प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले में गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह के खिलाफ जमानती वारंट (Warrant against Gorakhpur University VC ) जारी किया है. साथ ही 23 दिसंबर की तारीख नियत करते हुए वारंट का तामीला सीजेएम गोरखपुर के माध्यम से करने को कहा है.
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने डॉ. जवाहर लाल उपाध्याय की अवमानना याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कुलपति को तलब किया था. लेकिन, वह उपस्थित नहीं हुए तो कोर्ट ने जमानती वारंट जारी कर उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
मामले के तथ्यों के अनुसार, गोरखपुर विश्वविद्यालय में वर्ष 2018 के नामांकित प्री पीएचडी के विद्यार्थियों की परीक्षा नहीं हो रही थी. इसे लेकर उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया. छात्रों की मांग थी कि उनकी परीक्षा वर्ष 2018 के आर्डिनेंस के अनुसार कराई जाए. विश्वविद्यालय प्रशासन नई शिक्षा नीति के हिसाब से परीक्षा कराना चाहता था. परीक्षा की तिथि घोषित कर दी और आंदोलन खत्म हो गया. लेकिन 7 जनवरी 2022 को जब पहले पेपर की परीक्षा हुई तो नई शिक्षा नीति के हिसाब से पेपर आया. इसके विरोध में विद्यार्थियों ने हंगामा कर दिया. छात्रों पर कॉपियां फाड़ने का आरोप लगा.
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में 17 विद्यार्थियों पर मुकदमा दर्ज करा दिया और इन विद्यार्थियों को निष्कासित कर दिया गया. इसी मामले को लेकर प्री पीएचडी छात्रा दीप्ति राय एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. उनका कहना था कि उनका नामांकन वर्ष 2018 के आर्डिनेंस के अनुसार हुआ है इसलिए उनकी परीक्षा भी उसकी के अनुरूप होनी चाहिए.
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