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बाघम्बरी मठ की गद्दी के लिए बढ़ सकती रार, पढ़ें क्या है पूरा मामला

प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bhartiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष महन्त नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) की मौत का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. अब बाघम्बरी मठ की गद्दी और लेटे हनुमान मंदिर की गद्दी को लेकर घमासान मच सकता है.

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मठ बाघम्बरी गद्दी
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Published : Aug 13, 2022, 8:55 PM IST

प्रयागराजः अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरी का सुसाइड मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. महंत की मौत के बाद मुकदमा दर्ज करवाने वाले पुजारी पवन और स्वामी अमर गिरी के मुकदमा वापस लेने का हलफनामा कोर्ट में देने के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है. एक बार फिर से बाघम्बरी मठ की गद्दी और लेटे हनुमान मंदिर की गद्दी को लेकर घमासान मच सकता है.

दूसरी तरफ कोर्ट में वादियों की तरफ से दाखिल किये गए एफिडेविट के बाद आनंद गिरी की जमानत की राह आसान होती दिख रही है. वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी का कहना है कि उन्हें मामले कि जानकारी मिली है. पूरे मामले को समझने और निपटाने के लिए वो जल्द ही प्रयागराज आएंगे.

महंत नरेंद्र गिरी की मौत के बाद उनकी वसीयत के मुताबिक बाघम्बरी मठ के महंत की जिम्मेदारी उनके शिष्य बलवीर गिरी को दी गयी. साथ ही लेटे हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक की जिम्मेदारी उनके दूसरे शिष्य अमर गिरी को दी गयी. वसीयत में लिखे हुए दूसरे लोगों को दूसरी जिम्मेदारी दी गई, लेकिन हाल ही में अमर गिरी ने नरेंद्र गिरी सुसाइड केस में चल रहे मुकदमे के दौरान हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर दिया है.

इस हलफनामा में यह लिखा हुआ है कि उन्होंने किसी व्यक्ति के खिलाफ नामजद मुकदमा नहीं लिखवाया था उनकी तरफ से सिर्फ घटना की सूचना पुलिस को दी गयी थी. उन्होंने कोई लिखित तहरीर नहीं दी थी यही वजह है कि उनके नाम से मुकदमे में जिनको आरोपी बनाया गया है उनके खिलाफ वो कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं. उन्हें भगवान पर भरोसा है उनके गुरु के साथ किसी ने गलत किया होगा, तो उसे भगवान सजा देंगे.

पढ़ेंः गुरु पूर्णिमा पर बाघम्बरी मठ में नरेंद्र गिरि के लिए प्रार्थना की गई

उनका यह भी कहना है कि वे संत हैं और उनकी वजह से कोई बेकसूर सजा पाए ये वो नहीं चाहते हैं इसलिए वे अब नरेंद्र गिरी केस में दर्ज मुकदमे में नामजद आरोपियों पर कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं, क्योंकि घटना के समय भी वे वहां मौजूद नहीं थे. अमर गिरी और पवन महाराज के द्वारा कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के बाद मठ में तनाव का माहौल बन गया है. पवन पुजारी को जहां मंदिर में पूजा करने से रोक दिया गया है, वहीं अमर गिरी की निगरानी बढ़ा दी गयी है.

चर्चा तो इस बात की भी है कि स्वामी अमर गिरी को लेटे हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक के पद से भी हटाया जा सकता है. महंत बलवीर गिरी उनसे यह जिम्मेदारी छीन चुके हैं. हालांकि इस वक्त बलवीर गिरी शहर से बाहर हैं और अमर गिरी किसी से बात नहीं कर रहे हैं इसलिए इन बातों को पूरी तरह से सच नहीं कहा जा सकता है. अमर गिरी के वकील नीरज तिवारी ने ईटीवी भारत को यह बताया कि उनके मुवक्किल को मंदिर के किसी पद से हटाए जाने की सूचना नहीं दी गयी है और वे जहां थे वहीं हैं. हालांकि उनकी निगरानी जरूर कुछ लोग कर रहे हैं.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने ईटीवी भारत से फोन पर बताया कि उन्हें मामले की जानकारी मिली है. वे इस पूरे मामले को समझने और निपटाने के लिए 20 अगस्त के पहले प्रयागराज आएंगे. यहां पर मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत बलवीर गिरी और मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरी के बीच क्या विवाद हुआ है इसकी पूरी जानकारी लेंगे. साथ ही दोनों पक्षों से बात कर उन्हें पुनः एक करने का प्रयास करेंगे.

अमर गिरी ने हाईकोर्ट में क्यों अर्जी दी है उन्हें मंदिर से हटाने की बात बलवीर गिरी ने क्यों कही इसका पता लगाएंगे. उनका यह भी कहना है कि एक ही वसीयत से दोनों को अलग-अलग जिम्मेदारी मिली, तो इतनी जल्दी उनके बीच किस वजह से मनमुटाव हुआ है. इसके पीछे क्या वजह है ये सब पता किया जाएगा. इसके बाद वो अपना फैसला लेंगे.

आनंद गिरी के जमानत की राह होगी आसान
20 सिंतबर 2021 को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरी का शव उनके मठ में फंदे से लटकता हुआ मिला था. इसके बाद सुसाइड के लिए मजबूर करने का आरोप उनके ही शिष्य रहे आनंद गिरी और पिता पुत्र पुजारियों पर लगा था. पुलिस ने घटना के एक दिन बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. उस वक्त महंत नरेंद्र गिरी के शिष्य अमर गिरी और मंदिर के पुजारी आद्या और उसके बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.

उस वक्त मुकदमा दर्ज करवाने वाले अमर गिरी और पवन पुजारी ने हाईकार्ट में हलफनामा देकर बताया है कि उन्होंने किसी भी व्यक्ति के खिलाफ नामजद केस दर्ज नहीं करवाया था. साथ ही यह भी बताया गया कि वो घटना के समय मठ में नहीं थे, उस वक्त वे दोनों लोग हनुमान मंदिर में थे और वहां फोन से उन्हें सूचना मिली थी.

पढ़ेंः आनंद गिरी ने जेल के मंदिर में पूजा-पाठ की मांगी अनुमति

इसके बाद वो दोनों मठ पहुंचे थे और पुलिस को सिर्फ मौत की सूचना दी थी, जिससे पोस्टमार्टम समेत आगे की कार्रवाई शुरू हो सके. दोनों ने कोर्ट में दाखिल हलफनामा में यह भी कहा है कि उन्हें किसी व्यक्ति को फंसाना नहीं है. इसी वजह से वो उनके नाम से दर्ज करवाये गए. मुकदमे पर कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं. कानून के जानकार कहते है इस हलफनामा के दाखिल होने के बाद आनंद गिरी की जेल से बाहर आने की राह जरूर आसान होती दिख रही है.इस हलफनामा से आनंद गिरी के जमानत में आने वाली अड़चने अपने आप दूर हो सकती हैं, जिससे उनकी जमानत की राह भी आसान होगी.

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प्रयागराजः अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरी का सुसाइड मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. महंत की मौत के बाद मुकदमा दर्ज करवाने वाले पुजारी पवन और स्वामी अमर गिरी के मुकदमा वापस लेने का हलफनामा कोर्ट में देने के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है. एक बार फिर से बाघम्बरी मठ की गद्दी और लेटे हनुमान मंदिर की गद्दी को लेकर घमासान मच सकता है.

दूसरी तरफ कोर्ट में वादियों की तरफ से दाखिल किये गए एफिडेविट के बाद आनंद गिरी की जमानत की राह आसान होती दिख रही है. वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी का कहना है कि उन्हें मामले कि जानकारी मिली है. पूरे मामले को समझने और निपटाने के लिए वो जल्द ही प्रयागराज आएंगे.

महंत नरेंद्र गिरी की मौत के बाद उनकी वसीयत के मुताबिक बाघम्बरी मठ के महंत की जिम्मेदारी उनके शिष्य बलवीर गिरी को दी गयी. साथ ही लेटे हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक की जिम्मेदारी उनके दूसरे शिष्य अमर गिरी को दी गयी. वसीयत में लिखे हुए दूसरे लोगों को दूसरी जिम्मेदारी दी गई, लेकिन हाल ही में अमर गिरी ने नरेंद्र गिरी सुसाइड केस में चल रहे मुकदमे के दौरान हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर दिया है.

इस हलफनामा में यह लिखा हुआ है कि उन्होंने किसी व्यक्ति के खिलाफ नामजद मुकदमा नहीं लिखवाया था उनकी तरफ से सिर्फ घटना की सूचना पुलिस को दी गयी थी. उन्होंने कोई लिखित तहरीर नहीं दी थी यही वजह है कि उनके नाम से मुकदमे में जिनको आरोपी बनाया गया है उनके खिलाफ वो कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं. उन्हें भगवान पर भरोसा है उनके गुरु के साथ किसी ने गलत किया होगा, तो उसे भगवान सजा देंगे.

