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आजम खां के करीबी पूर्व सीओ आले हसन को हाईकोर्ट ने नहीं मिली राहत, याचिका खारिज - Samajwadi Party leader Azam Khan

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को समाजवादी पार्टी नेता आजम खां के करीबी पूर्व सीओ आले हसन (Azam Khan close former co Ale Hasan) को राहत नहीं दी. कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी.

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Published : Jan 5, 2023, 7:15 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व काबीना मंत्री आजम खां के करीबी पूर्व सीओ आले हसन को राहत (Azam Khan close former co Ale Hasan) देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली याचिका पोषणीय नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने वसीम व अन्य की याचिका पर दिया है.

मामले के तथ्यों के अनुसार रामपुर के सिविल लाइंस थाने में 16 जुलाई 2022 को एक मकान में जुआ खिलवाने केआरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. विवेचना में वसीम और सीओ आले हसन का नाम सामने आया था. दोनों ने याचिका दायर कर प्राथमिकी रद्द करने की मांग की थी. कहा गया कि मामले में उनके खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है. उन्हें एक राजनीतिक षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है.

ये भी पढ़ें- बाल गृह में बच्चे के यौन शोषण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया

उनका जुआ खिलवाने के मामले से कोई लेना देना नहीं है. सरकारी वकील संजय कुमार सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि एक मकान में जुआ खेलने की महीनों से शिकायत थी. मकान दूसरे के नाम था लेकिन वहां याचियों की शह पर ही जुआ खेला जा रहा है. इसके सुबूत भी सामने आए हैं. कोर्ट ने कहा कि याचियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं है.

ये भी पढ़ें- हाईकोर्ट का फैसला! तलाकशुदा महिला को पूर्व शौहर से आजीवन गुजारा भत्ता पाने का अधिकार

उनके नाम विवेचना में सामने आए हैं इसलिए याचिका पोषणीय नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट से बुधवार को समाजवादी पार्टी नेता आजम खां के करीबी पूर्व सीओ आले हसन (Azam Khan close former co Ale Hasan) को राहत नहीं मिली.

ये भी पढ़ें- बांदा में विश्वविद्यालय की महिला कर्मचारी को ट्रक ने 3 किलोमीटर तक घसीटा, जलकर मौत

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व काबीना मंत्री आजम खां के करीबी पूर्व सीओ आले हसन को राहत (Azam Khan close former co Ale Hasan) देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली याचिका पोषणीय नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने वसीम व अन्य की याचिका पर दिया है.

मामले के तथ्यों के अनुसार रामपुर के सिविल लाइंस थाने में 16 जुलाई 2022 को एक मकान में जुआ खिलवाने केआरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. विवेचना में वसीम और सीओ आले हसन का नाम सामने आया था. दोनों ने याचिका दायर कर प्राथमिकी रद्द करने की मांग की थी. कहा गया कि मामले में उनके खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है. उन्हें एक राजनीतिक षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है.

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उनका जुआ खिलवाने के मामले से कोई लेना देना नहीं है. सरकारी वकील संजय कुमार सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि एक मकान में जुआ खेलने की महीनों से शिकायत थी. मकान दूसरे के नाम था लेकिन वहां याचियों की शह पर ही जुआ खेला जा रहा है. इसके सुबूत भी सामने आए हैं. कोर्ट ने कहा कि याचियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं है.

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उनके नाम विवेचना में सामने आए हैं इसलिए याचिका पोषणीय नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट से बुधवार को समाजवादी पार्टी नेता आजम खां के करीबी पूर्व सीओ आले हसन (Azam Khan close former co Ale Hasan) को राहत नहीं मिली.

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