाव न मानकर आगे बढ़ने की ठानी. पीएम मोदी के प्रशंसक व किसानों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से रखने वाले आनंद अब नई बुलंदियों को छूने को बेताब दिख रहे हैं और इसी क्रम में उनके द्वारा नींबू के साथ ही अमरूद की खेती भी शुरू करने का मन बनाया है.
खेती सीखने आते हैं किसान
इस प्रयास में वह इजराइल की तकनीक का प्रयोग करके अच्छे परिणाम लाने में आश्वस्त दिख रहे हैं. खास बात यह है कि 'लेमन मैन' से प्रेरणा लेकर जिले के अलावा आस पड़ोस के जनपदों के तमाम युवक उनसे मिलने के लिए उनके गांव का रुख करते हैं. देश के कई किसान आनंद मिश्रा से नींबू की खेती सीखने केे लिए आते हैं. 'लेमन मैन' के नाम से विख्यात आनंद मिश्रा सकारात्मक रवैये व बेहतरीन सोच के जरिए नींबू की बागवानी के कार्य को शिखर पर ले जाने के बाद अब अमरूद की बागवानी का भी रुख कर रहे हैं.
'कर सकते हैं हर महीने कमाई'
पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के मूलमंत्र से प्रभावित 'लेमन मैन' किसानों की आय को बढ़ाने के लिए भी प्रयासरत दिखते हैं. उनका मानना है कि देश के किसान की सबसे बड़ी समस्या नियमित आमदनी न होना है. परंपरागत खेती से जुड़े किसानों के लिए सालभर में सिर्फ दो-तीन ऐसे अवसर आते हैं, जब उन्हें अपनी उपज का सही मूल्य मिलता है. यही कारण है कि किसानों के पास ज्यादातर समय धन का अभाव ही रहता है. आनंद मिश्रा ने बताया कि किसान नींबू और अमरूद के खेती के चलते साल के लगभग सभी महीनों में कमाई कर सकते है. नींबू की खेती करने वाले लेमन मैन आनंद मिश्रा को कई पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2018-19 में 'लेमन मैन' को चौधरी चरण सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया जा चुका है.
निजी कंपनी में करते थे नौकरी
रायबरेली मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर डीह थाना क्षेत्र का गांव कचनारा में बेहद सामान्य परिवार से तालुक रखने वाले आनंद मिश्रा कुछ साल पहले तक एक निजी कंपनी में कार्यरत थे. हालांकि बचपन से लेकर इंटरमीडिएट तक कि पढ़ाई उन्होंने रायबरेली से ही की थी, यही कारण था कि यहां की माटी में उनका मन रचा बसा था. गैर प्रान्त में नौकरी व घर से दूरी उन्हें ज्यादा सालों तक रास नहीं आई और उन्होंने गांव लौटने का मन बनाया. गांव में खेती के अलावा कुछ अन्य खास नहीं था, इसीलिए वह खेती में जुट गए. पहली बार उन्होंने पारंपरिक खेती धान व गेंहू में ही हाथ आजमाएं पर अगाध मेहनत के बाद ठोस परिणाम न मिलने से यह उन्हें रास नहीं आया.
'लेमन मैन का मिला है तमगा'
किसानों की समस्याओं को वे जान चुके थे और अब इसका निवारण ढूंढ रहे थे. तार्किक समझ व वैज्ञानिक सोच के जरिए काफी खोजबीन करके उन्होंने नींबू की बागवानी करने का मन बनाया. सपने बड़े थे, इसीलिए भागीरथी प्रयास भी उन्हें करना था. जब मेहनत रंग लाई तो ख्याति जिले व प्रदेश की सीमाओं को भी तोड़ती हुई देश के सुदूर कोनो में पहुंचने लगी. आनंद मिश्रा को 'लेमन मैन' का तमगा भी हासिल हो चुका है. अब वह युवाओं के रोल मॉडल भी बन चुके हैं. दूर-दूर से तमाम लोग उनसे मिलने आते हैं. आनंद सभी को बड़ी उत्सुकता से अपनी कामयाबी के विषय मे बताते हैं. खुद से पौधों को तैयार करने के लिए वह बाग में बूटी लगाने का काम भी करने लगे. आनंद मिश्रा स्थानीय महिला व पुरुष मजदूरों के साथ खुद भी पेड़ पौधों की देखरेख और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते हैं.
अमरूद की बागवानी कर रहे हैं शुरू
नींबू की बागवानी के साथ-साथ आनंद अमरूद की भी बागवानी शुरू कर रहे हैं. अमरूद के पेड़ों के लिए उनका दावा है कि एक साल के बाद अमरूद फल देना शुरू कर देंगे, बस उनको उगाने और उनकी देखरेख की तकनीक अच्छी होनी चाहिए. आनंद मिश्रा प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत बनाने में भी अपना योगदान बखूबी दे रहे हैं. दर्जनों मंचों से उनको सम्मान भी मिल चुके हैं.
इजरायली तकनीक से अमरूद की खेती
आनंद ने ईटीवी भारत से बात करने हुए कहा कि नींबू की बागवानी फायदे का सौदा रहा. उन्होंने नौकरी छोड़ी और अपने गांव आ गए. अब आमदनी भी अच्छी होने लगी है. कई हेक्टेयर में लेमन लगाने के बाद जब हजार से अधिक पौधे हो गए तब लगा कि सफलता के इस मूल मंत्र को औरों से भी साझा करना चाहिए, इससे अन्नदाता के बुरे हालात भी सुधर जाएंगे. आनंद ने बताया कि यह भी महसूस हुआ कि नींबू के साथ ही एक और फल की पैदावार से जुड़ा जा सकता है. मंथन के बाद मैंने अमरूद का चयन किया. एक विशेष किस्म के 'एल-49' के पौध के साथ इसकी शुरुआत हुई. आनंद दावा करते है कि अमरूद के पौधों में इजराइल तकनीक '3G - कटिंग' के सहारे रिकॉर्ड पैदावार की तैयारी है. शुरुआती दौर में करीब 80 से 100 पौधों से शुरुआत करने वाले आनंद कहते हैं कि सफल क्रियान्वयन के बाद इसको और व्यापक स्तर पर पंहुचाया जाएगा. आनंद कहते हैं कि यदि किसान नींबू के साथ ही अमरूद की भी बागवानी करने का मन बनाता है तो साल के लगभग सभी महीनों में आमदनी का जरिया बनाया जा सकता है.
युवाओं को सीखाते हैं खेती के गुर
'लेमन मैन' आनंद से मिलने आए एक युवक अंकित कुमार ने बताया कि एक मित्र के साथ वो यहां पर आएं थे. बागवानी में उन्हें हमेशा से ही दिलचस्पी रही है पर जब उन्हें यह पता चला रायबरेली जिले के एक किसान लेमन की बड़े पैमाने पर खेती करते हैं तब वह उनसे मिलने वहां पहुंचे. आनंद सर से गुर हासिल करके वह अपने गांव में भी इसकी बागवानी करेंगे.
रायबरेली के गौरव हैं आनंद
रायबरेली जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय में कार्यरत राजश्री कहती है कि सही मायनों में आनंद मिश्र रायबरेली के गौरव है. सभी किसान भाइयों के बीच 'लेमन मैन' नाम से मशहूर आनंद अब लेमन के साथ इजराइल की तकनीक के सहारे अमरुद की भी खेती का मन बना चुके है. उम्मीद हैं कि इस प्रयास में भी वह जरुर सफल होंगे और सभी किसानो के लिए नजीर बनकर सामने आएंगे.