प्रयागराजः भारत के विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति को लेकर अलग-अलग मान्यताएं जुड़ीं हुईं हैं. मकर संक्रांति का पर्व केवल दान-पुण्य के लिए नहीं जाना जाता बल्कि इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भी चली आ रही है. बच्चे हों या युवा हर कोई पतंग उड़ाने के लिए इस दिन बेसब्री से इंतजार करते हैं. सुबह से ही आसमान में हर तरह की रंग-बिरंगी पतंगें छा जाती हैं. खास बात यह है की पतंग उड़ाने की ये परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है.
इस दिन दान-पुण्य करने की विशेष परंपरा है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने का विशेष महत्व होता है. मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य के अलावा पतंग उड़ाने का भी चलन है.
ये भी पढ़ेंः आखिर क्यों फूट-फूटकर रोए बसपा नेता अरशद राणा, ये दी चेतावनी...
ज्योतिषाचार्य शिप्रा हंसराज के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की प्रथा युगों पुरानी है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सबसे पहले भगवान राम ने अपने बाल्यकाल में पतंग उड़ाई थी, यह पतंग स्वर्ग तक पहुंची थी. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने से हमारी मनोकामनाएं भगवान के द्वार तक पहुंचती हैं. भगवान श्रीराम द्वारा पतंग उड़ाने का जिक्र तमिल रामायण तन्दनानरामायण में भी किया गया है. हालांकि वक्त के साथ-साथ अब यह परंपरा भी काफी कम हो गई है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप