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प्रयागराज: स्वयंसेवी समूह की महिलाएं बना रहीं स्वदेशी राखियां - प्रयागराज समाचार

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में कार्यरत 200 से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने रक्षाबंधन को देखते हुए राखी बनाने का काम शरू किया है. गावों के समूहों द्वारा पांच रुपये से लेकर 120 रुपये तक की राखियां तैयार की गई हैं.

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राखियां बनाती महिलाएं
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Published : Aug 2, 2020, 4:40 PM IST

प्रयागराज: कोरोना वायरस का कहर पूरे प्रदेश में देखने को मिल रहा है. चीन सीमा विवाद के बाद देश में चीनी समान का जमकर बहिष्कार किया जा रहा है. तीन अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार है. इस बार बहने अपने भाइयों को कलाई पर खुद से बनी राखी पहनाएंगी. जिले में कार्यरत 200 से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने इस अवसर पर राखी बनाने का काम शरू किया है. गावों के समूह की इन महिलाओं ने पांच रुपये से लेकर 120 रुपये तक की राखियां तैयार की हैं. पीएम के स्वदेशी सामान को अपनाने की अपील पर व्यापारियों ने भी इन महिलाओं को राखी के ऑर्डर दिए हैं.

महिलाएं बना रहीं स्वदेशी राखियां.

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जिम्मेदारी
समूहों के संचालन के लिए संबंधित विभागों ने भी इसके लिए दो माह पूर्व इसकी बकायदा तैयारी की है. वहीं अन्य समूहों को भी राखी बनाने का लक्ष्य दिया गया है. महिलाएं राखी बनाने का प्रशिक्षण लेकर राखी बनाने के काम में जुट गई हैं. इस बार प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर बनने व स्वदेशी चीजें अपनाने की अपील की है. स्थानीय व्यापारियों ने भी राखी के ऑर्डर इन समूहों को दिए हैं.

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राखियां बनाती महिलाएं.

व्यापारियों को भी बेची जाएंगी राखी
महिलाओं के हाथ की बनी राखियां व्यापारियों को भी बेची जाएंगी. बाजारों में भी स्वयं सहायता समूह के स्टॉल जगह-जगह लगाए जाएंगे. इसके निर्माण कार्य की जिम्मेदारी जिले के बहरिया और करछना विकास खण्ड में संचालित हो रहे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दिया गया है. राखी बनाने के लिए अन्य विकास खण्ड के समूह की महिलाओं को भी प्रेरित किया गया है. वहीं काम में जुटी महिलाओं ने बताया कि समूह के माध्यम से हम राखी बना रहे हैं, जिसे में बाजार में बेचा जाएगा. साथ ही इसी राखी से हम खुद भी त्योहार मनाएंगे.

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत शहर में करीब 500 और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांवों में 11700 समूह सक्रिय हैं. बहरिया और करछना ब्लॉकों में करीब दो सौ समूहों की महिलाओं को राखी बनाने के लिए ट्रेनिंग भी दी गई है. इन महिलाओं के हाथ की बनी राखियां नमूने के तौर पर अन्य ब्लॉकों के समूहों को भी भेजी गई हैं, ताकि दूसरे समूहों की महिलाएं भी उसी तरह से राखियां तैयार कर सकें. ग्रामीण समूहों की महिलाओं को करीब पांच लाख राखियां तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है. शहरी समूहों की महिलाओं के लिए भी जल्द लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा. गावों के समूहों से पांच रुपये से लेकर 120 रुपये तक की राखियां तैयार की गई है.

प्रयागराज: कोरोना वायरस का कहर पूरे प्रदेश में देखने को मिल रहा है. चीन सीमा विवाद के बाद देश में चीनी समान का जमकर बहिष्कार किया जा रहा है. तीन अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार है. इस बार बहने अपने भाइयों को कलाई पर खुद से बनी राखी पहनाएंगी. जिले में कार्यरत 200 से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने इस अवसर पर राखी बनाने का काम शरू किया है. गावों के समूह की इन महिलाओं ने पांच रुपये से लेकर 120 रुपये तक की राखियां तैयार की हैं. पीएम के स्वदेशी सामान को अपनाने की अपील पर व्यापारियों ने भी इन महिलाओं को राखी के ऑर्डर दिए हैं.

महिलाएं बना रहीं स्वदेशी राखियां.

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जिम्मेदारी
समूहों के संचालन के लिए संबंधित विभागों ने भी इसके लिए दो माह पूर्व इसकी बकायदा तैयारी की है. वहीं अन्य समूहों को भी राखी बनाने का लक्ष्य दिया गया है. महिलाएं राखी बनाने का प्रशिक्षण लेकर राखी बनाने के काम में जुट गई हैं. इस बार प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर बनने व स्वदेशी चीजें अपनाने की अपील की है. स्थानीय व्यापारियों ने भी राखी के ऑर्डर इन समूहों को दिए हैं.

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राखियां बनाती महिलाएं.

व्यापारियों को भी बेची जाएंगी राखी
महिलाओं के हाथ की बनी राखियां व्यापारियों को भी बेची जाएंगी. बाजारों में भी स्वयं सहायता समूह के स्टॉल जगह-जगह लगाए जाएंगे. इसके निर्माण कार्य की जिम्मेदारी जिले के बहरिया और करछना विकास खण्ड में संचालित हो रहे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दिया गया है. राखी बनाने के लिए अन्य विकास खण्ड के समूह की महिलाओं को भी प्रेरित किया गया है. वहीं काम में जुटी महिलाओं ने बताया कि समूह के माध्यम से हम राखी बना रहे हैं, जिसे में बाजार में बेचा जाएगा. साथ ही इसी राखी से हम खुद भी त्योहार मनाएंगे.

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत शहर में करीब 500 और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांवों में 11700 समूह सक्रिय हैं. बहरिया और करछना ब्लॉकों में करीब दो सौ समूहों की महिलाओं को राखी बनाने के लिए ट्रेनिंग भी दी गई है. इन महिलाओं के हाथ की बनी राखियां नमूने के तौर पर अन्य ब्लॉकों के समूहों को भी भेजी गई हैं, ताकि दूसरे समूहों की महिलाएं भी उसी तरह से राखियां तैयार कर सकें. ग्रामीण समूहों की महिलाओं को करीब पांच लाख राखियां तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है. शहरी समूहों की महिलाओं के लिए भी जल्द लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा. गावों के समूहों से पांच रुपये से लेकर 120 रुपये तक की राखियां तैयार की गई है.

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