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अधिकार क्षेत्र से बाहर के आरोपी को जारी सम्मन अवैध करार, आदेश रद्द - Advocate Sudhir Kumar Singh on the petition

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मऊ के गोविंद प्रजापति और किशोर प्रजापति के खिलाफ विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कानपुर नगर द्वारा जारी सम्मन अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण रद्द कर दिया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jul 27, 2022, 10:39 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मऊ जिले के निवासी गोविंद प्रजापति और किशोर प्रजापति के खिलाफ विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कानपुर नगर द्वारा जारी सम्मन अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण रद्द कर दिया है. कहा कि अधिकार क्षेत्र से बाहर सम्मन न जारी करें. यह आदेश न्यायमूर्ति अर्विंद कुमार मिश्र ने गोविंद प्रजापति और अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह ने बहस की. इनका कहना है कि राम प्रवेश सिंह बनाम गोविंद प्रजापति और अन्य केस की सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेट ने 12 अप्रैल 21 को सम्मन जारी किया है. मामला कानपुर नगर के बर्रा थाने का है. मजिस्ट्रेट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202के तहत गवाह का बयान दर्ज कराया और सम्मन जारी कर दिया, जिसकी वैधता को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि आदेश विधि विरुद्ध है.

यह भी पढ़ें- अपहरण, बलात्कार और एससी एसटी एक्ट के आरोपी को कोर्ट ने किया बरी

वहीं, कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है. कोर्ट ने मई में ही विपक्षी से जवाब मांगा था किन्तु कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा समन मऊ के पते पर है. कानून की नजर में अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण वैध नहीं है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मऊ जिले के निवासी गोविंद प्रजापति और किशोर प्रजापति के खिलाफ विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कानपुर नगर द्वारा जारी सम्मन अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण रद्द कर दिया है. कहा कि अधिकार क्षेत्र से बाहर सम्मन न जारी करें. यह आदेश न्यायमूर्ति अर्विंद कुमार मिश्र ने गोविंद प्रजापति और अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह ने बहस की. इनका कहना है कि राम प्रवेश सिंह बनाम गोविंद प्रजापति और अन्य केस की सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेट ने 12 अप्रैल 21 को सम्मन जारी किया है. मामला कानपुर नगर के बर्रा थाने का है. मजिस्ट्रेट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202के तहत गवाह का बयान दर्ज कराया और सम्मन जारी कर दिया, जिसकी वैधता को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि आदेश विधि विरुद्ध है.

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वहीं, कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है. कोर्ट ने मई में ही विपक्षी से जवाब मांगा था किन्तु कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा समन मऊ के पते पर है. कानून की नजर में अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण वैध नहीं है.

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