प्रयागराज: इलाहबाद हाइकोर्ट ने सोनभद्र के पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रभु राम चौहान को न्यायालय का अवमानना का दोषी करार दिया है और 15 दिन के साधारण कारावास तथा 2000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. सजा का आदेश न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी ने दीप्तिमान बनर्जी की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता अजिताभ चौबे को सुनकर दिया है.
याची का कहना था कि उसकी नियुक्ति सहायक अध्यापक के पद पर मृतक आश्रित कोटे में हुई थी. उनको ट्रेनिंग से छूट मिली थी. याची सहित 11 लोगों का नाम छूट पाने वालों की सूची में है. मगर प्रोन्नति सूची में उसका नाम शामिल नहीं किया गया. बाद में भूल सुधार करते हुए विभाग ने याची को नोशनल प्रमोशन दिया. मगर उसे उस तिथि से नोशनल प्रमोशन नहीं दिया गया जिस तिथि से उसके कनिष्ठ को दिया गया था.
याची ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रोन्नति आदेश को चुनौती दी. हाईकोर्ट ने याची को 19 मई 2008 से नोशनल प्रमोशन देने का आदेश तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिया. आदेश के अनुपालन में बीएसए प्रभु राम चौहान ने याची को प्रशिक्षित वेतनमान पाने की तिथि से नोशनल वरिष्ठता दे दी, जबकि उनको याची की नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता देनी थी. कोर्ट ने इसे जान बूझकर की गई अवमानना करार देते हुए सजा सुनाई है.