प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक खब्बू तिवारी का 26 वर्ष पूर्व निरस्त शस्त्र लाइसेंस का असलहा अब तक जमा नहीं होने पर बस्ती के डीएम को शुक्रवार को तलब किया है. इसी प्रकार लूट के एक मामले में पूर्व विधायक के खिलाफ जांच न करने के लिए जौनपुर के एसपी को भी शुक्रवार को तलब किया है. ये आदेश न्यायमूर्ति डीके सिंह ने राम जनम की आपराधिक निगरानी याचिका और मोहम्मद जुनैद की सीआरपीसी की धारा 482 की अर्जी पर उनके अधिवक्ता कृष्ण प्रताप सिंह कौशिक को सुनकर दिए हैं.
एडवोकेट कौशिक के अनुसार फैजाबाद अयोध्या के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी कूट रचना और फर्जी अंक पत्र तैयार करने के एक मामले में सजा हो गई, जिसके कारण उनकी विधायकी चली गई और उन के खिलाफ विभिन्न जिलों में संगीन धाराओं में लगभग तीन दर्जन मुकदमे दर्ज हैं.
अयोध्या में उनके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं इसलिए उन्होंने अयोध्या का पता न देकर बस्ती जिले के एक फर्जी पता के आधार पर वहां से एक राइफल का लाइसेंस लिया. जांच हुई तो पता चला कि फर्जी पते के आधार पर शस्त्र लाइसेंस लिया गया है. शिकायत पर राइफल का लाइसेंस रद कर दिया गया लेकिन आरोप है कि उन्होंने अब तक राइफल को जमा नहीं किया.
इस पर बस्ती में सीआरपीसी की धारा 156(3) की अर्जी दी गई जो विभिन्न रिपोर्ट आने के बाद ही निरस्त कर दी गई. अपराधिक निगरानी याचिका में आरोप है कि 1996 में निरस्त शस्त्र लाइसेंस का असलहा अब तक नहीं जमा किया गया जबकि उसी असलहे से कई जगह आपराधिक वारदात अंजाम दी गईं. इनमें सोनभद्र में टिप्पणी हत्याकांड मुख्य है. कोर्ट ने इस पर जवाब के लिए डीएम बस्ती को शुक्रवार दोपहर दो बजे अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया है.
अधिवक्ता कृष्ण प्रताप सिंह कौशिक ने बताया कि खब्बू तिवारी पर 1997 में जौनपुर में एक टाटा सूमो लूट में आरोपी बनाया गया है लेकिन उनके खिलाफ अब तक जांच नहीं शुरू की गई. साथ ही जौनपुर कचहरी से फाइल लूटने के मामले में भी उनके खिलाफ केवल औपचारिकता की गई. इसे लेकर मोहम्मद जुनैद की अर्जी पर कोर्ट ने एसपी जौनपुर को तलब किया है. कोर्ट ने उन्हें यह बताने को कहा है कि इस मामले में अभियुक्त के खिलाफ जांच क्यों नहीं की गई.
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