प्रयागराज: इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Allahabad Central University) के छात्रसंघ का गौरवशाली इतिहास रहा है. यहां के छात्रसंघ के छात्र देश के सर्वोच्च पदों तक पहुंच चुके हैं. लेकिन वर्तमान समय में राजनीति करने वालों का छात्रों का आपराधिक इतिहास बन रहा है. यहां छात्रनेताओं के खिलाफ 28 मुकदमें तक दर्ज हो चुके हैं. हालांकि इसमें से ज्यादातर मुकदमें सिर्फ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा दर्ज करवाया गया है. यूनिवर्सिटी के वर्तमान छात्रनेताओं से लेकर पुराने छात्रनेताओं का भी कहना है कि पहले विश्वविद्यालय प्रशासन अपने छात्रों पर केस दर्ज नहीं करवाता था. न ही छात्र कैंपस में आगजनी हिंसा और उपद्रव करते थे. लेकिन आज विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से ही छात्रों पर मुकदमा दर्ज करवाने का रिकॉर्ड बनाया जा रहा है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की तरफ से अब तक सैंकड़ों छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है. जिसमें मारपीट, हंगामा, बवाल के साथ ही बमबाजी, फायरिंग, आगजनी समेत कई केस दर्ज करवाया गया है. इसमें वर्तमान आंदोलनकारी छात्रनेता सत्यम कुशवाहा 28 केस, अजय यादव सम्राट पर 16 केस, राहुल पटेल पर 23 केस, आयुष प्रियदर्शी पर 13 केस, अतेन्द्र सिंह पर 8 केस, आदिल हमजा पर 16 और अखिलेष गुप्ता पर 15 केस दर्ज हैं. इसके साथ ही छात्रसंघ की महिला अध्यक्षा रही ऋचा सिंह पर भी 10 और नेहा सिंह पर 9 मुकदमें दर्ज हैं. इनके अलावा सैंकड़ों छात्रनेता है, जिनके ऊपर छात्र राजनीति की वजह से तमाम मुकदमें दर्ज हैं.
क्या कहतें हैं छात्रसंघ से जुड़े नये पुराने छात्रनेता
छात्रसंघ से जुड़े नये और पुराने छात्र नेताओं का दावा है कि आज के छात्र नेता भी आने वाले दिनों में देश के बड़े पदों तक पहुंचेंगे. वहीं, दो दशक पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रनेता रहे अभय अवस्थी का कहना है कि इलाहाबाद युनिवर्सिटी के छात्रनेता न सिर्फ राजनीति के जरिए बल्कि आईएएस, आईपीएस बनकर भी देश की सेवा कर रहे हैं. वर्तमान समय में छात्रनेताओं के ऊपर मुकदमा दर्ज करवाने की परंपरा के लिए उन्होंने यूनिवर्सिटी के प्रशासन को ही जिम्मेदार बताया है. उनका कहना है कि भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों को छात्र उजागर करते हैं. उसके खिलाफ आवाज उठातें हैं. इसी वजह से छात्रों को यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की गुटबाजी का शिकार होना पड़ता है. शिक्षकों का एक गुट छात्रों को उकसाता है और विरोध की आवाज बुलंद करवाता है. जबकि दूसरे गुट से जुड़े यूनिवर्सिटी प्रशासन के लोग विरोध की आवाज को दबाने के लिए दबाव बनाते हैं. जिसके कारण हंगामा और बवाल होता है और छात्रों के ऊपर मुकदमा दर्ज करवाया जाता है. इसी तरह से छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष रोहित मिश्रा भी छात्रों पर केस दर्ज करवाने की प्रक्रिया की निंदा की है. उनका भी यही कहना है कि हर गलत बात के लिए छात्रनेता आवाज उठाते हैं और उसी आवाज को दबाने के लिए मुकदमा दर्ज करवाया जाता है. उन्होंने यह भी दावा किया है कि छात्रों के खिलाफ दर्ज इन मुकदमों के जरिेए ही छात्रनेताओं को डराने और दबाने का प्रयास किया जाता है.
छात्रनेता ने कहा- मुकदमा दर्ज करवाने से नहीं रुकेगा आंदोलन
यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ भवन के बाहर छात्रसंघ बहाली और फीस वृद्धि के विरोध में दो साल से ज्यादा धरना प्रदर्शन करने वाले छात्रनेता अजय यादव सम्राट का कहना है कि वो लगातार आंदोलन कर रहे हैं और करते रहेंगे. उनके आंदोलन को तोड़ने के लिए हर तरह का हथकंडा यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने अपनाया. लेकिन कामयाबी नहीं मिली. जिसके बाद उनके खिलाफ 16 मुकदमें दर्ज करवाये जा चुकें हैं. सारे केस यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से ही करवाया गया है.
वहीं इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पीआरओ प्रो. जया कपूर का कहना है कि विश्वविद्यालय में तोड़फोड़, हंगामा, आगजनी करने वालों पर नकेल कसने के लिए पुलिस से शिकायत की जाती है. यूनिवर्सिटी में हजारों छात्र पढ़ने आते हैं. उनको बेहतर शिक्षा और सुरक्षित माहौल देने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन निरन्तर प्रयास करता है.
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