ETV Bharat / state

कैजुअल कर्मचारियों के नियमितीकरण में घोटाला, रेल अफसरों को नोटिस - Scam in regularization of casual employees

कैजुअल कर्मचारियों के नियमितीकरण में घोटाला रेल अफसरों के लिए परेशानी की वजह बनता जा रहा है. इस मामले में इलाहाबाद होईकोर्ट ने रेल अफसरों को नोटिस (Allahabad High Court Notice to Railway Officials) भेजी है.

Etv Bharat
रेल अफसरों को नोटिस कैजुअल कर्मचारियों के नियमितीकरण में घोटाला Scam in regularization of casual employees Allahabad High Court Notice to Railway Officials
author img

By

Published : Jul 22, 2023, 10:16 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1998 में 115 कैजुअल कर्मचारियों के नियमितीकरण घोटाले (Scam in regularization of casual employees) के आरोपियों पर केस चलाने की मांग में दाखिल याचिका पर उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक प्रमोद कुमार, डिवीजनल पर्सनल ऑफीसर बृजेश कुमार चतुर्वेदी और पूर्व महाप्रबंधक/ओएसडी व डिवीजनल पर्सनल ऑफीसर एनसीआर प्रयागराज को नोटिस जारी (Allahabad High Court Notice to Railway Officials) किया है. कोर्ट ने इन अधिकारियों सहित राज्य सरकार से इस मामले में दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर जवाब मांगा है. साथ ही याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख लगाई है.

यह आदेश न्यायमूर्ति वीसी दीक्षित ने अधिवक्ता प्रदीप कुमार द्विवेदी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याची का कहना है कि यह सेवा नियमित करने में हुए भ्रष्टाचार का मामला है. 1996 में रेलवे मंत्रालय ने कार्यरत कैजुअल कर्मचारियों की सेवा नियमित किए जाने का निर्णय लिया. उत्तर मध्य रेलवे इलाहाबाद, अब प्रयागराज के 115 कैजुअल कर्मचारियों की सेवा नियमित की गई, जिसमें अधिकारियों ने अपने चहेतों को समायोजित कर कुछ वास्तविक कर्मचारियों को नियमित करने से इनकार कर दिया.

आरोप है कि इन कर्मचारियों की शिकायत पर विजिलेंस जांच हुई तो रेल अधिकारियों ने नियमित 115 कर्मचारियों के रिकार्ड नष्ट होने का बहाना बनाकर नियमित हुए कर्मचारियों की सूची देने से इनकार कर दिया. साथ ही सूचना अधिकार कानून की कार्यवाही की अनदेखी कर सहयोग करने से परहेज़ किया. लंबे समय से कार्य करने वाले नियमित होने से वंचित कर्मचारी भुखमरी के कगार पर भटक रहे हैं और रेलवे नियमित हुए कर्मचारियों की जानकारी देने से बच रहा है, क्योंकि सूची देने पर नियमितीकरण घोटाले का पर्दाफाश हो जाएगा.

यह भी आरोप है कि कुछ ऐसे लोग नियमित सेवा में ले लिए गए हैं, जिन्होंने कभी रेल की सेवा ही नहीं की थी. याची का कहना है कि नियमित कर्मचारी कहां हैं, रेलवे को पता नहीं है और रेलवे उन्हें 1998 से अब तक ढाई सौ करोड़ रुपये वेतन भुगतान कर चुका है. याची ने इस भ्रष्टाचार को लेकर आईपीसी की धारा 193, 203, 406, 420, 467, 468 के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग में जिला न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी. अर्जी निरस्त होने के बाद हाईकोर्ट में यह याचिका की गई है.

ये भी पढ़ें- Watch: बीजेपी विधायक के बेटे ने की दंबगई, रेलवे गैटमैन को बुरी तरह पीटा

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1998 में 115 कैजुअल कर्मचारियों के नियमितीकरण घोटाले (Scam in regularization of casual employees) के आरोपियों पर केस चलाने की मांग में दाखिल याचिका पर उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक प्रमोद कुमार, डिवीजनल पर्सनल ऑफीसर बृजेश कुमार चतुर्वेदी और पूर्व महाप्रबंधक/ओएसडी व डिवीजनल पर्सनल ऑफीसर एनसीआर प्रयागराज को नोटिस जारी (Allahabad High Court Notice to Railway Officials) किया है. कोर्ट ने इन अधिकारियों सहित राज्य सरकार से इस मामले में दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर जवाब मांगा है. साथ ही याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख लगाई है.

यह आदेश न्यायमूर्ति वीसी दीक्षित ने अधिवक्ता प्रदीप कुमार द्विवेदी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याची का कहना है कि यह सेवा नियमित करने में हुए भ्रष्टाचार का मामला है. 1996 में रेलवे मंत्रालय ने कार्यरत कैजुअल कर्मचारियों की सेवा नियमित किए जाने का निर्णय लिया. उत्तर मध्य रेलवे इलाहाबाद, अब प्रयागराज के 115 कैजुअल कर्मचारियों की सेवा नियमित की गई, जिसमें अधिकारियों ने अपने चहेतों को समायोजित कर कुछ वास्तविक कर्मचारियों को नियमित करने से इनकार कर दिया.

आरोप है कि इन कर्मचारियों की शिकायत पर विजिलेंस जांच हुई तो रेल अधिकारियों ने नियमित 115 कर्मचारियों के रिकार्ड नष्ट होने का बहाना बनाकर नियमित हुए कर्मचारियों की सूची देने से इनकार कर दिया. साथ ही सूचना अधिकार कानून की कार्यवाही की अनदेखी कर सहयोग करने से परहेज़ किया. लंबे समय से कार्य करने वाले नियमित होने से वंचित कर्मचारी भुखमरी के कगार पर भटक रहे हैं और रेलवे नियमित हुए कर्मचारियों की जानकारी देने से बच रहा है, क्योंकि सूची देने पर नियमितीकरण घोटाले का पर्दाफाश हो जाएगा.

यह भी आरोप है कि कुछ ऐसे लोग नियमित सेवा में ले लिए गए हैं, जिन्होंने कभी रेल की सेवा ही नहीं की थी. याची का कहना है कि नियमित कर्मचारी कहां हैं, रेलवे को पता नहीं है और रेलवे उन्हें 1998 से अब तक ढाई सौ करोड़ रुपये वेतन भुगतान कर चुका है. याची ने इस भ्रष्टाचार को लेकर आईपीसी की धारा 193, 203, 406, 420, 467, 468 के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग में जिला न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी. अर्जी निरस्त होने के बाद हाईकोर्ट में यह याचिका की गई है.

ये भी पढ़ें- Watch: बीजेपी विधायक के बेटे ने की दंबगई, रेलवे गैटमैन को बुरी तरह पीटा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.