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क्यों नहीं हो पा रही सहायक प्रोफेसर भर्ती, उच्चतर शिक्षा आयोग और सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल किया जवाब - उच्चतर शिक्षा आयोग

हलफनामा दाखिल होने के बाद कोर्ट ने आयोग एवं राज्य सरकार को जवाबी बहस के लिए चार दिन का समय दिया है. मामले की अग्रिम सुनवाई 2 मई को की जाएगी.

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Published : Apr 27, 2023, 10:30 PM IST

प्रयागराज: उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा 907 सहायक प्रोफेसर पद पर भर्ती लटकी हुई है. इस मामले पर हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा आयोग और राज्य सरकार से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था. इस पर गुरुवार को उच्चतर शिक्षा आयोग और सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया. इसमें बताया गया कि कोरम पूरा न हो पाने की वजह से भर्ती लटकी हूई है. हाईकोर्ट के निर्देश पर आयोग और राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने की.

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि कोरम न पूरा होने के कारण प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है. जबकि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अनूप बरनवाल का कहना था कि उच्चतर सेवा आयोग नियमावली 1983 के नियम 3 के खण्ड 3 के अनुसार आयोग के दो सदस्यों से कोरम पूरा माना जाएगा और खण्ड 4 के अनुसार चेयरमैन की अनुपस्थिति में वरिष्ठ सदस्य द्वारा बैठक की अध्यक्षता करने की व्यवस्था है.

ऐसे में कानूनी प्रावधान के रहते मात्र कोरम के अभाव में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार न कराना अवैध और मनमानापन है. महेंद्र सिंह और 3 अन्य की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि लिखित परीक्षा न कराया जाना 90 हजार अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ है और जीवन के अधिकार का हनन है. कोर्ट ने आयोग एवं राज्य सरकार को जवाबी बहस के लिए चार दिन का समय दिया है. मामले की अग्रिम सुनवाई 2 मई को की जाएगी.

ये भी पढ़ेंः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर मामले में सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा

प्रयागराज: उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा 907 सहायक प्रोफेसर पद पर भर्ती लटकी हुई है. इस मामले पर हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा आयोग और राज्य सरकार से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था. इस पर गुरुवार को उच्चतर शिक्षा आयोग और सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया. इसमें बताया गया कि कोरम पूरा न हो पाने की वजह से भर्ती लटकी हूई है. हाईकोर्ट के निर्देश पर आयोग और राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने की.

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि कोरम न पूरा होने के कारण प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है. जबकि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अनूप बरनवाल का कहना था कि उच्चतर सेवा आयोग नियमावली 1983 के नियम 3 के खण्ड 3 के अनुसार आयोग के दो सदस्यों से कोरम पूरा माना जाएगा और खण्ड 4 के अनुसार चेयरमैन की अनुपस्थिति में वरिष्ठ सदस्य द्वारा बैठक की अध्यक्षता करने की व्यवस्था है.

ऐसे में कानूनी प्रावधान के रहते मात्र कोरम के अभाव में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार न कराना अवैध और मनमानापन है. महेंद्र सिंह और 3 अन्य की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि लिखित परीक्षा न कराया जाना 90 हजार अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ है और जीवन के अधिकार का हनन है. कोर्ट ने आयोग एवं राज्य सरकार को जवाबी बहस के लिए चार दिन का समय दिया है. मामले की अग्रिम सुनवाई 2 मई को की जाएगी.

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