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फतेहपुर सीकरी केस: कोर्ट का टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के खिलाफ एक पक्षीय आदेश, 28 फरवरी को अगली सुनवाई - FATEHPUR SIKRI CONTROVERSY

फतेहपुर सीकरी मामले में कोर्ट ने टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के विरुद्ध एक पक्षीय आदेश जारी कर दिया है.

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फतेहपुर सीकरी- सलीम चिश्ती दरगाह (pic credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 20, 2025, 10:19 PM IST

आगरा: जिले के अतिरिक्त सिविल जज-1 के न्यायालय में सोमवार को फतेहपुर सीकरी मामले की सुनवाई हुई. पिछली तारीख 6 दिसंबर को प्रतिवादी के मोहम्मद के अधिवक्ता विवेक कुमार हाजिर हुए थे. लेकिन, दूसरा प्रतिवादी पक्ष टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन फतेहपुर सीकरी लगातार नोटिस तामीन होने के बाद कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहा है. न्यायालय ने सोमवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने प्रतिवादी टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के विरुद्ध एक पक्षीय आदेश जारी करके अब मामले में अगली सुनवाई की तरीख 28 फरवरी दी है.

बता दें कि आगरा के लघुवाद न्यायालय में पहले से ही ताजमहल या तेजोमहालय, जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे भगवान केशव देव के विग्रह दबे होने का मामले और ताजमहल में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक का मामला विचाराधीन है. इन मामलों में लगातार तारीखों पर सुनवाई हो रही है. फतेहपुर सीकरी स्थित शेख सलीम चिश्ती की दरगाह और कामाख्या माता मंदिर का मामला और फतेहपुर सीकरी मामला कोर्ट में चल रहे हैं. क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने फतेहपुर सीकरी का नाम विजयपुर सीकरी करने, अकबर और जोधाबाई की शादी की कहानी झूठी घोषित करने और फतेहपुर सीकरी के उत्खनन की मांग की है. वादी अजय प्रताप सिंह ने फतेहपुर सीकरी मामले में प्रतिवादी एएसआई के आगरा सर्किल के पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद केके मोहम्मद और टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन फतेहपुर सीकरी को बनाया है.

फतेहपुर सीकरी का सत्य सामने आना चाहिए : वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि एएसआई के आगरा सर्किल में पूर्व में केके मोहम्मद अधीक्षण पुरातत्वविद रहे हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में अकबर के इबादतखाना नाम के नए स्मारक का निर्माण किया था. इस तथ्य की जानकारी डॉ. डीवी शर्मा की पुस्तक 'आर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी' है. डॉ. डीवी शर्मा भी आगरा सर्किल में अधीक्षण पुरातत्वविद रहे हैं. वह केके मोहम्मद से पहले आगरा में थे. उस दौरान डॉ. डीवी शर्मा ने अपने कार्यकाल के दौरान फतेहपुर सीकरी के वीर छबीली टीले के उत्खनन कराया था. इसमें 1000 ईसवी काल के हिन्दू सभ्यता के प्रमाण खोजे थे. इस कारण राजनीतिक दबाब के चलते डॉ. डीवी शर्मा का आगरा सर्किल से स्थानांतरण करवा दिया गया. इसकी वजह से ही फतेहपुर सीकरी का सत्य सभी के सामने आने से रह गया था. वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह का कहना है कि फतेहपुर सीकरी का सत्य सबके सामने आना चाहिए. इसके लिए उत्खनन करना जरूरी है.

इसे भी पढ़ें - शेख सलीम चिश्ती दरगाह, कामाख्या मंदिर विवाद; सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के आदेश - Kamakhya Temple Controversy - KAMAKHYA TEMPLE CONTROVERSY

सिकरवार वंश का था राज्य, बाबरनामा में जिक्र : वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि फतेहपुर सीकरी का मूल नाम सीकरी है. इसे विजयपुर सीकरी भी कहते थे जो सिकरवार क्षत्रियों का राज्य था. यहां पर विवादित संपत्ति माता कामाख्या देवी का मूल गर्भ गृह व मंदिर परिसर था. जबकि, एक प्रचलित ऐतिहासिक कहानी के मुताबिक अकबर ने फतेहपुर सीकरी को बसाया था. यह एक झूठ है. मुगलवंश के संस्थापक बाबर की जीवनी बाबरनामा में सीकरी का उल्लेख है. वर्तमान में बुलंद दरवाजे के नीचे दक्षिण पश्चिम में एक अष्टभुजीय कुआं है. दक्षिण पूर्वी हिस्से में एक गरीब घर है. जिसके निर्माण का वर्णन बाबर ने किया है. एएसआई के अभिलेख भी यही मानते हैं.

आर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी- न्यू डिस्कवरीज में जिक्र : एएसआई के रिटायर्ड अधिकारी डॉ. डीवी शर्मा को अपने कार्यकाल में फतेहपुर सीकरी के बीर छबीली टीले की खोदाई में सरस्वती और जैन मूर्तियां मिली थीं. वे 1000 ईं की थीं. इस बारे में डीबी शर्मा ने अपनी पुस्तक 'आर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी- न्यू डिस्कवरीज' में विस्तार से लिखा है. इस पुस्तक के पेज संख्या 86 पर वाद संपत्ति का निर्माण हिन्दू व जैन मंदिर के अवशेषों से बताया है. इस बारे में अंग्रेज अफसर ईबी हावेल ने वाद संपत्ति के खम्भों व छत को हिन्दू शिल्पकला बताया है.