पढ़ेंः गुरु पूर्णिमा पर बाघम्बरी मठ में नरेंद्र गिरि के लिए प्रार्थना की गई

उनका यह भी कहना है कि वे संत हैं और उनकी वजह से कोई बेकसूर सजा पाए ये वो नहीं चाहते हैं इसलिए वे अब नरेंद्र गिरी केस में दर्ज मुकदमे में नामजद आरोपियों पर कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं, क्योंकि घटना के समय भी वे वहां मौजूद नहीं थे. अमर गिरी और पवन महाराज के द्वारा कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के बाद मठ में तनाव का माहौल बन गया है. पवन पुजारी को जहां मंदिर में पूजा करने से रोक दिया गया है, वहीं अमर गिरी की निगरानी बढ़ा दी गयी है.

चर्चा तो इस बात की भी है कि स्वामी अमर गिरी को लेटे हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक के पद से भी हटाया जा सकता है. महंत बलवीर गिरी उनसे यह जिम्मेदारी छीन चुके हैं. हालांकि इस वक्त बलवीर गिरी शहर से बाहर हैं और अमर गिरी किसी से बात नहीं कर रहे हैं इसलिए इन बातों को पूरी तरह से सच नहीं कहा जा सकता है. अमर गिरी के वकील नीरज तिवारी ने ईटीवी भारत को यह बताया कि उनके मुवक्किल को मंदिर के किसी पद से हटाए जाने की सूचना नहीं दी गयी है और वे जहां थे वहीं हैं. हालांकि उनकी निगरानी जरूर कुछ लोग कर रहे हैं.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने ईटीवी भारत से फोन पर बताया कि उन्हें मामले की जानकारी मिली है. वे इस पूरे मामले को समझने और निपटाने के लिए 20 अगस्त के पहले प्रयागराज आएंगे. यहां पर मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत बलवीर गिरी और मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरी के बीच क्या विवाद हुआ है इसकी पूरी जानकारी लेंगे. साथ ही दोनों पक्षों से बात कर उन्हें पुनः एक करने का प्रयास करेंगे.

अमर गिरी ने हाईकोर्ट में क्यों अर्जी दी है उन्हें मंदिर से हटाने की बात बलवीर गिरी ने क्यों कही इसका पता लगाएंगे. उनका यह भी कहना है कि एक ही वसीयत से दोनों को अलग-अलग जिम्मेदारी मिली, तो इतनी जल्दी उनके बीच किस वजह से मनमुटाव हुआ है. इसके पीछे क्या वजह है ये सब पता किया जाएगा. इसके बाद वो अपना फैसला लेंगे.

आनंद गिरी के जमानत की राह होगी आसान
20 सिंतबर 2021 को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरी का शव उनके मठ में फंदे से लटकता हुआ मिला था. इसके बाद सुसाइड के लिए मजबूर करने का आरोप उनके ही शिष्य रहे आनंद गिरी और पिता पुत्र पुजारियों पर लगा था. पुलिस ने घटना के एक दिन बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. उस वक्त महंत नरेंद्र गिरी के शिष्य अमर गिरी और मंदिर के पुजारी आद्या और उसके बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.

उस वक्त मुकदमा दर्ज करवाने वाले अमर गिरी और पवन पुजारी ने हाईकार्ट में हलफनामा देकर बताया है कि उन्होंने किसी भी व्यक्ति के खिलाफ नामजद केस दर्ज नहीं करवाया था. साथ ही यह भी बताया गया कि वो घटना के समय मठ में नहीं थे, उस वक्त वे दोनों लोग हनुमान मंदिर में थे और वहां फोन से उन्हें सूचना मिली थी.

पढ़ेंः आनंद गिरी ने जेल के मंदिर में पूजा-पाठ की मांगी अनुमति

इसके बाद वो दोनों मठ पहुंचे थे और पुलिस को सिर्फ मौत की सूचना दी थी, जिससे पोस्टमार्टम समेत आगे की कार्रवाई शुरू हो सके. दोनों ने कोर्ट में दाखिल हलफनामा में यह भी कहा है कि उन्हें किसी व्यक्ति को फंसाना नहीं है. इसी वजह से वो उनके नाम से दर्ज करवाये गए. मुकदमे पर कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं. कानून के जानकार कहते है इस हलफनामा के दाखिल होने के बाद आनंद गिरी की जेल से बाहर आने की राह जरूर आसान होती दिख रही है.इस हलफनामा से आनंद गिरी के जमानत में आने वाली अड़चने अपने आप दूर हो सकती हैं, जिससे उनकी जमानत की राह भी आसान होगी.

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