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कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं है रायबरेली में अंबार मतई का प्राथमिक विद्यालय - यूपी के सरकारी स्कूल

पढ़ाई का स्तर देखते हुए लोग सरकारी विद्यालयों पर अक्सर सवाल उठाते हैं. कमोबेश उत्तरप्रदेश के सरकारी स्कूल मानकों और सुविधाओं के आधार पर अभिभावकों की उम्मीदों पर खरे भी नहीं उतरते हैं (Facility in government Schools of UP ). मगर रायबरेली के गांव अंबारा मतई के टीचरों ने लोगों की धारणा बदल दी है. टीचरों की मेहनत के कारण यह सरकारी विद्यालय अब कॉन्वेंट स्कूलों को टक्कर देता है.

Etv Bharat Ambar Matai Primary School of Rae Bareilly
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Published : Dec 28, 2022, 8:58 PM IST

अंबार मतई का प्राथमिक विद्यालय के बारे में जानकारी देते स्कूल के प्रिंसिपल

रायबरेली : देश के मानव संसाधन मंत्रालय के 2020 में दी गई जानकारी के अनुसार, उत्तरप्रदेश में 90,000 से अधिक प्राथमिक विद्यालय और 24,000 माध्यमिक विद्यालय हैं (government Schools of UP). इसी साल स्कूल शिक्षा विभाग की इकाई यूनाइटेड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि यूपी में सरकारी स्कूलों की संख्या में कमी आई है जबकि प्राइवेट स्कूल बढ़े हैं. सच यह भी है कि प्राइवेट स्कूलों में आम लोग मोटी फीस देकर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं क्योंकि सरकारी स्कूलों के प्रति पैरेंट्स की धारणा पॉजिटिव नहीं हैं. मगर रायबरेली के गांव अंबारा मतई के सरकारी स्कूल (Ambar Matai Primary School of Rae Bareilly ) ने अभिभावकों को धारणा बदल दी है.

रायबरेली के गदागंज विकासखंड के गांव अंबारा मतई में संचालित सरकारी प्राइमरी स्कूल (Ambar Matai Primary School) साफ-सफाई, पढ़ाई और खेल में कॉन्वेन्ट स्कूल को टक्कर दे रहा है. बच्चे टीवी स्क्रीन वाले स्मार्ट क्लास में पढ़ रहे हैं. टीचर बच्चों को ऑनलाइन गाइड करते हैं. कमजोर बच्चों की एक्स्ट्रा क्लासेज लगाई जा रही हैं. सुरक्षा के लिए स्कूल कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. पढ़ाने के लिए 7 सरकारी टीचर और एक शिक्षामित्र तैनात हैं. इस बदलाव का असर यह रहा है कि 2016 में अंबारा मतई के सरकारी प्राइमरी स्कूल में सिर्फ 126 बच्चे पढ़ते थे. अब यहां 567 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. अभिभावक भी प्राइवेट स्कूल का मोह छोड़कर बड़े गर्व के साथ इस स्कूल में बच्चों का एडमिशन करा रहे हैं. इस कारण इसके आसपास गलियों में चलने वाले कई प्राइवेट स्कूल बंद हो गए.

इस विद्यालय के प्रिंसिपल अशोक कुमार मिश्र की तैनाती वर्ष 2016 में हुई. 2012 तक सेना में ट्रांसलेटर पद पर कार्य करने के बाद जब उन्होंने टीचिंग शुरू की तो उनके मन में सैनिक स्कूल के तर्ज पर प्राथमिक विद्यालय को डिवेलप करने का विचार आया. अशोक मिश्रा ने बताया कि धीरे-धीरे उन्होंने अपने साथी शिक्षकों के सहयोग से स्कूल की शिक्षण शैली में बदलाव शुरू किया. शिक्षा, सुरक्षा, खेलकूद के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर को डिवेलप करना शुरू किया. आज इस स्कूल में ब्लैक बोर्ड की जगह व्हाइट बोर्ड पर मार्कर से पढ़ाई हो रही है. खेल खेल में शिक्षा को नया माध्यम बनाया गया. बच्चों की मानसिक और शैक्षणिक चर्चा के लिए पैरेंट्स टीचर मीटिंग की परंपरा भी शुरू हुई. इस स्कूल में बिना यूनिफार्म के बच्चों को प्रवेश की अनुमति नहीं है. सभी बच्चे समय से स्कूल पहुंचते हैं. अशोक मिश्रा ने कहना है कि अगर स्कूल को किसी स्तर से मदद मिले तो वह छात्रों के लिए ट्रांसपोर्ट व्यवस्था शुरू करना चाहते हैं. टीचरों का प्रयास रंग ला रहा है. सरकारी स्कूल के बच्चे अंग्रेजी में भी महारथ हासिल कर रहे हैं. कुल मिलाकर अंबारा मतई के सरकारी प्राइमरी स्कूल दूसरे विद्यालयों के लिए मिसाल बन गया है (Ambar Matai Primary School of Rae Bareilly).

