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पांडवों ने की थी पड़िला महादेव की खोज, महाशिवरात्रि पर लगा भक्तों का तांता

प्रयागराज के पाण्डेश्वर नाथ मंदिर में महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का तांता लगा है. मान्यता है कि पांचों पाण्डव जब वनवास के लिए निकले थे तो एक दिन के लिए यहां भी आए थे. पाण्डवों ने ही शिवलिंग की खोजकर उसका नामकरण किया था.

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पड़िला महादेव मंदिर
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Published : Feb 21, 2020, 2:19 PM IST

प्रयागराज: आज देवों के देव महादेव के विवाह का पावन पर्व महाशिवरात्रि है. संगमनगरी में इस पावन पर्व पर अपार जनसमूह उमड़ा है. चारों तरफ आस्था का जनसैलाब दिखाई दे रहा है. सुबह से ही भक्त बड़ी संख्या में पड़िला महादेव मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए लाइन लगाकर खड़े दिखाई दे रहे हैं. भक्तों की लंबी कतार कई किलोमीटर होते हुए पाण्डेश्वरनाथ धाम तक पहुंच रही है. हर कोई एक श्रद्धा भाव के साथ भगवान शिव के भक्ति में लीन है. पाण्डेश्वरनाथ मंदिर की मान्यता है कि द्वापरयुग में पांचो पांडवों ने मंदिर की खोज कर पूजा-अर्चना की थी, तभी से यहां भगवान शिव की पूजा-अर्चना होती आ रही है.

प्रयागराज का पड़िला महादेव मंदिर.
तीर्थराज प्रयाग पंचकोशी परिक्रमा में पाण्डेश्वरनाथ का विशेष स्थान
पड़िला महादेव मंदिर महंत कृष्ण कुमार गिरि ने जानकारी देते हुए बताया कि शिवरात्रि के पावन पर्व के अवसर पर पाण्डेश्वरनाथ धाम में श्रद्धालुओं का जनसैलाब सुबह से लगा है. तीर्थराज प्रयाग की पंचकोशी परिक्रमा में पाण्डेश्वरनाथ धाम का विशेष महत्व है. आज भगवान शिव और पार्वती माता का विवाह हुया था इसलिए आज के दिन को शिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है.
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पड़िला महादेव
पूरी होती है श्रद्धालुओं की हर मनोकामना
महंत कृष्ण कुमार ने बताया कि भगवान शिव की आज पूजा-अर्चना करने से सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. इसलिए सुबह तीन बजे से ही भक्तों का जनसैलाब पाण्डेश्वरनाथ धाम पर देखने को मिल रहा है. भक्त भगवान शिव को बेल पत्र, जल, दूध, फूल, बैर, भांग और आदि पूजा की सामग्री चढ़ाकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.


इसे पढ़ें -
काशी के इस शिवालय का है विशेष महत्व, क्योंकि यहां तिल बराबर बढ़ते हैं भोलेनाथ

पाण्डेश्वरनाथ की है पौराणिक मान्यता
मंदिर के महंत ने बताया कि द्वापरयुग में पांच पाण्डव वनवास के लिए जब निकले थे तो यहीं कई दिनों तक निवास किया था. पांडवों ने भगवान शिव की शिवलिंग की खोज की और पूजा-अर्चना की थी, तभी से इस मंदिर का नाम पाण्डेश्वरनाथ धाम और पड़िला महादेव के नाम जाना जाने लगा. इस मंदिर की पौराणिक मान्यता यह भी है कि यहां पर भीम ने हिडंब नामक राक्षस को मारकर हिडिंबा के साथ विवाह किया था. पाण्डेश्वरनाथ नाथ मंदिर का पुराणों में भी उल्लेख किया गया है और इस मंदिर विशेष महत्व है.

प्रयागराज: आज देवों के देव महादेव के विवाह का पावन पर्व महाशिवरात्रि है. संगमनगरी में इस पावन पर्व पर अपार जनसमूह उमड़ा है. चारों तरफ आस्था का जनसैलाब दिखाई दे रहा है. सुबह से ही भक्त बड़ी संख्या में पड़िला महादेव मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए लाइन लगाकर खड़े दिखाई दे रहे हैं. भक्तों की लंबी कतार कई किलोमीटर होते हुए पाण्डेश्वरनाथ धाम तक पहुंच रही है. हर कोई एक श्रद्धा भाव के साथ भगवान शिव के भक्ति में लीन है. पाण्डेश्वरनाथ मंदिर की मान्यता है कि द्वापरयुग में पांचो पांडवों ने मंदिर की खोज कर पूजा-अर्चना की थी, तभी से यहां भगवान शिव की पूजा-अर्चना होती आ रही है.

प्रयागराज का पड़िला महादेव मंदिर.
तीर्थराज प्रयाग पंचकोशी परिक्रमा में पाण्डेश्वरनाथ का विशेष स्थान
पड़िला महादेव मंदिर महंत कृष्ण कुमार गिरि ने जानकारी देते हुए बताया कि शिवरात्रि के पावन पर्व के अवसर पर पाण्डेश्वरनाथ धाम में श्रद्धालुओं का जनसैलाब सुबह से लगा है. तीर्थराज प्रयाग की पंचकोशी परिक्रमा में पाण्डेश्वरनाथ धाम का विशेष महत्व है. आज भगवान शिव और पार्वती माता का विवाह हुया था इसलिए आज के दिन को शिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है.
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पड़िला महादेव
पूरी होती है श्रद्धालुओं की हर मनोकामना
महंत कृष्ण कुमार ने बताया कि भगवान शिव की आज पूजा-अर्चना करने से सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. इसलिए सुबह तीन बजे से ही भक्तों का जनसैलाब पाण्डेश्वरनाथ धाम पर देखने को मिल रहा है. भक्त भगवान शिव को बेल पत्र, जल, दूध, फूल, बैर, भांग और आदि पूजा की सामग्री चढ़ाकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.


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पाण्डेश्वरनाथ की है पौराणिक मान्यता
मंदिर के महंत ने बताया कि द्वापरयुग में पांच पाण्डव वनवास के लिए जब निकले थे तो यहीं कई दिनों तक निवास किया था. पांडवों ने भगवान शिव की शिवलिंग की खोज की और पूजा-अर्चना की थी, तभी से इस मंदिर का नाम पाण्डेश्वरनाथ धाम और पड़िला महादेव के नाम जाना जाने लगा. इस मंदिर की पौराणिक मान्यता यह भी है कि यहां पर भीम ने हिडंब नामक राक्षस को मारकर हिडिंबा के साथ विवाह किया था. पाण्डेश्वरनाथ नाथ मंदिर का पुराणों में भी उल्लेख किया गया है और इस मंदिर विशेष महत्व है.

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