रायबरेली: सीएए के बाद से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए प्रवासियों में खुशी की लहर है. इन प्रवासियों में उम्मीद जगी है कि उन्हें बहुत जल्द भारत की नागरिकता मिल जाएगी. ऐसे ही एक प्रवासी हैं मुरली लाल, जो 13 जुलाई 1991 को अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के रायबरेली आ गए थे. वे कहते हैं कि सरकार का ये कदम बेहतरीन है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से वे बेहद खुश हैं.
मुरली लाल बताते हैं कि मां, भाई, बहन, भाभी और एक भतीजी के साथ वे रायबरेली आए थे. उनके साथ उनके चचेरे भाई भी अपने परिवार के साथ भारत आए. यहां आने के बाद दोनों ने अपने दम पर काम शुरू किया और खुद को स्थापित किया. मुरली लाल ने उस समय की बात बताते हुए कहा कि शाम 5:00 बजे के बाद घर से निकलने पर घर वापस लौटेंगे ये सुनिश्चित नहीं था. बहन-बेटियों की इज्जत खतरे में थी, तभी हमने सब कुछ छोड़कर भारत आने का मन बनाया. अब हमें भारत की नागरिकता मिलने की उम्मीद जागी है. शीघ्र ही हम सब को भी वो सारी सुविधाएं मिलने लगेंगी, जो एक भारतीय को मिलती हैं. हम सब सरकार के इस निर्णय से बहुत खुश हैं.
भारत-पाकिस्तान की कोई तुलना नहीं
वहीं उनके चचेरे भाई कुमार लाल कहते हैं कि जो हिंदुस्तान के हालातों की तुलना पाकिस्तान से करते हैं वो नादान हैं. उन्हें पाक के वास्तविक हालात की जानकारी नहीं है. पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सक्खर जिले के पुनआतुल गांव के मूल निवासी रहे इस परिवार को अब भारत ही अपना देश नजर आता है.
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ये था भारत आने के कारण
दरअसल, बात 90 के दशक की है धार्मिक उन्माद चरम पर था. धर्मांतरण के लिए प्रताड़ना व अपहरण जैसी वारदातें हो रही थी. यही कारण रहा कि 5 परिवारों के 22 लोग उत्तर प्रदेश के रायबरेली में पहले से रह रहे अपने रिश्तेदार के पास आ गए. आज अपने बूते समाज में विशिष्ट पहचान बनाने में कामयाब हुए और खुद का व्यवसाय कर रोजी-रोटी कमा कर अपने परिवारों को पाल रहे हैं. अब जब सरकार ने CAA के जरिए नागरिकता देने की घोषणा की तो इन सभी को नागरिकता मिलने की उम्मीद जागी है.