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चचेरे भाइयों ने 1991 में किया था पाकिस्तान से भारत का रुख, CAA आने से जगी उम्मीद

सीएए लागू होने के बाद रायबरेली के प्रवासी परिवारों को भारत की नागरिकता मिलने की उम्मीद जागी है. 1991 में परिवार के साथ रायबरेली आए दो चचेरे भाइयों ने इस कदम को सराहनीय बताया है. ये भी कहा कि भारत-पाकिस्तान के हालातों में बहुत फर्क है.

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Published : Jan 8, 2020, 10:06 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

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पाकिस्तान से आए दो चचेरे भाई.

रायबरेली: सीएए के बाद से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए प्रवासियों में खुशी की लहर है. इन प्रवासियों में उम्मीद जगी है कि उन्हें बहुत जल्द भारत की नागरिकता मिल जाएगी. ऐसे ही एक प्रवासी हैं मुरली लाल, जो 13 जुलाई 1991 को अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के रायबरेली आ गए थे. वे कहते हैं कि सरकार का ये कदम बेहतरीन है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से वे बेहद खुश हैं.

CAA आने से जगी दो चचेरे भाइयों की उम्मीद.

मुरली लाल बताते हैं कि मां, भाई, बहन, भाभी और एक भतीजी के साथ वे रायबरेली आए थे. उनके साथ उनके चचेरे भाई भी अपने परिवार के साथ भारत आए. यहां आने के बाद दोनों ने अपने दम पर काम शुरू किया और खुद को स्थापित किया. मुरली लाल ने उस समय की बात बताते हुए कहा कि शाम 5:00 बजे के बाद घर से निकलने पर घर वापस लौटेंगे ये सुनिश्चित नहीं था. बहन-बेटियों की इज्जत खतरे में थी, तभी हमने सब कुछ छोड़कर भारत आने का मन बनाया. अब हमें भारत की नागरिकता मिलने की उम्मीद जागी है. शीघ्र ही हम सब को भी वो सारी सुविधाएं मिलने लगेंगी, जो एक भारतीय को मिलती हैं. हम सब सरकार के इस निर्णय से बहुत खुश हैं.

भारत-पाकिस्तान की कोई तुलना नहीं
वहीं उनके चचेरे भाई कुमार लाल कहते हैं कि जो हिंदुस्तान के हालातों की तुलना पाकिस्तान से करते हैं वो नादान हैं. उन्हें पाक के वास्तविक हालात की जानकारी नहीं है. पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सक्खर जिले के पुनआतुल गांव के मूल निवासी रहे इस परिवार को अब भारत ही अपना देश नजर आता है.

पढ़ें: कानपुरः CAA हिंसा के दौरान हुई मौत के मामले में अज्ञात उपद्रवियों पर हत्या की FIR

ये था भारत आने के कारण
दरअसल, बात 90 के दशक की है धार्मिक उन्माद चरम पर था. धर्मांतरण के लिए प्रताड़ना व अपहरण जैसी वारदातें हो रही थी. यही कारण रहा कि 5 परिवारों के 22 लोग उत्तर प्रदेश के रायबरेली में पहले से रह रहे अपने रिश्तेदार के पास आ गए. आज अपने बूते समाज में विशिष्ट पहचान बनाने में कामयाब हुए और खुद का व्यवसाय कर रोजी-रोटी कमा कर अपने परिवारों को पाल रहे हैं. अब जब सरकार ने CAA के जरिए नागरिकता देने की घोषणा की तो इन सभी को नागरिकता मिलने की उम्मीद जागी है.

रायबरेली: सीएए के बाद से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए प्रवासियों में खुशी की लहर है. इन प्रवासियों में उम्मीद जगी है कि उन्हें बहुत जल्द भारत की नागरिकता मिल जाएगी. ऐसे ही एक प्रवासी हैं मुरली लाल, जो 13 जुलाई 1991 को अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के रायबरेली आ गए थे. वे कहते हैं कि सरकार का ये कदम बेहतरीन है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से वे बेहद खुश हैं.

CAA आने से जगी दो चचेरे भाइयों की उम्मीद.

मुरली लाल बताते हैं कि मां, भाई, बहन, भाभी और एक भतीजी के साथ वे रायबरेली आए थे. उनके साथ उनके चचेरे भाई भी अपने परिवार के साथ भारत आए. यहां आने के बाद दोनों ने अपने दम पर काम शुरू किया और खुद को स्थापित किया. मुरली लाल ने उस समय की बात बताते हुए कहा कि शाम 5:00 बजे के बाद घर से निकलने पर घर वापस लौटेंगे ये सुनिश्चित नहीं था. बहन-बेटियों की इज्जत खतरे में थी, तभी हमने सब कुछ छोड़कर भारत आने का मन बनाया. अब हमें भारत की नागरिकता मिलने की उम्मीद जागी है. शीघ्र ही हम सब को भी वो सारी सुविधाएं मिलने लगेंगी, जो एक भारतीय को मिलती हैं. हम सब सरकार के इस निर्णय से बहुत खुश हैं.