पढ़ें : मेरठ के इस कॉन्वेंट स्कूल में बच्चों को दिया जाता है भगवद गीता का ज्ञान

अंबार मतई का प्राथमिक विद्यालय के बारे में जानकारी देते स्कूल के प्रिंसिपल

रायबरेली : देश के मानव संसाधन मंत्रालय के 2020 में दी गई जानकारी के अनुसार, उत्तरप्रदेश में 90,000 से अधिक प्राथमिक विद्यालय और 24,000 माध्यमिक विद्यालय हैं (government Schools of UP). इसी साल स्कूल शिक्षा विभाग की इकाई यूनाइटेड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि यूपी में सरकारी स्कूलों की संख्या में कमी आई है जबकि प्राइवेट स्कूल बढ़े हैं. सच यह भी है कि प्राइवेट स्कूलों में आम लोग मोटी फीस देकर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं क्योंकि सरकारी स्कूलों के प्रति पैरेंट्स की धारणा पॉजिटिव नहीं हैं. मगर रायबरेली के गांव अंबारा मतई के सरकारी स्कूल (Ambar Matai Primary School of Rae Bareilly ) ने अभिभावकों को धारणा बदल दी है.

रायबरेली के गदागंज विकासखंड के गांव अंबारा मतई में संचालित सरकारी प्राइमरी स्कूल (Ambar Matai Primary School) साफ-सफाई, पढ़ाई और खेल में कॉन्वेन्ट स्कूल को टक्कर दे रहा है. बच्चे टीवी स्क्रीन वाले स्मार्ट क्लास में पढ़ रहे हैं. टीचर बच्चों को ऑनलाइन गाइड करते हैं. कमजोर बच्चों की एक्स्ट्रा क्लासेज लगाई जा रही हैं. सुरक्षा के लिए स्कूल कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. पढ़ाने के लिए 7 सरकारी टीचर और एक शिक्षामित्र तैनात हैं. इस बदलाव का असर यह रहा है कि 2016 में अंबारा मतई के सरकारी प्राइमरी स्कूल में सिर्फ 126 बच्चे पढ़ते थे. अब यहां 567 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. अभिभावक भी प्राइवेट स्कूल का मोह छोड़कर बड़े गर्व के साथ इस स्कूल में बच्चों का एडमिशन करा रहे हैं. इस कारण इसके आसपास गलियों में चलने वाले कई प्राइवेट स्कूल बंद हो गए.

इस विद्यालय के प्रिंसिपल अशोक कुमार मिश्र की तैनाती वर्ष 2016 में हुई. 2012 तक सेना में ट्रांसलेटर पद पर कार्य करने के बाद जब उन्होंने टीचिंग शुरू की तो उनके मन में सैनिक स्कूल के तर्ज पर प्राथमिक विद्यालय को डिवेलप करने का विचार आया. अशोक मिश्रा ने बताया कि धीरे-धीरे उन्होंने अपने साथी शिक्षकों के सहयोग से स्कूल की शिक्षण शैली में बदलाव शुरू किया. शिक्षा, सुरक्षा, खेलकूद के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर को डिवेलप करना शुरू किया. आज इस स्कूल में ब्लैक बोर्ड की जगह व्हाइट बोर्ड पर मार्कर से पढ़ाई हो रही है. खेल खेल में शिक्षा को नया माध्यम बनाया गया. बच्चों की मानसिक और शैक्षणिक चर्चा के लिए पैरेंट्स टीचर मीटिंग की परंपरा भी शुरू हुई. इस स्कूल में बिना यूनिफार्म के बच्चों को प्रवेश की अनुमति नहीं है. सभी बच्चे समय से स्कूल पहुंचते हैं. अशोक मिश्रा ने कहना है कि अगर स्कूल को किसी स्तर से मदद मिले तो वह छात्रों के लिए ट्रांसपोर्ट व्यवस्था शुरू करना चाहते हैं. टीचरों का प्रयास रंग ला रहा है. सरकारी स्कूल के बच्चे अंग्रेजी में भी महारथ हासिल कर रहे हैं. कुल मिलाकर अंबारा मतई के सरकारी प्राइमरी स्कूल दूसरे विद्यालयों के लिए मिसाल बन गया है (Ambar Matai Primary School of Rae Bareilly).

पढ़ें : मेरठ के इस कॉन्वेंट स्कूल में बच्चों को दिया जाता है भगवद गीता का ज्ञान

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