प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद (Swami Chinmayanand) को दुराचार मामले में अग्रिम जमानत दे दी है. कोर्ट ने इस मामले मे पीड़िता और राज्य सरकार को 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी की दलिलों को सुनकर दिया है.
वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने कहा था कि याचिकाकर्ता का कोई अपराधिक इतिहास नहीं है. वह कई मेडिकल और शैक्षणिक संस्थाएं संचालित कर रहा है तथा एक आध्यात्मिक व शैक्षणिक पृष्ठभूमि का व्यक्ति है. याचिकाकर्ता की उम्र 75 वर्ष है. इससे पूर्व भी न्यायालय ने याचिकाकर्ता को अंतरिम संरक्षण देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष 14 नवंबर 2022 तक सरेंडर करने की मोहलत दी थी, मगर उक्त आदेश से याची की अग्रिम जमानत मंजूर किए जाने में कोई बाधा नहीं है.
राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एके सड ने जमानत अर्जी का विरोध किया लेकिन वह वरिष्ठ अधिवक्ता की ओर से दिए गए तथ्यों को नकार नहीं सके. कोर्ट ने राज्य सरकार व शिकायतकर्ता पीड़िता को अपना पक्ष हलफनामा के माध्यम से दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह की मोहलत देते हुए स्वामी चिन्मयानंद की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है.
याचिकाकर्ता स्वामी चिन्मयानंद पर 2011 में आश्रम में एक शिष्या को बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप है. शिष्या और उसके परिजनों ने शाहजहांपुर के कोतवाली थाने में FIR दर्ज कराई थी. राज्य सरकार ने 9 मार्च 2018 को चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज दुराचार के केस को वापस लेने का आदेश जारी किया था. सरकार के मुकदमा वापसी के आदेश शाहजहांपुर की अदालत में दाखिल किया गया. शाहजहांपुर की अदालत ने सुनवाई के बाद मुकदमा वापसी के फैसले को गलत माना था. निचली अदालत के इस फैसले को वर्ष 2018 में ही चुनौती दी गई थी.
स्वामी चिन्मयानंद की ओर से 76 साल की उम्र होने और कई गंभीर बीमारियां होने के आधार पर राहत की अपील की गई थी. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया. इसके साथ ही स्वामी चिन्मयानंद को 30 अक्तूबर तक शाहजहांपुर की अदालत में हाजिर होने को कहा गया और निचली अदालत के मुताबिक ही चिन्मयानंद की जमानत अर्जी पर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया. इसके बाद स्वामी चिन्मयानंद की ओर से शाहजहांपुर की अदालत में अग्रिम जमानत अर्जी दी गई, इस याचिका को निचली अदालत ने खारिज कर दिया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.
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