प्रयागराज: निर्दोष लोगों को फर्जी रेप, व अन्य गंभीर अपराधों के मुकदमे में फंसा कर के ब्लैकमेल करने वाले गैंग को सर्वोच्च अदालत से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी है. सीबीआई जांच का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. निक्की देवी की विशेष अनुमति याचिका पर न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति वी रामा सुब्रमण्यम ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण को हस्तक्षेप के योग्य न पाते हुए याचिका खारिज कर दी है.
गौरतलब है कि गत दिनों निक्की देवी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल रेप के मुकदमे में ट्रायल जल्द पूरी करने का निर्देश दिए जाने की मांग की थी. अधिवक्ता भूपेंद्र पांडे ने कोर्ट को अवगत कराया कि दर्ज कराया गया मुकदमा फर्जी है और सिर्फ उनको एक इसी प्रकार के फर्जी मुकदमे में फंसाए गए व्यक्ति की पैरवी करने से रोकने के लिए दर्ज कराया गया है. अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष ऐसे 40 के करीब मुकदमों की सूची प्रस्तुत की जो निर्दोष लोगों को ब्लैकमेल करने की नीयत से दर्ज कराए गए थे.
यह मुकदमे दुष्कर्म व अन्य गंभीर अपराधों की धाराओं में दर्ज कराए गए थे. अधिवक्ता भूपेंद्र पांडे ने कोर्ट को बताया कि जिले में एक ऐसा गैंग सक्रिय है जो लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसा करके ब्लैकमेल करता है और उनसे मोटी रकम ऐठता है. इस गैंग में कई वकील भी शामिल है. उक्त मुकदमा भी इसी प्रकार का एक फर्जी मुकदमा है. कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए याचिकाकर्ता निक्की देवी को भी अदालत में तलब किया था.
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पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई को करने का निर्देश दिया. सीबीआई मामले की जांच अभी कर रही है. इस दौरान निक्की देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती दी थी जिसे खारिज कर दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता भूपेंद्र पांडे भी याचिका का विरोध करने सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित थे.
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