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UPSC Exam में हिंदी माध्यम के छात्रों को वरीयता देने के लिए निकाला मार्च

यूपी के प्रयागराज स्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने पीएम मोदी से हिंदी माध्यम से प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए पहल करने की मांग की है. छात्रों ने रैली निकालकर संघ लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परिक्षाओं में हिंदी माध्यम में परीक्षा कराने की मांग रखी है.

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हिंदी माध्यम के छात्रों को वरीयता देने के लिए निकाला मार्च .
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Published : Feb 9, 2020, 10:12 AM IST

प्रयागराज: संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले प्रतियोगी छात्रों की सफलता दर कम होने पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने चिंता जताई है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता रजनीश सिंह रिशु के नेतृत्व में छात्रों ने हिंदी पृष्ठभूमि के प्रतियोगी छात्रों ने रैली निकालकर सभा का आयोजन किया. इस रैली में भारी संख्या में प्रतियोगी छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया.

ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र-छात्राओं के साथ हो रहा अन्याय-छात्र नेता.

ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र-छात्राओं के साथ हो रहा अन्याय
रैली में शामिल छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए छात्र नेता रजनीश सिंह ने कहा कि वर्ष 2010 के बाद से संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पद्धति में बहुत सारे बदलाव हुए हैं, जिसकी वजह से वर्तमान समय में हिंदी माध्यम का परिणाम 1% रह गया है. इसी के साथ-साथ क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों से मानविकी विषय से ग्रेजुएट होने वाले छात्रों की संख्या का चयन भी शून्य है. उनका कहना है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि के हिंदी पट्टी के छात्र-छात्राओं के साथ अन्याय हो रहा है, जबकि आईआईटी पीएमटी के छात्र IAS टॉप कर रहे हैं.

छात्रों ने प्रधानमंत्री मोदी से हिंदी माध्यम से प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए पहल करने की मांग की है. छात्रों का कहना है कि इस मसले पर पीएम गंभीरता से विचार करें. रैली में शामिल छात्र-छात्राओं का कहना है कि आयोग अगर हिंदी माध्यम को लेकर विचार नहीं करता है तो यह आंदोलन जारी रहेगा. छात्र-छात्राओं ने सुभाष चौराहे पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों को अपना ज्ञापन सौंपा.

प्रयागराज: संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले प्रतियोगी छात्रों की सफलता दर कम होने पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने चिंता जताई है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता रजनीश सिंह रिशु के नेतृत्व में छात्रों ने हिंदी पृष्ठभूमि के प्रतियोगी छात्रों ने रैली निकालकर सभा का आयोजन किया. इस रैली में भारी संख्या में प्रतियोगी छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया.

ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र-छात्राओं के साथ हो रहा अन्याय-छात्र नेता.

ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र-छात्राओं के साथ हो रहा अन्याय
रैली में शामिल छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए छात्र नेता रजनीश सिंह ने कहा कि वर्ष 2010 के बाद से संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पद्धति में बहुत सारे बदलाव हुए हैं, जिसकी वजह से वर्तमान समय में हिंदी माध्यम का परिणाम 1% रह गया है. इसी के साथ-साथ क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों से मानविकी विषय से ग्रेजुएट होने वाले छात्रों की संख्या का चयन भी शून्य है. उनका कहना है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि के हिंदी पट्टी के छात्र-छात्राओं के साथ अन्याय हो रहा है, जबकि आईआईटी पीएमटी के छात्र IAS टॉप कर रहे हैं.

छात्रों ने प्रधानमंत्री मोदी से हिंदी माध्यम से प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए पहल करने की मांग की है. छात्रों का कहना है कि इस मसले पर पीएम गंभीरता से विचार करें. रैली में शामिल छात्र-छात्राओं का कहना है कि आयोग अगर हिंदी माध्यम को लेकर विचार नहीं करता है तो यह आंदोलन जारी रहेगा. छात्र-छात्राओं ने सुभाष चौराहे पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों को अपना ज्ञापन सौंपा.

Intro:संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले प्रतियोगी छात्रों की सफलता दर कम और घटते चयन को लेकर के आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता रजनीश सिंह रिशु के नेतृत्व में शहर के कंपनी बाग से सुभाष चौराहे तक एक रैली और सभा का आयोजन किया गया जिसमें भारी संख्या में छात्र प्रतियोगी छात्र छात्राओं ने हिस्सा लिया।


Body:प्रयागराज रैली में शामिल छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए रजनीश सिंह ने कहा कि वर्ष 2010 के बाद से संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पद्धति में बहुत सारे बदलाव हुए हैं जिसमें वर्तमान समय में हिंदी माध्यम का परिणाम 1% रह गया है इसी के साथ साथ क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों से मानविकी विषय से ग्रेजुएट होने वालों की संख्या का चयन भी शून्य है । छात्र छात्राओं को जानकारी देते हुए रजनीश सिंह ने बताया कि एक समय था जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में चयन होने वाले छात्रों की संख्या सबसे अधिक होती थी लेकिन बीते कुछ सालों में परीक्षाओं में अंग्रेजी माध्यम को बढ़ावा दिए जाने के चलते यह नतीजा अब शून्य की तरफ हो गया है।


Conclusion:जबकि सरकार की ओर से बार-बार यह कहा जा रहा है किस प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी मातृभाषा से भी छात्रों का चयन हो रहा है यहां मातृभाषा नहीं बल्कि परीक्षा के माध्यम की बात हो रही है। ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों और मानविकी विषयों उत्तीर्ण हुए छात्र छात्राओं का वर्तमान समय में चयन की संख्या जहां घटी है वही टेक्निकल मेडिकल और व्यवसायिक पाठ्यक्रम किए हुए अभ्यर्थियों की सफलता दर 100 फ़ीसदी तक हो रही है। रैली में शामिल छात्र-छात्राओं का कहना है कि आयोग अगर माध्यम को लेकर के विचार नहीं करता तो यह आंदोलन जारी रहेगा रैली में शामिल छात्र-छात्राओं ने कंपनी बाग से रैली निकालते हुए विभिन्न मार्गो से होते हुए सुभाष चौराहे पहुंचे और वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों को अपना ज्ञापन सौंपा। बाईट: रजनीश सिंह रिशु छात्र नेता इलाहाबाद विश्वविद्यालय
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