भारत-पाकिस्तान की कोई तुलना नहीं
वहीं उनके चचेरे भाई कुमार लाल कहते हैं कि जो हिंदुस्तान के हालातों की तुलना पाकिस्तान से करते हैं वो नादान हैं. उन्हें पाक के वास्तविक हालात की जानकारी नहीं है. पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सक्खर जिले के पुनआतुल गांव के मूल निवासी रहे इस परिवार को अब भारत ही अपना देश नजर आता है.

पढ़ें: कानपुरः CAA हिंसा के दौरान हुई मौत के मामले में अज्ञात उपद्रवियों पर हत्या की FIR

ये था भारत आने के कारण
दरअसल, बात 90 के दशक की है धार्मिक उन्माद चरम पर था. धर्मांतरण के लिए प्रताड़ना व अपहरण जैसी वारदातें हो रही थी. यही कारण रहा कि 5 परिवारों के 22 लोग उत्तर प्रदेश के रायबरेली में पहले से रह रहे अपने रिश्तेदार के पास आ गए. आज अपने बूते समाज में विशिष्ट पहचान बनाने में कामयाब हुए और खुद का व्यवसाय कर रोजी-रोटी कमा कर अपने परिवारों को पाल रहे हैं. अब जब सरकार ने CAA के जरिए नागरिकता देने की घोषणा की तो इन सभी को नागरिकता मिलने की उम्मीद जागी है.

Intro:रायबरेली एक्सक्लूसिव/स्पेशल -

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07 जनवरी 2020 - रायबरेली

'मोदी सरकार बेहतरीन काम कर रही है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व शक्ति बनने के राह पर चल पड़ा है, मेरी शुभकामनाएं हैं मोदी जी अगले एक दशक तक भारत के पीएम के पद पर बरकरार रहे'।जी हां कुछ यही कहना था वर्ष 1992 में पाकिस्तान छोड़कर भारत का रुख करने वाले कुमार लाल का।कुछ ऐसा ही अनुभव उनसे एक साल पहले पाकिस्तान से आकर रायबरेली में बसने वाले मुरली लाल भी साझा करते है।

ETV संवाददाता से एक्सक्लूसिव बातचीत में मुरली लाल व कुमार लाल उन तमाम मुद्दों पर बड़ी ही बेबाकी से अपनी राय रखते है।मुरली लाल कहते है कि 13 जुलाई 1991 को मां,भाई,बहन व भाभी और भतीजी के साथ यहां आए थे।उनके चचेरे भाई कुमार लाल उनकी पत्नी लाजवंती मां शांतिबाई, बेटी को लेकर रायबरेली में आकर बस गए।

यहां आने के बाद अपने दम पर ही काम शुरू किया और खुद को स्थापित किया।मुरली लाल ने तब के समय की बात रखते हुए बताया कि शाम 5:00 बजे के बाद घर से निकलने के बाद आप सुरक्षित घर लौटेंगे इसकी गारंटी नहीं थी।आताताई धर्मांतरण के लिए अपहरण कर लेते थे।फिरौती मांगते थे।बहन बेटियों की इज्जत खतरे में थी तभी हमने सब कुछ छोड़कर भारत आने का मन बनाया।अब हमें भारत की नागरिकता मिलने की उम्मीद जगी है।शीघ्र ही हम सब को भी वे सारी सुविधाएं मिलने लगेंगी जो एक भारतीय को मिलते हैं हम सब सरकार के इस निर्णय से बहुत खुश है।

दरअसल बात 90 के दशक की है धार्मिक उन्माद चरम पर हुआ करता था।धर्मांतरण के लिए प्रताड़ना व अपहरण जैसी वारदातें हो रही थी।यही कारण रहा कि 5 परिवारों के 22 लोग उत्तर प्रदेश के रायबरेली में पहले से रह रहे अपने रिश्तेदार के पास आ गए।आज अपने बूते समाज में विशिष्ट पहचान बनाने में कामयाब हुए और खुद का व्यवसाय चुन करके रोज़ी रोटी कमाई और परिवार पाल रहे है।




Body:अब जब सरकार ने CAA के जरिए नागरिकता देने की घोषणा की तो इन सभी के चेहरे खुशी से खिल उठे।पीएम मोदी व गृह मंत्री अमित शाह का गुणगान करते नही थक रहे कुमार लाल कहते है कि जो हिंदुस्तान के हालातों की तुलना पाकिस्तान से करते है वो सभी नादान है।उन्हें पाक की वास्तविक हालात की जानकारी नही है।पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सक्खर जिले के पुनआतुल गांव के मूल निवासी रहे इस परिवार को अब भारत ही अपना मुल्क नज़र आता है।

कुमार कहते है कि वर्ष 1991 में वहां पर उनके समाज के लोगों की आबादी 30 फीसदी थी पर जब जुल्म की सारी हदें पार होने लगी और तब लगा कि भारत के अलावा दुनिया का दूसरा कोई मुल्क उनको आसरा नही दे सकता।यही कारण रहा कि वह रायबरेली आकर बसे।







Conclusion:बाइट 1: मुरली लाल - वर्ष 1991 से रायबरेली में रह रहे पाकिस्तानी नागरिक

बाइट 2 : कुमार लाल - वर्ष 1992 से रायबरेली में रह रहे पाकिस्तानी नागरिक

प्रणव कुमार - 7000024034
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST
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