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माघ मेला 2021: वृक्षारोपण से भी किसान होंगे आत्मनिर्भर

पारि-पुनर्स्थापना वन अनुसंधान केंद्र द्वारा माघ मेला-2021 में चल रहे वन प्रसार एवं चेतना शिविर में कृषिवानिकी विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्वी उत्तर प्रदेश हेतु विभिन्न कृषिवानिकी मॉडलों का चुनाव, स्थापन व बिक्री संबंधित तकनीकी से किसानों, विद्यार्थियों व अन्य को अवगत कराना था.

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Published : Feb 11, 2021, 4:04 PM IST

training program organized on the subject of agroforestry
कृषिवानिकी विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण.

प्रयागराज : पारि-पुनर्स्थापना वन अनुसंधान केंद्र द्वारा माघ मेला-2021 में चल रहे वन प्रसार एवं चेतना शिविर में कृषिवानिकी विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश प्र0, लखनऊ के सहयोग से किया गया. कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्वी उत्तर प्रदेश हेतु विभिन्न कृषिवानिकी मॉडलों का चुनाव, स्थापन व बिक्री संबंधित तकनीकी से किसानों, विद्यार्थियों व अन्य को अवगत कराना था. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. संजय सिंह, केंद्र प्रमुख व विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा दीप प्रज्वलित करने के साथ हुआ.

डॉ. सिंह ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून के अंतर्गत पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र, प्रयागराज के वन क्षेत्र की तरफ उन्मुख कार्यों को तथा मेला में आयोजित प्रदर्शन शिविर के उद्देश्य से अवगत कराते हुए लाख की प्रजातियों तथा सहजन से भी रूबरू कराया. केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक व शिविर संयोजक डॉ कुमुद दूबे ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में वनों को बढ़ावा देने में केंद्र के प्रयासों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कृषिवानिकी के अंतर्गत मीलिया डूबिया तथा महुआ प्रजातियों के साथ पर्यावरण में इसके हस्तक्षेप से भी अवगत कराया.

डॉ अनुभा श्रीवास्तव, वैज्ञानिक ने केंद्र में चल रही परियोजना यथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में कृषिवानिकी का विकास के अंतर्गत आंवला तथा सागौन आधारित कृषिवानिकी मॉडलों के प्रचार-प्रसार हेतु मॉडलों के स्थापन, रखरखाव, उत्पादन का निष्कर्षण तथा विपणन विषयों पर विस्तृत जानकारी दी. साथ ही आंवला के नरेंद्र किस्मों की गुणवत्ता पर प्रकाश डालते हुए उत्पादों/ काष्ठ के बिक्री स्रोतों से भी अवगत कराया. उन्होंने यूकेलिप्टस व गम्हार पर भी प्रकाश डाला.

इसी क्रम में केंद्र के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ एस डी शुक्ला ने सतावर से होने वाले लाभों से पूर्णतः अवगत कराया. इसके बाद विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत शोधार्थियों ने अलग-अलग विषयों पर क्रमशः योगेश अग्रवाल ने कृषिवानिकी में मसालों की खेती, अमित कुमार ने यूकेलिप्टस, हरिओम शुक्ला ने सागौन व आंवला, विनीत ने बांस, सत्यव्रत सिंह ने औषधीय पौधों और विनय ने विभिन्न प्रजाति के बारे में किसानों को जानकारी दी. इसके अलावा इसकी खेती कैसी की जाए, इसके बारे में भी किसानों को प्रशिक्षित किया गया.

प्रयागराज : पारि-पुनर्स्थापना वन अनुसंधान केंद्र द्वारा माघ मेला-2021 में चल रहे वन प्रसार एवं चेतना शिविर में कृषिवानिकी विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश प्र0, लखनऊ के सहयोग से किया गया. कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्वी उत्तर प्रदेश हेतु विभिन्न कृषिवानिकी मॉडलों का चुनाव, स्थापन व बिक्री संबंधित तकनीकी से किसानों, विद्यार्थियों व अन्य को अवगत कराना था. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. संजय सिंह, केंद्र प्रमुख व विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा दीप प्रज्वलित करने के साथ हुआ.

डॉ. सिंह ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून के अंतर्गत पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र, प्रयागराज के वन क्षेत्र की तरफ उन्मुख कार्यों को तथा मेला में आयोजित प्रदर्शन शिविर के उद्देश्य से अवगत कराते हुए लाख की प्रजातियों तथा सहजन से भी रूबरू कराया. केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक व शिविर संयोजक डॉ कुमुद दूबे ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में वनों को बढ़ावा देने में केंद्र के प्रयासों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कृषिवानिकी के अंतर्गत मीलिया डूबिया तथा महुआ प्रजातियों के साथ पर्यावरण में इसके हस्तक्षेप से भी अवगत कराया.

डॉ अनुभा श्रीवास्तव, वैज्ञानिक ने केंद्र में चल रही परियोजना यथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में कृषिवानिकी का विकास के अंतर्गत आंवला तथा सागौन आधारित कृषिवानिकी मॉडलों के प्रचार-प्रसार हेतु मॉडलों के स्थापन, रखरखाव, उत्पादन का निष्कर्षण तथा विपणन विषयों पर विस्तृत जानकारी दी. साथ ही आंवला के नरेंद्र किस्मों की गुणवत्ता पर प्रकाश डालते हुए उत्पादों/ काष्ठ के बिक्री स्रोतों से भी अवगत कराया. उन्होंने यूकेलिप्टस व गम्हार पर भी प्रकाश डाला.

इसी क्रम में केंद्र के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ एस डी शुक्ला ने सतावर से होने वाले लाभों से पूर्णतः अवगत कराया. इसके बाद विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत शोधार्थियों ने अलग-अलग विषयों पर क्रमशः योगेश अग्रवाल ने कृषिवानिकी में मसालों की खेती, अमित कुमार ने यूकेलिप्टस, हरिओम शुक्ला ने सागौन व आंवला, विनीत ने बांस, सत्यव्रत सिंह ने औषधीय पौधों और विनय ने विभिन्न प्रजाति के बारे में किसानों को जानकारी दी. इसके अलावा इसकी खेती कैसी की जाए, इसके बारे में भी किसानों को प्रशिक्षित किया गया.

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