प्रयागराज : जिले में एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से औद्यानिक प्रयोग और प्रशिक्षण केन्द्र खुशरूबाग में माली प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस माली प्रशिक्षण कार्यक्रम में 58 बेरोजगार युवक और युवतियों को स्वावलम्बी बनाने के उद्देश्य से एक माह का प्रशिक्षण दिया गया.
मालियों की अत्यधिक कमी
प्रयागराज में खुसरू बाग में प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रयागराज मंडल के उद्यान विभाग के उप निदेशक डाॅ. विनीत कुमार ने बताया कि निजी क्षेत्र में बागवानी की अपार सम्भावना हैं. प्रशिक्षित मालियों की अत्यधिक कमी है. होटल, निजी उद्यान, राजकीय उद्यान, निजी आवास और राजकीय आवास मार्गो के किनारे, ग्राम सभा, नगर पालिका और नगर निगम आदि क्षेत्रों पर उद्यान के कार्य किए जाते हैं. लेकिन कुशल प्रशिक्षत माली न होने के कारण उद्यान के रख-रखाव में कठनाई हो रही हैं.
ऐसी स्थिति में प्रशिक्षण प्राप्त युवकों के लिये एक सुनहरा अवसर है. तकनीकी ज्ञान पर चर्चा करते हुए डॉ. विनीत कुमार ने बताया गया कि यह प्रशिक्षण मात्र रास्ता निर्धारण के लिये है. इस क्षेत्र पर मालियों को निरन्तर नये-नये प्रयोग करते रहना चाहिये. पौधों को तैयार करने की विभिन्न विधियों का प्रयोग करके पौधों को समय से तैयार कर उनका विक्रय करके भी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.
प्रशिक्षण प्रतिभागी स्वयं पौधशाला से करें व्यवसाय
डाॅ. मनोज सिंह, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र कौशाम्बी ने बताया गया कि अपने स्वयं के उद्यान में भी दी गयी जानकारियों का उपयोग किया जा सकता है. वहींं प्रसार निदेशालय शुआट्स के वैज्ञानिक डाॅ. शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि उद्यान एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर पेड़, पत्ती, फल, फूल, खाद आदि सभी का व्यवसाय किया जा सकता है. प्रशिक्षण प्राप्त प्रतिभागी स्वयं की पौधशाला का स्थापना करते हुए व्यवसाय का कार्य कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
एक माह तक चला प्रशिक्षण
खुशरूबाग के प्रशिक्षण प्रभारी वी.के सिंह ने बताया गया कि एक माह का प्रशिक्षण एक फरवरी को प्रारम्भ हुआ था और 28 फरवरी रविवार को प्रशिक्षण का समापन हुआ. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट, कौशाम्बी, फतेहपुर, जौनपुर, प्रतापगढ़ एवं प्रयागराज के कुल 58 प्रतिभागियों ने भाग लिया था. प्रशिक्षण अवधि में नये उद्यान रेखांकन, पुराने उद्यानों के रख-रखाव, पौधों के द्वारा तैयार की जाने वाली कलाकृतिया, नर्सरी प्रबन्धन, बागों के रख-रखाव, वर्टिकल गार्डन, इण्डोर गार्डन, राक गार्डन आदि के साथ-साथ पौधों के रोग व्याधि आदि के बचाव की जानकारी तथा प्रयोगिक कार्य भी कराये गए.