प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज यानी रविवार को तीन बजे सुनवाई होगी, लेकिन उससे पहले कोर्ट ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को तलब किया है. अदालत ने पूछा कि किस नियम के तहत फोटो लगाए गए हैं. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है.
लखनऊ में सीएए विरोध के दौरान विगत दिनों हुई हिंसक झड़प के बाद आरोपियों की फोटो और पोस्टर्स सड़क किनारे लगाने की घटना को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेकर लखनऊ डीएम और डिविजनल पुलिस कमिश्नर से पूछा है कि वह रविवार 3 बजे हाई कोर्ट को बताएं कि कानून के किस प्रावधान के तहत लखनऊ में इस प्रकार का सड़क पर पोस्टर लगाया जा रहा है. कोर्ट छुट्टी के दिन इस मामले की सुनवाई करेगा.
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Update: Allahabad HC will hear at 3pm today, the case related to hoardings put up by Uttar Pradesh government, with names, addresses and photos of those who were accused of violence during protests against #CitizenshipAmendmentAct . The court has taken up the case on suo moto. https://t.co/SBOfP22n3O
— ANI UP (@ANINewsUP) March 8, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI UP (@ANINewsUP) March 8, 2020Update: Allahabad HC will hear at 3pm today, the case related to hoardings put up by Uttar Pradesh government, with names, addresses and photos of those who were accused of violence during protests against #CitizenshipAmendmentAct . The court has taken up the case on suo moto. https://t.co/SBOfP22n3O
— ANI UP (@ANINewsUP) March 8, 2020
अपने पारित आदेश में कोर्ट ने कहा है कि पोस्टर्स में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत पोस्टर्स लगाए गये हैं. हाई कोर्ट का मानना है कि पब्लिक प्लेस पर सम्बंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है. यह राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है .