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कुछ ही देर में रायबरेली पहुंचेगा शहीद शैलेंद्र प्रताप सिंह का पार्थिव शरीर - रायबरेली न्यूज टुडे

कश्मीर में शहीद हुए यूपी के रायबरेली के सपूत और CRPF की 110वीं बटालियन के जवान शैलेंद्र प्रताप सिंह का पार्थिव शरीर मंगलवार शाम तक रायबरेली पहुंचेगा. यहां शहर के उनके आवास पर पार्थिव शरीर को श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाएगा. फिर यहीं से उनकी शव यात्रा उनके पैतृक निवास स्थान डलमऊ के अल्हौरा गांव जाएगी.

शहीद शैलेन्द्र प्रताप सिंह (फाइल फोटो).
शहीद शैलेन्द्र प्रताप सिंह (फाइल फोटो).
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Published : Oct 6, 2020, 5:39 PM IST

Updated : Oct 6, 2020, 5:50 PM IST

रायबरेली: CRPF की 110वीं बटालियन के जवान और रायबरेली के वीर सपूत शैलेंद्र प्रताप सिंह की शहादत से पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है. करीब 3:30 बजे उनका पार्थिव शरीर लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचेगा, जहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री श्रद्धाजंलि अर्पित करेंगे. इसके बाद सड़क मार्ग के जरिए शहीद का पार्थिव शरीर रायबरेली लाया जाएगा. बुधवार तड़के डलमऊ के गंगा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ शहीद की अंत्येष्टि की जाएगी.

जानकारी देते संवाददाता.

करीब 24 घंटे से ज्यादा का समय बीत गया है, जब शैलेंद्र के शहीद होने की खबर उनके घर रायबरेली पहुंची थी. शैलेंद्र के शहीद होने की खबर मिलने के बाद इलाके के लोग सदमे में हैं. शहीद के तमाम परिचित अभी भी घर के आसपास बैठे नजर आ रहे हैं. चंद घंटे बाद उनके पार्थिव शरीर को रायबरेली लाए जाने की खबर है. अंतिम संस्कार डलमऊ के गंगा घाट पर बुधवार तड़के किये जाने की तैयारी है. मौके पर जिले का प्रशासनिक अमला भी मुस्तैद है. शोक संवेदना व्यक्त करने वालों की भारी भीड़ को नियंत्रित रखना भी पुलिस के लिए चुनौती जैसा है.

शहीद शैलेंद्र प्रताप सिंह के मोहल्ले जवाहर विहार कॉलोनी मलिक मऊ के सभासद रोहित पांडेय ने ईटीवी भारत को बताया कि फिलहाल उन्हें जो जानकारी है उसके अनुसार करीब 3:30 बजे उनका पार्थिव शरीर लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचेगा. यहां पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इसके बाद सड़क मार्ग के जरिए शहीद का पार्थिव शरीर रायबरेली लाया जाएगा.

शहर के उनके आवास पर करीब 2 घंटे पार्थिव शरीर को रोक कर स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाएगा. फिर यहीं से उनकी शव यात्रा उनके पैतृक निवास स्थान डलमऊ के अल्हौरा गांव जाएगी. बुधवार तड़के डलमऊ के गंगा घाट पर पूरे राजकीय सम्मान से शहीद की अंत्येष्टि की जाएगी. अपने मृदुभाषी व्यवहार से शैलेंद्र सभी को अपना मुरीद बना लेते थे. यही कारण है कि अभी भी स्थानीय लोगों को यह विश्वास नहीं हो रहा है कि अब वह उनके बीच नहीं हैं.

वहीं शहीद के परिजन अभी तक खुद को इस सदमे से बाहर नहीं ला पाए हैं. उनके चाचा आरपीएफ में हेड कांस्टेबल एसएन सिंह कहते हैं कि जिन हाथों ने बचपन से लेकर बड़े होने तक उसे दुलारा है, अब कैसे उन्हीं हाथों से उसके पार्थिक शरीर को उठाएंगे? शैलेंद्र की कमी अंतिम सांसों तक महसूस करेंगे.

रायबरेली: CRPF की 110वीं बटालियन के जवान और रायबरेली के वीर सपूत शैलेंद्र प्रताप सिंह की शहादत से पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है. करीब 3:30 बजे उनका पार्थिव शरीर लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचेगा, जहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री श्रद्धाजंलि अर्पित करेंगे. इसके बाद सड़क मार्ग के जरिए शहीद का पार्थिव शरीर रायबरेली लाया जाएगा. बुधवार तड़के डलमऊ के गंगा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ शहीद की अंत्येष्टि की जाएगी.

जानकारी देते संवाददाता.

करीब 24 घंटे से ज्यादा का समय बीत गया है, जब शैलेंद्र के शहीद होने की खबर उनके घर रायबरेली पहुंची थी. शैलेंद्र के शहीद होने की खबर मिलने के बाद इलाके के लोग सदमे में हैं. शहीद के तमाम परिचित अभी भी घर के आसपास बैठे नजर आ रहे हैं. चंद घंटे बाद उनके पार्थिव शरीर को रायबरेली लाए जाने की खबर है. अंतिम संस्कार डलमऊ के गंगा घाट पर बुधवार तड़के किये जाने की तैयारी है. मौके पर जिले का प्रशासनिक अमला भी मुस्तैद है. शोक संवेदना व्यक्त करने वालों की भारी भीड़ को नियंत्रित रखना भी पुलिस के लिए चुनौती जैसा है.

शहीद शैलेंद्र प्रताप सिंह के मोहल्ले जवाहर विहार कॉलोनी मलिक मऊ के सभासद रोहित पांडेय ने ईटीवी भारत को बताया कि फिलहाल उन्हें जो जानकारी है उसके अनुसार करीब 3:30 बजे उनका पार्थिव शरीर लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचेगा. यहां पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इसके बाद सड़क मार्ग के जरिए शहीद का पार्थिव शरीर रायबरेली लाया जाएगा.

शहर के उनके आवास पर करीब 2 घंटे पार्थिव शरीर को रोक कर स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाएगा. फिर यहीं से उनकी शव यात्रा उनके पैतृक निवास स्थान डलमऊ के अल्हौरा गांव जाएगी. बुधवार तड़के डलमऊ के गंगा घाट पर पूरे राजकीय सम्मान से शहीद की अंत्येष्टि की जाएगी. अपने मृदुभाषी व्यवहार से शैलेंद्र सभी को अपना मुरीद बना लेते थे. यही कारण है कि अभी भी स्थानीय लोगों को यह विश्वास नहीं हो रहा है कि अब वह उनके बीच नहीं हैं.

वहीं शहीद के परिजन अभी तक खुद को इस सदमे से बाहर नहीं ला पाए हैं. उनके चाचा आरपीएफ में हेड कांस्टेबल एसएन सिंह कहते हैं कि जिन हाथों ने बचपन से लेकर बड़े होने तक उसे दुलारा है, अब कैसे उन्हीं हाथों से उसके पार्थिक शरीर को उठाएंगे? शैलेंद्र की कमी अंतिम सांसों तक महसूस करेंगे.

Last Updated : Oct 6, 2020, 5:50 PM IST
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