प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट की प्रबंध समिति और उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मथुरा को भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से दाखिल किए गए जवाबी हलफनामे पर प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए समय दिया है. साथ ही याचिका को अगली सुनवाई के लिए 17 अप्रैल को पेश करने का निर्देश दिया है.
मथुरा अदालत में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर पहले ही रोक लगी है. वादी की तरफ से कहा गया कि प्लेसेस आप वर्शिप एक्ट 1991 के तहत सिविल वाद प्रकरण में पोषणीय नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट और अन्य की याचिका पर दिया है. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से मथुरा में सिविल जज की अदालत में सिविल वाद दाखिल कर 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने और 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की मांग की गई है.
वादी का कहना था कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर 1973 में दिया गया. फैसला वादी पर लागू नहीं होगा, क्योंकि वह पक्षकार नहीं था. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्ति की सुनवाई करते हुए अदालत ने 30 सितंबर 2020 को सिविल वाद खारिज कर दिया. इसके खिलाफ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से अपील दाखिल की गई. विपक्षी ने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की.
जिला जज मथुरा की अदालत ने अर्जी मंजूर करते हुए अपील को पुनरीक्षण अर्जी में तब्दील कर दिया. पुनरीक्षण अर्जी पर पांच प्रश्न तय किए गए. इसके बाद 19 मई 2022 को जिला जज की अदालत ने सिविल जज के वाद खारिज करने का 30 सितंबर 2020 का आदेश रद्द कर दिया. अधीनस्थ अदालत को दोनों पक्षों को सुनकर नियमानुसार आदेश करने का निर्देश जिला जज ने दिया है. इसकी वैधता को इन याचिकाओं में चुनौती दी गई है.
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