यह भी पढ़ें - फतेहपुर सीकरी की सलीम चिश्ती की दरगाह पर कामाख्या मंदिर होने का दावा, अदालत में मुकदमा, जानें क्या है पूरा मामला - Kamakhya temple claim - KAMAKHYA TEMPLE CLAIM

आगरा: जिले के अतिरिक्त सिविल जज-1 के न्यायालय में सोमवार को फतेहपुर सीकरी मामले की सुनवाई हुई. पिछली तारीख 6 दिसंबर को प्रतिवादी के मोहम्मद के अधिवक्ता विवेक कुमार हाजिर हुए थे. लेकिन, दूसरा प्रतिवादी पक्ष टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन फतेहपुर सीकरी लगातार नोटिस तामीन होने के बाद कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहा है. न्यायालय ने सोमवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने प्रतिवादी टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के विरुद्ध एक पक्षीय आदेश जारी करके अब मामले में अगली सुनवाई की तरीख 28 फरवरी दी है.

बता दें कि आगरा के लघुवाद न्यायालय में पहले से ही ताजमहल या तेजोमहालय, जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे भगवान केशव देव के विग्रह दबे होने का मामले और ताजमहल में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक का मामला विचाराधीन है. इन मामलों में लगातार तारीखों पर सुनवाई हो रही है. फतेहपुर सीकरी स्थित शेख सलीम चिश्ती की दरगाह और कामाख्या माता मंदिर का मामला और फतेहपुर सीकरी मामला कोर्ट में चल रहे हैं. क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने फतेहपुर सीकरी का नाम विजयपुर सीकरी करने, अकबर और जोधाबाई की शादी की कहानी झूठी घोषित करने और फतेहपुर सीकरी के उत्खनन की मांग की है. वादी अजय प्रताप सिंह ने फतेहपुर सीकरी मामले में प्रतिवादी एएसआई के आगरा सर्किल के पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद केके मोहम्मद और टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन फतेहपुर सीकरी को बनाया है.

फतेहपुर सीकरी का सत्य सामने आना चाहिए : वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि एएसआई के आगरा सर्किल में पूर्व में केके मोहम्मद अधीक्षण पुरातत्वविद रहे हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में अकबर के इबादतखाना नाम के नए स्मारक का निर्माण किया था. इस तथ्य की जानकारी डॉ. डीवी शर्मा की पुस्तक 'आर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी' है. डॉ. डीवी शर्मा भी आगरा सर्किल में अधीक्षण पुरातत्वविद रहे हैं. वह केके मोहम्मद से पहले आगरा में थे. उस दौरान डॉ. डीवी शर्मा ने अपने कार्यकाल के दौरान फतेहपुर सीकरी के वीर छबीली टीले के उत्खनन कराया था. इसमें 1000 ईसवी काल के हिन्दू सभ्यता के प्रमाण खोजे थे. इस कारण राजनीतिक दबाब के चलते डॉ. डीवी शर्मा का आगरा सर्किल से स्थानांतरण करवा दिया गया. इसकी वजह से ही फतेहपुर सीकरी का सत्य सभी के सामने आने से रह गया था. वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह का कहना है कि फतेहपुर सीकरी का सत्य सबके सामने आना चाहिए. इसके लिए उत्खनन करना जरूरी है.

इसे भी पढ़ें - शेख सलीम चिश्ती दरगाह, कामाख्या मंदिर विवाद; सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के आदेश - Kamakhya Temple Controversy - KAMAKHYA TEMPLE CONTROVERSY

सिकरवार वंश का था राज्य, बाबरनामा में जिक्र : वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि फतेहपुर सीकरी का मूल नाम सीकरी है. इसे विजयपुर सीकरी भी कहते थे जो सिकरवार क्षत्रियों का राज्य था. यहां पर विवादित संपत्ति माता कामाख्या देवी का मूल गर्भ गृह व मंदिर परिसर था. जबकि, एक प्रचलित ऐतिहासिक कहानी के मुताबिक अकबर ने फतेहपुर सीकरी को बसाया था. यह एक झूठ है. मुगलवंश के संस्थापक बाबर की जीवनी बाबरनामा में सीकरी का उल्लेख है. वर्तमान में बुलंद दरवाजे के नीचे दक्षिण पश्चिम में एक अष्टभुजीय कुआं है. दक्षिण पूर्वी हिस्से में एक गरीब घर है. जिसके निर्माण का वर्णन बाबर ने किया है. एएसआई के अभिलेख भी यही मानते हैं.

आर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी- न्यू डिस्कवरीज में जिक्र : एएसआई के रिटायर्ड अधिकारी डॉ. डीवी शर्मा को अपने कार्यकाल में फतेहपुर सीकरी के बीर छबीली टीले की खोदाई में सरस्वती और जैन मूर्तियां मिली थीं. वे 1000 ईं की थीं. इस बारे में डीबी शर्मा ने अपनी पुस्तक 'आर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी- न्यू डिस्कवरीज' में विस्तार से लिखा है. इस पुस्तक के पेज संख्या 86 पर वाद संपत्ति का निर्माण हिन्दू व जैन मंदिर के अवशेषों से बताया है. इस बारे में अंग्रेज अफसर ईबी हावेल ने वाद संपत्ति के खम्भों व छत को हिन्दू शिल्पकला बताया है.

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