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प्रदेश सरकार ने डायग्नोस्टिक केंद्रों पर जांच शुल्क तय कर हाईकोर्ट में प्रस्तुत की रिपोर्ट

हाईकोर्ट ने डायग्नोस्टिक सेंटरों पर जांच पर ली जाने वाली अधिकतम फीस निर्धारित करने को कहा था और इसकी रिपोर्ट मांगाी थी. वहीं हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से ऐसे लोगों की रिपोर्ट मांगी है जो वैक्सीनेशन सेंटर नहीं जा सकते.

हाईकोर्ट
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Published : May 27, 2021, 10:53 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में डायग्नोस्टिक सेंटरों पर जांच पर ली जाने वाली अधिकतम फीस निर्धारित करने पर संतुष्टि प्रकट की है. राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी. अब डायग्नोस्टिक सेंटरों द्वारा आरटीपीसीआर टेस्ट का शुल्क 500-900 और एन्टीजेन टेस्ट का शुल्क 200 रुपये लिया जाएगा. इसी प्रकार सिटी स्कैन के अलग-अलग स्लाइस (अंशों/भागों) की जांच रिपोर्ट का शुल्क अधिकतम दो हजार रुपये से शुरू होकर 2500 रुपये तय किया गया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से डायग्नॉस्टिक जांच दर पर रिपोर्ट मांगी थी, जिस पर यह रिपोर्ट दाखिल की गई. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण और क्वारंटाइन केंद्रों की खराब स्थिति को लेकर स्वतः कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया. हाईकोर्ट इस जनहित याचिका पर 7 जून को सुनवाई करेगा.

हाईकोर्ट ने डायग्नोस्टिक सेंटरों पर शुल्क तय करने का दिया था आदेश

हाईकोर्ट ने सरकार को कहा था कि वह डायग्नोस्टिक सेंटरों द्वारा जांच के नाम पर वसूले जा रहे मनमानी शुल्क की अधिकतम सीमा तय कर कोर्ट को बताए. सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि डायग्नोस्टिक सेंटरों द्वारा सिटी स्कैन की 16 स्लाइस तक 2000 रुपये तय किया गया है. इसके ऊपर 16 से 64 स्लाइस तक 2250 और 64 से ऊपर की स्लाइस पर 2500 चार्ज किया जाएगा. ट्रू नाट प्राइवेट टेस्टिंग का शुल्क 1200 रुपये निर्धारित किया गया है.

पढ़ें: मुख्तार अंसारी का कबूलनामा, कहा- 2013 से कर रहा था एंबुलेंस का इस्तेमाल

कमेटी ने पेश की रिपोर्ट

हाईकोर्ट जज जस्टिस वीके श्रीवास्तव की कोरोना इलाज में लापरवाही की जांच के लिए गठित कमेटी ने रिपोर्ट पेश की. सरकार ने इस रिपोर्ट का अवलोकन करने की हाईकोर्ट से समय की मांग की. हाईकोर्ट रिपोर्ट पर अगली सुनवाई पर विचार करेगी. प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा पारित पिछले आदेश के अनुपालन में बहराइच, बिजनौर, श्रावस्ती, बाराबंकी और जौनपुर में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने की हाईकोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत की. हाईकोर्ट ने इन जिलों में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने के कार्य पर संतोष प्रकट किया और दूसरे 5 जिलों में ऐसी सुविधाएं बढ़ाकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि इसी प्रकार की चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने की आवश्यकता भदोही, गाजीपुर, बलिया, देवरिया और शामली जिलों में भी है. हाईकोर्ट ने इन जिलों में भी चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने की सरकार से रिपोर्ट मांगी है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में डायग्नोस्टिक सेंटरों पर जांच पर ली जाने वाली अधिकतम फीस निर्धारित करने पर संतुष्टि प्रकट की है. राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी. अब डायग्नोस्टिक सेंटरों द्वारा आरटीपीसीआर टेस्ट का शुल्क 500-900 और एन्टीजेन टेस्ट का शुल्क 200 रुपये लिया जाएगा. इसी प्रकार सिटी स्कैन के अलग-अलग स्लाइस (अंशों/भागों) की जांच रिपोर्ट का शुल्क अधिकतम दो हजार रुपये से शुरू होकर 2500 रुपये तय किया गया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से डायग्नॉस्टिक जांच दर पर रिपोर्ट मांगी थी, जिस पर यह रिपोर्ट दाखिल की गई. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण और क्वारंटाइन केंद्रों की खराब स्थिति को लेकर स्वतः कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया. हाईकोर्ट इस जनहित याचिका पर 7 जून को सुनवाई करेगा.

हाईकोर्ट ने डायग्नोस्टिक सेंटरों पर शुल्क तय करने का दिया था आदेश

हाईकोर्ट ने सरकार को कहा था कि वह डायग्नोस्टिक सेंटरों द्वारा जांच के नाम पर वसूले जा रहे मनमानी शुल्क की अधिकतम सीमा तय कर कोर्ट को बताए. सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि डायग्नोस्टिक सेंटरों द्वारा सिटी स्कैन की 16 स्लाइस तक 2000 रुपये तय किया गया है. इसके ऊपर 16 से 64 स्लाइस तक 2250 और 64 से ऊपर की स्लाइस पर 2500 चार्ज किया जाएगा. ट्रू नाट प्राइवेट टेस्टिंग का शुल्क 1200 रुपये निर्धारित किया गया है.

पढ़ें: मुख्तार अंसारी का कबूलनामा, कहा- 2013 से कर रहा था एंबुलेंस का इस्तेमाल

कमेटी ने पेश की रिपोर्ट

हाईकोर्ट जज जस्टिस वीके श्रीवास्तव की कोरोना इलाज में लापरवाही की जांच के लिए गठित कमेटी ने रिपोर्ट पेश की. सरकार ने इस रिपोर्ट का अवलोकन करने की हाईकोर्ट से समय की मांग की. हाईकोर्ट रिपोर्ट पर अगली सुनवाई पर विचार करेगी. प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा पारित पिछले आदेश के अनुपालन में बहराइच, बिजनौर, श्रावस्ती, बाराबंकी और जौनपुर में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने की हाईकोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत की. हाईकोर्ट ने इन जिलों में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने के कार्य पर संतोष प्रकट किया और दूसरे 5 जिलों में ऐसी सुविधाएं बढ़ाकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि इसी प्रकार की चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने की आवश्यकता भदोही, गाजीपुर, बलिया, देवरिया और शामली जिलों में भी है. हाईकोर्ट ने इन जिलों में भी चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने की सरकार से रिपोर्ट मांगी है.

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