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प्रयागराज: असहयोग आन्दोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर स्पेशल डाक कवर जारी - प्रयागराज खबर

असहयोग आन्दोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में संगम फिलेटलिक क्लब की ओर से इसके ऊपर स्पेशल डाक कवर जारी किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति माननीय पंकज मित्तल ने गांधी जी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन की विस्तृत जानकारी भी दी.

असहयोग आन्दोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर स्पेशल डाक कवर जारी.
असहयोग आन्दोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर स्पेशल डाक कवर जारी.
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Published : Sep 6, 2020, 5:31 AM IST

प्रयागराज: महात्मा गांधी द्वारा 1920 में चलाए गए असहयोग आंदोलन के सौ साल पूरे होने के अवसर पर संगम फिलेटलिक क्लब, डाक विभाग के सहयोग से शनिवार को प्रधान डाकघर, इलाहाबाद में एक विशेष आवरण जारी किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति माननीय पंकज मित्तल ने गांधी जी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन की विस्तृत जानकारी दी. माननीय न्यायमूर्ति ने सम्बोधन में महात्मा गांधी के आंदोलन का क्या असर रहा, इसके बारे में चर्चा की. साथ ही उस समय के असहयोग आंदोलन और वर्तमान समय में होने वाली हड़ताल के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि फिलैटलिक क्लब द्वारा किए गए इस प्रयास से आज की पीढ़ी को असहयोग आन्दोलन के बारे में जानने में मदद मिलेगी.

असहयोग आन्दोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर स्पेशल डाक कवर जारी.

इस विशेष कवर में महात्मा गांधी के नेतृत्व में सितंबर 1920 में शुरू किए गए असहयोग आन्दोलन की प्रमुख घटनाओं का जिक्र है, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक नए अध्याय का संकेत दिया. इस आंदोलन के दौरान सितंबर 1920 में, उन्होंने एक घोषणापत्र जारी किया, जिसमें अहिंसक असहयोग आंदोलन की बात कही. गांधी जी ने इस घोषणा पत्र के माध्यम से लोगों से स्वदेशी सिद्धांतों को अपनाने, हाथ से कताई और बुनाई सहित स्वदेशी आदतों को अपनाने और समाज से अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए काम करने की मांग की. गांधी ने आंदोलन के सिद्धांतों को समझाते हुए पूरे देश की यात्रा की. आंदोलन अनिवार्य रूप से भारत में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक शांतिपूर्ण और अहिंसक विरोध था.

  • असहयोग आंदोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर जारी किया गया स्पेशल डाक कवर.
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति माननीय पंकज मित्तल रहे मौजूद.

आंदोलन काल के दौरान भारतीयों को अपने शीर्षकों को त्यागने और स्थानीय निकायों में नामांकित सीटों से विरोध के निशान के रूप में इस्तीफा देने के लिए कहा गया. लोगों को अपनी सरकारी नौकरियों से इस्तीफा देने के लिए कहा गया था. लोगों को विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने और केवल भारतीय निर्मित वस्तुओं का उपयोग और विधान परिषदों के चुनावों का बहिष्कार करने के लिए कहा गया. इसके साथ ही लोगों को ब्रिटिश सेना में सेवा नहीं देने के लिए भी कहा गया था. जारी किए गए इस कवर में ऐसी बहुत सी बातों का उल्लेख है.

प्रवर डाक अधीक्षक श्री संजय डी अखाड़े डाक विभाग के फिलैटलिक क्लब द्वारा समय-समय पर जारी किए जाने वाले डाक कवर के बारे में जानकारी दी. संगम फिलैटलिक क्लब के महासचिव एम गुलरेज ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि फिलेटलिक क्लब ऐसा पहला क्लब है, जो असहयोग आंदोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर यह खबर जारी कर रहा है.

प्रयागराज: महात्मा गांधी द्वारा 1920 में चलाए गए असहयोग आंदोलन के सौ साल पूरे होने के अवसर पर संगम फिलेटलिक क्लब, डाक विभाग के सहयोग से शनिवार को प्रधान डाकघर, इलाहाबाद में एक विशेष आवरण जारी किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति माननीय पंकज मित्तल ने गांधी जी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन की विस्तृत जानकारी दी. माननीय न्यायमूर्ति ने सम्बोधन में महात्मा गांधी के आंदोलन का क्या असर रहा, इसके बारे में चर्चा की. साथ ही उस समय के असहयोग आंदोलन और वर्तमान समय में होने वाली हड़ताल के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि फिलैटलिक क्लब द्वारा किए गए इस प्रयास से आज की पीढ़ी को असहयोग आन्दोलन के बारे में जानने में मदद मिलेगी.

असहयोग आन्दोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर स्पेशल डाक कवर जारी.

इस विशेष कवर में महात्मा गांधी के नेतृत्व में सितंबर 1920 में शुरू किए गए असहयोग आन्दोलन की प्रमुख घटनाओं का जिक्र है, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक नए अध्याय का संकेत दिया. इस आंदोलन के दौरान सितंबर 1920 में, उन्होंने एक घोषणापत्र जारी किया, जिसमें अहिंसक असहयोग आंदोलन की बात कही. गांधी जी ने इस घोषणा पत्र के माध्यम से लोगों से स्वदेशी सिद्धांतों को अपनाने, हाथ से कताई और बुनाई सहित स्वदेशी आदतों को अपनाने और समाज से अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए काम करने की मांग की. गांधी ने आंदोलन के सिद्धांतों को समझाते हुए पूरे देश की यात्रा की. आंदोलन अनिवार्य रूप से भारत में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक शांतिपूर्ण और अहिंसक विरोध था.

  • असहयोग आंदोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर जारी किया गया स्पेशल डाक कवर.
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति माननीय पंकज मित्तल रहे मौजूद.

आंदोलन काल के दौरान भारतीयों को अपने शीर्षकों को त्यागने और स्थानीय निकायों में नामांकित सीटों से विरोध के निशान के रूप में इस्तीफा देने के लिए कहा गया. लोगों को अपनी सरकारी नौकरियों से इस्तीफा देने के लिए कहा गया था. लोगों को विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने और केवल भारतीय निर्मित वस्तुओं का उपयोग और विधान परिषदों के चुनावों का बहिष्कार करने के लिए कहा गया. इसके साथ ही लोगों को ब्रिटिश सेना में सेवा नहीं देने के लिए भी कहा गया था. जारी किए गए इस कवर में ऐसी बहुत सी बातों का उल्लेख है.

प्रवर डाक अधीक्षक श्री संजय डी अखाड़े डाक विभाग के फिलैटलिक क्लब द्वारा समय-समय पर जारी किए जाने वाले डाक कवर के बारे में जानकारी दी. संगम फिलैटलिक क्लब के महासचिव एम गुलरेज ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि फिलेटलिक क्लब ऐसा पहला क्लब है, जो असहयोग आंदोलन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर यह खबर जारी कर रहा है.

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