प्रयागराजः केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबद (Central University Allahabad) में फीस वृद्धि के मुद्दे को लेकर एक तरफ जहां छात्र अनशन और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बहुत से ऐसे छात्र हैं, जो फीस वृद्धि को तो गलत बताते हुए छात्र आंदोलन का समर्थन करने की बात कह रहे हैं. लेकिन ये छात्र आंदोलन का समर्थन करने धरना स्थल तक नहीं जाते हैं. ये छात्र निरतंर अपनी कक्षाओं में जाकर पढ़ाई करते हैं. जबकि कुछ ऐसे भी छात्र हैं, जिन्हें फीस वृद्धि से कोई परेशानी नहीं है. ऐसे छात्रों का मानना है कि वो सिर्फ अपनी पढ़ाई करने के लिए विश्वविद्यालय में आए हैं.
आपको बता दें कि केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबद में इस सत्र से एडमिशन लेने वाले छात्रों को बढ़ी हुई फीस भरनी पड़ेगी. हालांकि पहले से कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों को पुरानी फीस देनी होगी. नयी फीस को इस सत्र से होने वाले प्रवेश पर लागू किया गया है. विश्वविद्यालय में अभी तक बीए की फीस 975 रुपये लगती थी. जो अब 3701 रुपये लगेगी. इसी तरह से बीकॉम की लगने वाली 975 रुपये की फीस को बढ़ाकर 3901 रुपये कर दिया गया है. जबकि बीएससी के लिए लगने वाली 1125 रुपये की फीस को बढ़ाकर 4151 रुपये कर दिया गया है. वहीं एमए-एमएमसी में लगने वाली 1375-1961 रुपये की फीस को बढ़ाकर 4651-6001 रुपये कर दिया गया है. इसके साथ ही बीटेक की 1941 रुपये की फीस को बढ़ाकर 5151 रुपये कर दिया गया है. इसी तरह से एलएलबी की 1375 रुपये की फीस को बढ़ाकर 4651 रुपया कर दिया गया है. इसी तरह से आईकार्ड से लेकर अन्य मदों में लगने वाले शुल्क में भी बढ़ोत्तरी कर दी गई है.
गरीब छात्रों की पहुंच से बाहर हो जाएगी फीस
केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबद में फीस वृद्धि को लेकर छात्र लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से फीस को चार गुना बढ़ा दिया गया है. उससे गरीब तबके के छात्रों की पहुंच से फीस बाहर हो गयी है. विरोध करने वाले छात्रों का आरोप है कि एक तरफ सरकार गरीबों को निशुल्क राशन दे रही है. दूसरी तरफ से गरीबों के बच्चे जहां पढ़ने जाते हैं. वहां फीस को चार गुना बढ़ा दिया गया है. जिससे कि गरीबों के बच्चों को ही बढ़ी हुई फीस भरने में दिक्कत हो रही है. इसी वजह से छात्र बढ़ी हुई फीस को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
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विश्वविद्यालय प्रशासन ने फीस वृद्धि को बताया जरूरी
केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबद में छात्र फीस वृद्धि से नाराज हैं. छात्र धरना प्रदर्शन करते हुए जहां चार गुना फीस वृद्धि का विरोध कर रहे हैं. वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि समय और जरूरत की वजह से फीस वृद्धि की गयी है. पीआरओ प्रो. जया कपूर का कहना है कि बढ़ी हुई फीस में ट्यूशन फीस भी शामिल है. जो 100 साल पहले से अभी तक 12 रुपये ली जाती थी. उसके साथ ही अन्य मदों में ली जाने वाली फीस में बढ़ोत्तरी की गयी है. उनका यह भी कहना है कि फीस चार गुना बढ़ाने के बावजूद भी केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबद की फीस अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य निजी संस्थानों के मुकाबले काफी कम है.
पीआरओ ने बताया कि यूजीसी और केंद्र सरकार की तरफ से विश्वविद्यालय को अपने आय के स्त्रोत बढ़ाने के लिए निर्देश दिए जाते रहे हैं. यही वजह है कि अपनी आय और शिक्षण स्तर व छात्रो को दी जाने वाली सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए फीस में वृद्धि की गई है. विश्वविद्यालय प्रशासन का यह भी कहना है कि आने वाले दिनों में निजी संस्थानों से प्रतिष्पर्धा की वजह से विश्वविद्यालय में शिक्षण और अन्य सुविधाएं बढ़ाये जाने के लिए फीस वृद्धि की गई है.
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